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Diarrhea: गर्मियों में तेजी से होता है पेट का इंफेक्शन, दस्त लग जाए तो क्या करें?

गर्मियों में पेट खराब होना बहुत आम है. इस मौसम में पेट का इंफेक्शन बहुत तेजी से होता है. दस्त लग जाते हैं, उल्टियां होने लगती हैं. पेट में दर्द रहता है, बुखार तक आ जाता है. ऐसे में कुछ बातों का खास ख्याल रखने की जरूरत होती है.

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आमतौर पर डायरिया का इंफेक्शन साफ-सफाई न रखने की वजह से होता है.

फ़र्ज़ कीजिए आप घूमने गए. सड़क किनारे लगी चाट-पकौड़ी की रेहड़ी पर आपकी नज़र गई. मन मचल गया. एक-दो प्लेट निपटा दीं. फिर घर आए नहीं कि लूज़ मोशन शुरू हो गया. पेट में दर्द. उल्टियां होने लगीं. बुखार आ गया. फिर ऐसी भयंकर कमज़ोरी कि बिस्तर से उठा नहीं जा रहा. न कुछ खाने का मन कर रहा है, न पीने का.

गर्मियों के मौसम में अगर आपका पेट गड़बड़ रहता है तो आज डॉक्टर से जान लीजिए कि इस मौसम में डायरिया, पेट ख़राब क्यों होता रहता है? कौन-से ऐसे लक्षण हैं, जिन्हें देखकर डॉक्टर को दिखाना ज़रूरी है? कौन से घरेलू उपाय दस्त में थोड़ी राहत दे सकते हैं? डायरिया से बचने के लिए क्या करें? ये हमें बताया डॉ. रिंकेश कुमार बंसल ने.

गर्मियों में डायरिया, पेट ख़राब क्यों रहता है?  
डॉ. रिंकेश कुमार बंसल, एडिशनल डायरेक्टर, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, फोर्टिस, गुरुग्राम

गर्मियों में जब तापमान बढ़ता है, तब हवा में नमी आ जाती है. ऐसे में बैक्टीरिया के विकास में मदद मिलती है. विब्रियो कॉलेरी वायरस और टाइफाइड के बैक्टीरिया बहुत तेज़ी से विकसित होते हैं. ये हमारे खाने और पानी को दूषित कर देते हैं, जिनके सेवन से डायरिया हो सकता है.

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आमतौर पर जब भी ऐसे इंफेक्शन होते हैं, तब हमें दस्त लग जाते हैं. उल्टियां होने लगती हैं. पेट में दर्द रहता है. बुखार आ जाता है. अगर गला बार-बार सूख रहा हो. लगातार उल्टियां हो रही हों. बहुत तेज़ बुखार हो. यूरिन कम आ रहा हो. ब्लड प्रेशर कम हो गया हो. दिल की धड़कनें बढ़ रही हों, तो तुरंत अस्पताल जाना चाहिए. इस स्थिति में इंजेक्शन की ज़रूरत भी पड़ सकती है. 

दस्त लगने पर क्या करना चाहिए?

- अगर ऐसे लक्षण दिख रहे हों, तो खुद को हाइड्रेटेड रखें.

- ORS यानी ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशंस लें.

- इसके लिए नमक, चीनी और पानी का घोल बनाकर भी लिया जा सकता है.

- ये शरीर में पानी की कमी पूरी करेगा.

- कई बार हमें दस्त से राहत पाने के लिए प्रोबायोटिक्स लेने होते हैं.

- प्रोबायोटिक्स एक प्रकार का बैक्टीरिया है, जो खाने की कुछ चीज़ों में होता है.

- ये पाचन तंत्र में मौजूद गुड बैक्टीरिया को काम करने में मदद करते हैं.

- आमतौर पर ये इंफेक्शन वायरल होते हैं और अपने आप एक से दो दिन में ठीक हो जाते हैं.

- लेकिन इस दौरान हाइड्रेशन पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है.

डायरिया के लक्षण हों तो ORS का घोल पीते रहें

डायरिया से बचाव और इलाज

डायरिया से बचाव किया जा सकता है. आमतौर पर डायरिया का इंफेक्शन साफ-सफाई न रखने के कारण होता है. अगर किसी मरीज़ को ये इंफेक्शन हो गया है और वो सबके साथ खाना खाता है, उन्हें छूता है तो इससे भी ये इंफेक्शन किसी दूसरे को हो सकता है. इसलिए डायरिया से बचने के लिए-

- साफ़-सफ़ाई का खास ध्यान रखें. 

- ताज़ा बना हुआ खाना ही खाएं. जो बचा खाना है, उसे न खाएं. 

- खाना अच्छे से पकाएं. 

- नल के पानी का पीने के लिए इस्तेमाल ना करें. 

- कच्ची या खराब सब्ज़ियां ना खाएं. 

- जिन बर्तनों में खाना बनाते हैं, उसे अच्छे से साफ करें. बर्तन गर्म पानी से धोएं ताकि उसमें कोई इंफेक्शन न रह जाए. 

- ताज़े फल और सब्ज़ियां खाएं. खाने से पहले फल और सब्जियों को अच्छी तरह धोएं.

- टॉयलेट से आने के बाद हाथों को अच्छी तरह साबुन से धोना बहुत ज़रूरी है, ताकि जर्म्स हमारे हाथों में न रहें और हमारे शरीर में न जा पाएं. 

अगर बचाव के बाद भी दिक्कत हो रही है तो सबसे ज़्यादा ज़रूरी है ORS. डायरिया में हाइड्रेशन का ख्याल रखना बहुत जरूरी है. अच्छे हाइड्रेशन से 80 से 90 फीसदी इंफेक्शन को हमारी इम्यूनिटी ठीक कर देती है. हालांकि, अगर फिर भी चिंताजनक लक्षण रहें, तो अस्पताल जाना चाहिए. गर्मियों में इंफेक्शन होना बहुत आम है. पेट का इंफेक्शन बड़ी आसानी से हो जाता है, जिससे डायरिया हो सकता है, उल्टियां आ सकती हैं. बचाव करें तो इन दिक्कतों से आसानी से निपटा जा सकता है.

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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