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अविवाहित मां के बच्चों को डॉक्यूमेंट के लिए बाप की जरूरत नहीं, केरल HC का आदेश

एक शख्स ने याचिका लगाई थी कि उनकी मां अविवाहित हैं और उनकी अलग-अलग ID में पिता के अलग-अलग नाम लिखे हैं.

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केरल हाईकोर्ट ने कहा कि सिंगल मां के बच्चों को गरिमा और निजता का अधिकार है. (फोटो सोर्स- आजतक, पिक्साबे)

केरल हाईकोर्ट ने कहा है कि अविवाहित मांओं और रेप पीड़िताओं के बच्चों को भारत में निजता, स्वतंत्रता और गरिमा के मौलिक अधिकार है. Kerala High Court ने कहा कि एक व्यक्ति के पास ये अधिकार है कि वो अपने जन्म प्रमाण पत्र (Birth certificate) और दूसरे पहचान पत्रों में केवल अपनी मां का नाम लिख सकता है. हाईकोर्ट ने कहा कि अविवाहित मांओं के बच्चे भारत के समान नागरिक हैं. इस देश का कोई भी व्यक्ति उस बच्चे के मौलिक अधिकारों को ठेस नहीं पंहुचा सकता है. अगर किसी ने ऐसा किया तो कानून बच्चें के मौलिक अधिकारों की रक्षा करेगा.

क्या था पूरा मामला?

द प्रिंट की रिपोर्ट के मुताबिक, केरल हाईकोर्ट में एक शख्स ने याचिका लगाई. उस शख्स ने अपील की कि उसे अपने दस्तावेजों में केवल उसकी मां का नाम लिखने की इजाज़त दी जाए. उसने बताया कि उसकी मां अविवाहित हैं और उसके तीन अलग-अलग डॉक्यूमेंट्स में उसके पिता के अलग-अलग नाम लिखे हैं. इस मामले में कोर्ट ने जन्म और मृत्य रजिस्ट्रार को याचिकाकर्ता के जन्म रजिस्टर से पिता का नाम हटाने को कहा. और कहा कि याचिकाकर्ता की पहचान सिर्फ इतनी नहीं है कि वो एक अविवाहित महिला का बेटा है, उसकी एक पहचान ये भी है कि वो एक भारतीय है. 

कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता के साथ वैसा ही व्यवहार होना चाहिए जैसा अन्य नागरिकों के साथ होता है. इसके साथ ही उसकी पहचान और निजता की रक्षा होनी चाहिए. अगर ऐसा नहीं किया गया तो वो मानसिक पीड़ा का शिकार हो जाएगा.

जस्टिस पीवी कुन्हीकृष्णन ने कहा, 

"हम ऐसा समाज चाहते हैं जिसमें किसी के साथ ऐसा न हो, जैसा महाभारत में कर्ण के साथ हुआ. जिसे अपने माता-पिता के बारे में नहीं पता था. तो समाज ने उसे हर जगह से तिरस्कृत किया. उसका अपमान किया. जिसकी वजह से वो सारे जीवन अपने आपको कोसता रहा. हमे असली वीर कर्ण चाहिए जो महाभारत का असली नायक योद्धा था. इसलिए हमारा संविधान और हमारी अदालत उन सभी की रक्षा करेंगे, जो इस पीढ़ी के कर्ण है. हम इस बात का ध्यान रखेंगे कि वो अन्य नागरिकों की तरह गरिमा और गर्व के साथ इस देश में रह सकें."

अदालत ने आदेश दिया है कि याचिकाकर्ता के पिता का नाम हर ऑफिशियल रिकॉर्ड और डेटाबेस से हटाया जाए. कोर्ट ने ये निर्देश देश की हर उस एजेंसी को दिया है जो नागरिकों के लिए पहचान पत्र जारी करती है. इनमें सामान्य शिक्षा विभाग, उच्च माध्यमिक परीक्षा बोर्ड, UIDAI,  आयकर विभाग, पासपोर्ट ऑफिसर, केंद्रीय चुनाव आयोग और राज्य निर्वाचन आयोग शामिल हैं.

वीडियो: केरल हाईकोर्ट के मैरिटल रेप, गर्भपात और मैटरनिटी लीव पर फैसलों की तारीफ हो रही है