ज़मीन पर पैर घिसकर चलना, एक बहुत ही आम सी आदत है. पर कई बार, कुछ लोग केवल आदत से मजबूर नहीं होते. ऐसा होने के पीछे फुट ड्रॉप (Foot Drop) जैसी समस्या ज़िम्मेदार होती है. इसमें पंजों की मांसपेशियां या तो इतनी कमज़ोर हो जाती हैं कि इंसान अपना पैर ठीक तरह से ऊपर उठाकर नहीं चल पाता या नर्व में कोई दिक्कत आ जाती है. नतीजा? ज़मीन पर पैर घिसकर चलना. तो चलिए डॉक्टर से जानते हैं कि फुट ड्रॉप आखिर है क्या, इसके पीछे क्या कारण होते हैं और इसका इलाज क्या है?
जमीन पर पैर घिसटते हुए चलना ठीक नहीं, Foot Drop हो सकती है वजह
इसमें पंजों की मांसपेशियां या तो इतनी कमज़ोर हो जाती हैं कि इंसान अपना पैर ठीक तरह से ऊपर उठाकर नहीं चल पाता या नर्व में कोई दिक्कत आ जाती है. नतीजा? ज़मीन पर पैर घिसकर चलना.


ये हमें बताया डॉ आशीष चौधरी ने.

- कई बार कुछ कारणों की वजह से मरीज़ों का पैर (पंजा) ऊपर उठना बंद हो जाता है. इस वजह से मरीज़ को चलने में दिक्कत होती है.
- जिस पैर में दिक्कत होती है, वो ऊपर नहीं उठ पाता और ज़मीन से या सीढ़ियों से टकराता है, जिससे मरीज़ के गिरने का खतरा होता है.
कारण- वैसे तो फुट ड्रॉप कई कारणों से होता है लेकिन आमतौर पर तीन कारण दिखते हैं.
- पहली वजह है न्यूरोलॉजिकल दिक्कत, यानी दिमाग और नर्वस सिस्टम से जुड़ी बीमारियों की वजह से फुट ड्रॉप हो जाता है.
- जैसे कि कमर के निचले हिस्से में दर्द होना या डिस्क में दर्द होना.
- इस वजह से अगर रीढ़ की हड्डी की डिस्क कहीं पर भी नस को दबाती है तो फुट ड्रॉप हो सकता है.
- कई और बीमारियां जैसे मल्टीपल स्क्लेरोसिस (Multiple Sclerosis) में नसें कमजोर होकर सूख जाती हैं.
- इस वजह से फुट ड्रॉप के साथ-साथ शरीर के दूसरे अंगों में भी दिक्कत आ सकती है.
- दूसरी वजह है ऑपरेशन के बाद फुट ड्रॉप होना.
- कूल्हे या रीढ़ के हिस्से के ऑपरेशन के वक्त किसी नस पर दबाव पड़ता है. डिस्क अगर पूरी तरह से नहीं निकल पाए तो ऐसे में फुट ड्रॉप की समस्या आ जाती है.
- ये भी देखा गया है कि घुटने के ऑपरेशन, जॉइंट या घुटने का रिप्लेसमेंट या फ्रैक्चर होने पर प्लेट्स लगाई जाती हैं.
- इस दौरान CPN नाम की एक नस के कटने या खिंचने का खतरा होता है. इस नस को नुकसान पहुंचने से फुट ड्रॉप हो सकता है.
- तीसरी वजह किसी चोट के बाद फुट ड्रॉप होना. जैसे कि घुटना खिसकने के बाद होता है.
- एक नस है जो रीढ़, कूल्हे या घुटने के पास से गुजरती है. इनमें से कहीं पर भी चोट लगेगी तो फुट ड्रॉप हो सकता है.
- पैर का पंजा कभी-कभी एक या दोनों दिशाओं में काम नहीं करता और मरीज़ पैर को उठा नहीं पाता है.
लक्षण- जिस मरीज़ को फुट ड्रॉप की दिक्कत होती है वो पैर को ज़्यादा ऊपर उठाकर चलता है.
- यानी जो पैर अपने आप उठ रहा था, फुट ड्रॉप की वजह से वो नीचे लटक गया है.
- चलने के दौरान वो कहीं अड़े नहीं, इसलिए मरीज़ पैर को ज़्यादा ऊपर उठाकर चलता है.
- कई बार मरीज़ का बैलेंस बिगड़ जाता है और उसके गिरने का खतरा होता है.
- फुट ड्रॉप होने की वजह से मरीज़ पैर में कुछ महसूस भी नहीं कर पाता. मरीज़ को पैरों पर छूने का, ठंडे-गर्म जैसा कुछ महसूस नहीं होता.
- आमतौर पर मरीज़ 70 प्रतिशत तक उस हिस्से में कुछ भी महसूस नहीं कर पाता.
- इसके चलते मरीज़ किसी गर्म चीज पर या किसी कील पर पैर रख देता है और उसे पता ही नहीं चल पाता. इस वजह से मरीज़ को चोट भी लग सकती है.
इलाज- फुट ड्रॉप का इलाज कारण पर निर्भर करता है.
- कमर, कूल्हे या घुटने के किसी हिस्से में अगर नस दब रही है तो उस दबाव को कम करना होगा.
- जैसे कि डिस्क के कारण फुट ड्रॉप हो रहा है तो वहां से नस पर दबाव कम किया जाएगा.
- अगर कूल्हे या घुटने के आसपास नस दबती है या खिंचती है तो वहां के दबाव को कम किया जाता है.
- मल्टीपल स्क्लेरोसिस जैसी न्यूरोलॉजिकल दिक्कत ठीक नहीं हो सकती. लेकिन इसमें फिजियोथेरेपी और मशीनों की मदद से फुट ड्रॉप को कम या पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है.
- अगर फुट ड्रॉप ऑपरेशन या फ्रैक्चर की वजह से हुआ है तो ये चोट के ठीक होने से ठीक हो जाता है.
- इसे ठीक होने में 6 महीने से 1 साल तक का समय लग सकता है. लेकिन अगर एक साल के बाद भी समस्या ठीक नहीं हुई तो इसका इलाज किया जाता है.
- इलाज में या तो फुट ड्रॉप रोकने के लिए उस जोड़ को ब्लॉक कर दिया जाता है या फिर नस को दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया जाता है.
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)













.webp)

.webp)
.webp)

.webp)
