(यहां बताई गईं बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
रंग-बिरंगी चीजें खातें हैं, पता भी है खाने में पड़ने वाला रंग कितना सेफ होता है?
जब भी आप मार्केट से कोई ऐसी खाने की चीज़ ख़रीदें तो कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है.
रंग-बिरंगी मिठाइयां खाने में कितनी टेस्टी होती हैं न? ऊपर चमचमाती चांदी के रंग की परत. टेस्टी! अलग-अलग कलर के केक. इन्हें तो देखते ही खाने का मन करने लगता है. ये सारी कलरफ़ुल खाने की चीज़ें देखने में जितनी प्यारी लगती हैं, आपकी सेहत के लिए उतनी ही खतरनाक हैं. सोचने वाली बात ये है कि खाने की इन चीज़ों में रंग कहां से आता है? आप कहेंगे मार्केट में फ़ूड कलरिंग बहुत आसानी से मिल जाती है. इनको खाने में मिलाने से रंग आ जाता है. सही बात है. लेकिन ये रंग बने कैसे हैं? क्या ये खाने के लिए सेफ हैं? जब भी आप मार्केट से कोई ऐसी खाने की चीज़ ख़रीदें तो कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है.
कौन सी फ़ूड कलरिंग खाना सेफ़ है?ये हमें बताया डॉक्टर देबजानी बनर्जी ने.
हमारे खाने में दो तरह के कलर इस्तेमाल होते हैं. एक नैचुरल इंग्रीडिएंट से बनता है. दूसरा सिंथेटिक डाई से बनता है. अमेरिका के FDA यानी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन विभाग के मुताबिक, 9 डाई ऐसी हैं जो खाना सेफ़ है. ये डाई हैं-
-ब्लू 1
-ब्लू 2
-सिट्रस रेट 2
-ग्रीन 3
-ऑरेंज बी
-रेड 3
-रेड 40
-येलो 5
-येलो 6
जब भी आप कोई खाने की चीज़ ख़रीदते हैं, तो उसका लेबल पढ़ना बहुत ज़रूरी है. ये देखें कि उसमें कौन सा डाई और प्रिजर्वेटिव इस्तेमाल हुआ है. इन 9 डाई के अलावा कोई और डाई इस्तेमाल हो रही है, तो वो सेहत के लिए ठीक नहीं है.
क्या नुकसान हो सकते हैं?-कभी-कभी इनसे कैंसर हो सकता है
-पेट में समस्या हो सकती है
-त्यौहारों में सिल्वर-कोटेड मिठाई खाई जाती है
-इस सिल्वर कोट में एल्युमिनियम का इस्तेमाल होता है
-कभी-कभी निकल और कुछ हैवी मेटल इस्तेमाल होते हैं जैसे कैडमियम और लेड
-रंगीन और सिल्वर-कोटेड मिठाई अवॉइड करें
-अगर आपको ऐसी मिठाई खानी पड़ रही है तो सिल्वर कोट हटाकर खाएं
-रंगीन फल खाएं
-रंगीन सब्जियां खाएं
-अगर कुछ रंगीन खा रहे हैं तो कोशिश करें कि उसमें नैचुरल कलर हो
-नहीं तो जो 9 डाई बताई गई हैं वो ही खाएं
खाने में कलर कहां से आता है, ये तो आपको पता चल गया. अब अगली बार आप फूड कलरिंग या कोई रंग-बिरंगी खाने की चीज खरीदने जाएं, तो वही लें जो डॉक्टर ने बताई हैं.
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