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स्किन ही नहीं, गर्मियों में आंखों को बचाना भी ज़रूरी, टिप्स जान लीजिए!

गर्मियों के मौसम में जैसे आप अपनी स्किन का ध्यान रखते हैं. उसे जलने और टैनिंग से बचाते हैं. ठीक वैसे ही आपको अपनी आंखों का भी ख्याल रखना ज़रूरी है. लोग भूल जाते हैं कि तेज़ गर्मी और धूप से आंखों को भी नुकसान पहुंचता है और उन्हें भी देखभाल की ज़रूरत होती है.

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गर्मियों में धूप से आंखों को गंभीर नुकसान पहुंचता है.

गर्मियों में हम अपना बड़ा ध्यान रखते हैं. खासकर स्किन का. कहीं वो टैन न हो जाए. जल न जाए. शरीर में पानी की कमी नहीं होने देते ताकि गर्मी से कहीं चक्कर न आ जाए. सिर ढक कर चलते हैं, जिससे तेज़ धूप हमें नुकसान न पहुंचा पाए. हमें लू न लग पाए. लेकिन, हमारे शरीर का एक हिस्सा ऐसा है, जो भीषण गर्मी में भी इग्नोर किया जाता है. ये हैं हमारी आंखें.

गर्मियों की तेज़ धूप हमारी आंखों के लिए बहुत नुकसानदेह होती है. पर इसके बारे में लोगों को बहुत ही कम जानकारी है. इस मौसम में हमें पसीना भी बहुत आता है. नतीजा? आंखों में इन्फेक्शन और सूखापन. ऐसे में आज डॉक्टर से जानेंगे कि तेज़ गर्मी और धूप से आंखों को क्यों और क्या नुकसान होता है? किन लोगों को इस मौसम में आंखों का ख़ास ख्याल रखना चाहिए? आंखों का बचाव कैसे करें? और, अगर आंखों में कोई समस्या हो रही है तो किस तरह का इलाज कर सकते हैं? 

तेज़ धूप, गर्मी से आंखों को किस तरह का नुकसान होता है?

ये हमें बताया डॉ. शिबल भारतीय ने.

डॉ. शिबल भारतीय, एडिशनल डायरेक्टर, ऑप्थेल्मोलॉजी, फोर्टिस, गुरुग्राम

गर्मियों में, खासतौर पर धूप की वजह से आंखों को काफ़ी नुकसान पहुंचता है. सबसे आम समस्या आंखों के सूखेपन की है. आपको आंखों में चुभन महसूस होगी. आंखें लाल हो जाएंगी. ऐसा लगेगा जैसे आंख में कुछ गिर गया है. ये सारे लक्षण आंखों में सूखेपन के हैं.

इसके अलावा गर्मियों के मौसम में आंखों में एलर्जी भी ज़्यादा होती है. ऐसा पसीने की वजह से होता है. हमारे हाथ बार-बार हमारी आंखों तक जाते हैं, इससे आंखों में इंफेक्शन हो सकता है. इसमें सबसे आम है कंजक्टिवाइटिस, जिसे आई फ्लू भी कहते हैं. साथ ही, स्टाई यानी आंख के ऊपर दाना भी हो सकता है. स्टाई होना भी गर्मियों में बहुत आम है.

अब ये तो आम बीमारियां हैं. धूप में ज़्यादा वक्त रहने के दीर्घकालिक प्रभाव ज़्यादा गंभीर हैं. जैसे मोतियाबिंद. यह उन लोगों में जल्दी होता है, जिन्होंने धूप में ज़्यादा वक्त गुज़ारा है. एज रिलेटेड मैक्यूलर डिजनरेशन, रेटिना यानी आंखों के पर्दे से जुड़ी बीमारी है. ये उनमें ज़्यादा पाई जाती है जिनका धूप में ज़्यादा वक्त गुज़रता है. अगर आप ऐसी जगह पर हैं जहां धूप बहुत तेज़ है. खासतौर पर पहाड़ों पर. जहां आपकी आंखों में सूरज की रोशनी के कारण सीधा चमक पड़ती है तो इससे फोटोकेराटाइटिस हो सकता है. यह एक बहुत ही तकलीफदेह बीमारी है जो आंखों की काली पुतली यानी कॉर्निया पर असर डालती है. 

किन लोगों को इस मौसम में आंखों का ख़ास ख्याल रखना चाहिए?

सबसे ज़्यादा ख्याल रखने की ज़रूरत बच्चों और बुज़ुर्गों को है. दोनों की ही इम्यूनिटी कम होती है और इंफेक्शन व एलर्जी की संभावना ज़्यादा होती है. बुज़ुर्गों में मोतियाबिंद और एज रिलेटेड मैक्यूलर डिजनरेशन की वजह से अधिक ख्याल रखने को कहा जाता है. इसके अलावा वो लोग जो बहुत ज़्यादा धूप में काम करते हैं. जैसे किसान या जिनका काम रोड, सेल्स या बाहर आने-जाने का है. उन लोगों को भी बहुत ख्याल रखने की ज़रूरत है. 

कॉन्टैक्ट लेंस पहनने वाले लोग भी इंफेक्शन और आंखों में रूखेपन के रिस्क पर होते हैं. जो बहुत ज़्यादा वक्त स्क्रीन देखते हुए गुज़ारते हैं, वो भी आंखों में रूखेपन के प्रति संवेदनशील होते हैं. लिहाजा इन गर्मियों में अपनी आंखों का खास ख्याल रखिए. अगर आपकी इम्यूनिटी किसी भी वजह से कम है. जैसे डायबिटीज़ है या अगर आप कोई ऐसी दवा खा रहे हैं जो इम्यूनिटी कमज़ोर कर रही है तो भी अपना खास ख्याल रखें.

आंखों को नमी देने के लिए आई ड्रॉप का इस्तेमाल करें

बचाव

ज़रूरी है कि जब भी आप घर से बाहर निकलें तो UVA और UVB, दोनों से बचाने वाले चश्मे पहनकर निकलें. अगर आप ऐसी जगह पर जा रहे हैं जहां बहुत तेज़ धूप है तो पोलराइज्ड सनग्लासेस भी आप इस्तेमाल कर सकते हैं. आप जैसे अपने हाइड्रेशन का ख्याल रखते हैं, वैसे ही आंखों को नमी देने के लिए आई ड्रॉप का इस्तेमाल कर सकते हैं. हालांकि इसके लिए पहले अपने डॉक्टर से पूछें या दवा की दुकान से प्रिजर्वेटिव फ्री लुब्रिकेटिंग आई ड्रॉप्स ले सकते हैं. अपना स्क्रीन टाइम कम से कम रखें. जितना कम वक्त आप अपने कंप्यूटर और फोन के सामने गुज़ारेंगे, उतना आपकी आंखों के लिए अच्छा है. अगर आप तैरते हैं तो कोशिश करें कि हमेशा आंखों को साफ रखने के लिए लुब्रिकेटिंग आई ड्रॉप्स का इस्तेमाल करें. अपनी आंखों का ख्याल रखें क्योंकि क्लोरीन से एलर्जी होती है और स्विमिंग पूल से इंफेक्शन बहुत ज़्यादा फैलता है

इलाज

अगर आपकी आंखों में कोई भी समस्या होती है तो जल्द से जल्द अपने डॉक्टर से संपर्क करें. जब तक आप डॉक्टर से नहीं मिल पा रहे हैं तब तक कुछ चीज़ें आप कर सकते हैं. सबसे पहले, साफ ठंडे पानी में रुई भिगोकर आंखों की सिकाई कर सकते हैं. इसके अलावा प्रिजर्वेटिव फ्री लुब्रिकेटिंग आई ड्रॉप खरीदकर उपयोग कर सकते हैं लेकिन सिर्फ़ तभी जब आपकी आंख में कोई चोट नहीं लगी है या कुछ गिरा नहीं है. 

अगर आपकी आंख में कोई चोट लग गई है या कुछ गिर गया है तो फटाफट अपने डॉक्टर के पास जाइए. अगर आंखों में कुछ गिर गया है तो उसमें पानी के छपाके न मारें. अपनी हथेली में पानी लें और उसमें आंख बार-बार खोलें और बंद करें. इससे आपकी आंखें साफ हो सकती हैं. हर हालत में डॉक्टर से ज़रूर सलाह लें.

इसके अलावा हमेशा सतर्क रहें कि जो दवा आप ले रहे हैं, उसमें कहीं कोई एंटीबायोटिक या स्टेरॉयड तो नहीं है. स्टेरॉयड ड्रॉप्स हमारे देश में बहुत आराम से मिल जाती हैं. लेकिन इनको लंबे समय तक इस्तेमाल करने के कई गंभीर नुकसान हैं. इनसे बचें क्योंकि ये बहुत सस्ती होती हैं और इनसे फायदा जल्दी होता है. इस वजह से हम इन ड्रॉप्स का बहुत ज़्यादा इस्तेमाल करते हैं.

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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