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'लड़की ने उत्तेजक कपड़े पहने, नहीं बनता यौन शोषण का केस'- कहने वाले जज का ट्रांसफर हो गया

यौन शोषण के एक और मामले में जज एस कृष्णकुमार ने कहा था- लड़की अनुसूचित जाति से आती है, ऐसे में विश्वास करना मुश्किल है कि आरोपी ने उसे छुआ होगा.

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सांकेतिक फोटो (आजतक, Pixabay)

कोझीकोड सेशन कोर्ट के जज एस कृष्णकुमार ने यौन शोषण पीड़िता के कपड़ों को उत्तेजक बताते हुए आरोपी को ज़मानत दे दी थी. जज के इस फैसले पर खासा बवाल हुआ. अब उनका ट्रांसफर कर दिया गया है. उन्हें कोझीकोड़ सेशन कोर्ट से कोल्लम की श्रम अदालत में ट्रांसफर कर दिया गया है. 23 अगस्त की शाम को  केरल हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार पी कृष्णकुमार के कार्यालय की तरफ से तबादले की लिस्ट जारी की गई.

विवादित टिप्पणी से आए सुर्खियों में

दरअसल बीते दिनों न्यायाधीश एस कृष्णकुमार ने सामाजिक कार्यकर्ता सिविक चंद्रन को यौन शोषण के दो मामलों में ज़मानत दे दी थी. इस फैसले के साथ-साथ उन्होंने टिप्पणी करते हुए कहा था कि जिस महिला ने आरोप लगाया था, उसने उत्तेजक कपड़े पहने थे. इसलिए पहली नज़र में लेखक पर यौन शोषण का केस नहीं बनता है.

कोझिकोड सेशन कोर्ट ने कहा था

‘आरोपी द्वारा जमानत अर्जी के साथ पेश की गई तस्वीरों से पता चलता है कि शिकायतकर्ता खुद ऐसे कपड़े पहन रही हैं, जो सेक्शुअली उत्तेजक हैं. इसलिए आरोपी के खिलाफ IPC की धारा 354A (यौन शोषण) लागू नहीं होगी.’

दूसरा मामला में एक अनुसूचित जनजाति से संबंध रखने वाली महिला ने दर्ज करवाया था. उसने कहा था कि अप्रैल में एक बुक एग्जिबिशन में सिविक चंद्रन ने उसका यौन उत्पीड़न किया. इस केस में जज एस कृष्णकुमार ने कहा था कि ये विश्वास करना बेहद ही मुश्किल है कि आरोपी लेखक ये जानते हुए कि महिला  scheduled caste से आती है उसे छुए.

इन दोनों ही टिप्पणियों को लेकर लोगों ने जज एस कृष्णकुमार को कॉल आउट किया था. केरल सरकार ने दोनों मामलों में आरोपी को दी गई जमानत पर सवाल उठाते हुए हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी. सरकार ने कहा था कि इस तरह की टिप्पणी यौन शोषण की पीड़िताओं के लिए हतोत्साहित करने वाली हैं.

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