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ज्ञानवापी मामले में केस करने वाली ये 5 औरतें कौन हैं?

कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की दलील को किया खारिज, याचिका की सुनवाई होती रहेगी.

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इन्हीं पांच महिलाओं की याचिका पर शुरू हुई थी बहस (फोटो - आजतक/फाइल)

वाराणसी कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Masjid) मामले में मुस्लिम पक्ष के ऐप्लीकेशन को ख़ारिज कर दिया है. कोर्ट के आदेश के मुताबिक, मस्जिद के परिसर में श्रृंगार गौरी (Shringar Gauri) की नियमित रूप से पूजा करने की मांग के लिए जो याचिका दायर हुई है, उस पर सुनवाई जारी रहेगी. 

अब सर्वे, वीडियोग्राफी, शिवलिंग का दावा, फव्वारे का दावा, मस्जिद मंदिर की बहस तो चल ही रही है, लेकिन सबकी नजर है उन पांच महिलाओं पर, जिन्होंने रोज पूजा करने के लिए याचिका दायर की थी. ये याचिका दायर हुई थी अगस्त 2021 में. 

पांच महिलाओं की याचिका से शुरू हुई बहस

कौन हैं ये पांच महिलाएं? ये हैं राखी सिंह, सीता साहू, लक्ष्मी देवी, मंजू और रेखा पाठक. पांच याचिकाकर्ताओं में से एक दिल्ली की और बाक़ी चार महिलाएं वाराणसी की रहने वाली हैं. 

राखी सिंह
दिल्ली के हौज़ ख़ास की रहने वाली हैं. एक स्थानीय पता लखनऊ के हुसैनगंज का भी है. खबरों के मुताबिक, राखी सिंह वैदिक सनातन संघ के अध्यक्ष जितेंद्र सिंह बिसेन से जुड़ी हुई हैं. राखी के पति का नाम इंद्रजीत सिंह है.

रेखा पाठक
बनारस में एक मोहल्ला है हनुमान फाटक. ये काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी परिसर के पास ही मौजूद है. गृहणी हैं. जब 12 सितंबर को कोर्ट का फैसला आया तो स्थानीय मीडिया से बात करते हुए रेखा ने कहा,"फ़ैसला हमारे पक्ष में है. हम लोग बहुत ख़ुश हैं. आज हमलोगों ने इतिहास रच दिया है."

मंजू व्यास 
बनारस में ही एक घाट राम घाट. खबरों के मुताबिक मंजू व्यास इसी इलाके की रहने वाली हैं. पति का बिज़नेस है. और 12 सितंबर को जब कोर्ट द्वारा केस को पोषणीय बनाया गया तो मंजू व्यास ने कहा, “आज भारत खुश है”

लक्ष्मी देवी 
बनारस के महमूरगंज मोहल्ले में रहती हैं. पति डाक्टर हैं. नाम है, सोहन लाल आर्य. खबरों के मुताबिक, इसी मामले में सोहनलाल आर्य ने 1996 में भी एक याचिका दायर की थी. उनकी याचिका पर ज्ञानवापी का निरीक्षण भी हुआ था पर सर्वे नहीं हो पाया था. 

सीता साहू
बनारस में एक मोहल्ला है सरायगोवर्धन. वहां रहती हैं. पति के साथ एक जनरल स्टोर चलाती हैं, जो मस्जिद परिसर से केवल 2 किलोमीटर दूर है. बातचीत में कहा कि वो चाहती थीं कि शृंगार गौरी के मंदिर में रोज पूजा हो, इसलिए उन्होंने याचिका दायर की.

ज्ञानवापी मस्जिद इतिहास पर इतिहासकारों की क्या राय?