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वकील ने पत्रकार की ऐसी क्लास लगाई कि मज़ा आ गया

पत्रकार अकबका गया, जैसे-तैसे उसने इंटरव्यू संभाला.

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इंटरनेट पर इस वीडियो की ख़ूब वायरल हो रहा. लोग जय माला का अपनी इंडिविजुऐलिटी का स्टैंड लेने की तारीफ़ कर रहे हैं. (फोटो - ट्विटर)
जय माला. जम्मू कश्मीर की रहने वाली हैं. सीनियर लॉयर, पत्रकार और ऐक्टिविस्ट हैं. हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान जय माला को उनके पति के नाम से इंट्रोड्यूस किया गया. जय माला ने सवाल लेने से पहले पत्रकार से पूछा कि उन्हें उनके नाम से क्यों नहीं इंट्रोड्यूस कराया गया. पत्रकार के पास इसका कोई जवाब नहीं था. ये क्लिप बहुत वायरल हो रहा है. इंटरनेट की जनता इस वीडियो की भरसक तारीफ़ कर रही है. चलिए जानते हैं बात शुरू कैसे हुई. दरअसल, कश्मीर की पैंथर्स पार्टी के संस्थापक हैं प्रोफेसर भीम सिंह. उन्होंने अपनी ही पार्टी के चेयरमैन हर्षदेव सिंह और वरिष्ठ नेता गगन प्रताप सिंह पर उन्हें तंग करने और धमकाने के आरोप लगाए हैं. इसी मसले को लेकर स्टेट समाचार नाम के स्थानीय चैनल के पत्रकार ने जय माला से बात की. इस दौरान पत्रकार ने जय माला का परिचय करवाया, जय माला के तौर पर नहीं. जय माला के पति की पत्नी के तौर पर. थोड़ा टंग ट्विस्टर हो गया, लेकिन ऐसे ही. वीडियो बार ऐंड बेंच से जुड़े मोहसीन दर ने पोस्ट किया है. पहले आप वीडियो देखिए, वीडियो में हुई बातचीत कुछ इस प्रकार है. पत्रकार: ..आज इस मसले पर बात करने के लिए प्रोफेसर भीम सिंह जी की धर्मपत्नी हमारे साथ हैं. आपका मैम बहुत-बहुत स्वागत है. जय माला: आपको मेरा नाम लेना चाहिए. आप तो बड़े ट्रेडिशनल हैं. पत्रकार: अम्म.. नाम हम्म.. जय माला. मैं नाम बता दूं मैडम का. जय माला: आप माला कह दीजिए. पत्रकार: अम्म.. दरअसल कई सारे लोगों ने आपको देखा नहीं होगा. जय माला: तब तो आपको ज़रूर पूछना चाहिए कि कौन हो तुम? पत्रकार: मतलब मैं लोगों के लिए बोल रहा हूं. थोड़ा सा उनको बता दें कि आप कहां होती हैं. जय माला: नहीं. सिर्फ़ ये कहना कि ये जो लड़की है, इसकी मां है, इतना काफ़ी नहीं है. उसका नाम भी तो है कुछ. इसके बाद पत्रकार एकदम अकबका गया. कहने को कुछ नहीं था. किसी तरह उस इंटरव्यू को संभाला. आगे जय माला ने बताया कि उन्होंने 600 केसेज़ फ़ाइल किए हैं और जीते हैं. ये भी कहा कि उन्हें पब्लिसिटी पसंद नहीं हैं. इंटरनेट पर इस वीडियो का क्लिप ख़ूब वायरल हो रहा. लोग जय माला का अपनी इंडिविजुऐलिटी का स्टैंड लेने की तारीफ़ कर रहे हैं. तान्या सिंह नाम की एक यूज़र ने लिखा,
"इंस्पायरिंग! महिला को पुरुष की पुत्री, पुरुष की पत्नी, पुरुष की मां के रूप में क्यों जाना जाता है? एक महिला में व्यक्ति के साथ क्या हुआ? मेरे पास अभी तक पैन कार्ड नहीं है, लेकिन जब भी बनेगा, मैं उस पर अपनी मां का पहला नाम रखूंगी."
एक उर्दूस्तानी नाम ट्विटर अकाउंट से लिखा गया,
"सही समय पर सही बात पर आपत्ति उतनी ही जरूरी है जितना जीवन के लिए सांस लेना! अब वो 'हिकमत' से काम लेती, अकेले में कहतीं तो हमें पता भी नहीं लगता!"
स्पीक माय हार्ट नाम के ट्विटर अकाउंट से लिखा गया,
कारण जो भी हो, अब समय आ गया है कि पुरुषों को (और महिलाओं को भी) किसी महिला को किसी पुरुष की बेटी/बहन/मां/पत्नी के रूप में संबोधित करने की अपनी बुरी आदत बंद कर देनी चाहिए. महिलाओं को यह अधिकार क्यों नहीं है कि उन्हें उनके अपने नाम से संबोधित किया जाए? 
वहीं कुछ लोगों ने इस मामले का संदर्भ साफ़ करते हुए बताया,
यह 'कॉफी विद करण' नहीं है. उनके पति पैंथर्स पार्टी के संरक्षक प्रोफेसर भीम सिंह ने पार्टी के लिए दो लोगों के खिलाफ शिकायत की है. इसी संदर्भ में उनका इंटरव्यू लिया जा रहा है. इसलिए इस संदर्भ में उनका ऐसे परिचय देना बहुत स्वाभाविक है. पत्रकार को बदनाम करने के लिए  वीडियो काट दिया.
दिल्ली हाई कोर्ट में बीते दिनों इसी तरह की घटना हुई थी. 16 फरवरी को जस्टिस रेखा पल्ली एक मामले की सुनवाई कर रही थीं. सुनवाई के दौरान एक वकील बार-बार उन्हें ‘सर’ कहकर संबोधित कर रहे थे. जस्टिस रेखा ने उन्हें टोका,
“मैं सर नहीं हूं, मुझे उम्मीद है कि आप ये देख सकते हैं.”
इसके बाद वकील ने जस्टिस पल्ली से कहा था कि ऐसा उस कुर्सी की वजह से हो रहा है जिस पर वो बैठी हैं. इसके बाद जस्टिस पल्ली ने कहा था कि तब तो आपको और ध्यान से बात करनी चाहिए. अक्सर लोग महिलाओं को उनके पिता, पति या बच्चों के नाम से संबोधित करते हैं, बिना ये सोचे कि उस महिला का अपना एक नाम है, अपनी एक अलग पहचान है.