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"उत्तेजक कपड़े" वाले जज का ट्रांसफर हुआ, जज ट्रांसफर रुकवाने खुद कोर्ट चले गए

जज ने ट्रांसफर के खिलाफ केरल हाई कोर्ट में याचिका दायर की है

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सांकेतिक फोटो (साभार राइट फोटो: वॉलपेपर फेयर, लेफ्ट फोटो: इंडिया टुडे)

‘लड़की ने उत्तेजक कपड़े पहने थे, नहीं बनता यौन शोषण का केस’ कहने वाले केरल के जज ने अपने ट्रांसफर को केरल हाईकोर्ट में चुनौती दी है. 23 अगस्त को जज एस कृष्णकुमार का ट्रांसफर श्रम अदालत में कर दिया गया था. इसके खिलाफ उन्होंने 29 अगस्त को केरल हाई कोर्ट में याचिका दायर की.

याचिका में उन्होंने कहा, 

"ऐसी कार्रवाई से दूसरे ज्यूडिशियल ऑफिसर्स के मनोबल पर असर पड़ेगा और वो स्वतंत्र तथा निष्पक्ष रूप से निर्णय नहीं ले पाएंगे."

क्या था पूरा मामला?

जज एस कृष्णकुमार ने केरल के लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता सिविक चंद्रन को यौन शोषण के दो मामलो में ज़मानत दे थी. पहला मामला एक अनुसूचित जनजाति से संबंध रखने वाली महिला ने दर्ज करवाया था. उसने कहा कि अप्रैल में एक बुक एग्जिबिशन में उसका यौन उत्पीड़न हुआ. मामला पुलिस में दर्ज हुआ और चंद्रन को इस मामले में 2 अगस्त को जमानत दी गई थी. इस केस में जज एस कृष्णकुमार ने कहा था कि महिला अनुसूचित जनजाति से आती हैं, ऐसे में इसकी संभावना बहुत कम है कि आरोपी सिविक चंद्रन ने उन्हें छुआ होगा.

वहीं, दूसरा मामला एक युवा लेखिका ने दर्ज कराया था, जिसने फरवरी, 2020 में आरोप लगाया था की चंद्रन ने उसका यौन उत्पीड़न किया. ये घटना भी एक बुक एग्जिबिशन में हुई थी. कोइलांडी पुलिस ने चंद्रन के खिलाफ यौन शोषण की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था. शिकायतकर्ता महिला ने कोर्ट में बताया कि आरोपी ने उसकी गरिमा भंग करने की कोशिश की थी.

कोर्ट में आरोपी सिविक चंद्रन ने ज़मानत की अर्ज़ी दी और साथ ही  आरोप लगाने वाली महिला की तस्वीरें भी पेश की थीं. जिन्हें देखकर कोझिकोड सेशन कोर्ट ने 12 अगस्त को कहा,

"आरोपी द्वारा जमानत अर्जी के साथ पेश की गई तस्वीरों से पता चलता है कि शिकायतकर्ता खुद ऐसे कपड़े पहन रही हैं, जो सेक्शुअली उत्तेजक हैं. इसलिए आरोपी के खिलाफ IPC की धारा 354A (यौन शोषण) लागू नहीं होगी."

आरोपी की उम्र 74 साल है. इसे भी आधार बनाते हुए कोर्ट ने राहत देने की बात कही. कोर्ट ने कहा कि 74 साल का आदमी किसी महिला के साथ शारीरिक रूप से जबरदस्ती नहीं कर सकता, उसे जबरदस्ती गोद में नहीं बैठा सकता और न ही उसके स्तनों को दबा सकता है. कोर्ट ने कहा कि IPC की धारा 354 में साफ़-साफ़ लिखा है कि आरोपी का इरादा महिला की गरिमा भंग करने का होना चाहिए. और, धारा 354 A में शारीरिक संपर्क या सेक्सुअल फेवर्स जैसी चीज़ें होनी चाहिए. 

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