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गुम चोट में बर्फ की सिकाई करना सही है या गर्म सिकाई? क्या कुछ खतरा भी है?

अगर गलत सिकाई कर दी तो दर्द से राहत मिलने की जगह समस्या और भी बढ़ सकती है.

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गुम चोट पर गर्म नहीं ठंडी सिकाई करनी चाहिए (सांकेतिक फोटो)

गुम चोट लगने पर हम दर्द से राहत पाने के लिए हॉट वॉटर से सिकाई कर लेते हैं. लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं करना चाहिए. क्योंकि गर्म सिकाई करने से चोट वाले हिस्से में स्किन के अंदर खून के थक्के जम जाते हैं. इसलिए हर इंसान को ये पता होना चाहिए कि किस तरह की चोट पर, कौन सी सिकाई करनी है, कैसे करनी है और कब तक करनी है. क्योंकि गलत सिकाई करने से दिक्कत और ज़्यादा बढ़ सकती है. जानिए इस बारे में डॉक्टर्स क्या कहते हैं.

ठंडी/बर्फ़ की सिकाई कब करनी चाहिए?

ये हमें बताया डॉक्टर मीनाक्षी फुलारा ने.

(डॉक्टर मीनाक्षी फुलारा, हेड, फिजियोथेरेपी, आकाश हेल्थकेयर.)

ठंडी सिकाई करने से थोड़ी देर के लिए शरीर के उस हिस्से में खून का बहाव रुक जाता है. फिर कुछ देर बाद तेजी से खून का बहाव बढ़ता है, इससे पम्पिंग एक्शन बढ़ जाता है. इससे चोट वाले हिस्से में दर्द, जलन और सूजन खत्म हो जाती है. यानी साधारण शब्दों में कहें तो दर्द खत्म हो जाता है.

कितनी बार ठंडी सिकाई करनी चाहिए?

अगर आपको कोई एक्यूट इंजरी होती है यानी अचानक से चोट लगती है. जैसे चलते-चलते गिर गए, किसी स्पोर्ट्स पर्सन या फुटबॉल खिलाड़ी के घुटने में कोई चोट लग गई, भागते हुए पैर मुड़ जाए, गर्दन में स्प्रेन या स्ट्रेन हो जाए, यानी जिस चोट में अचानक से दर्द हो, तो वहां पर ठंडी सिकाई की जाती है. या शरीर के किसी जोड़ में सुबह उठने पर सूजन आ जाए. ऐसा लगे कि उसमें पानी भर गया है या छूने में गर्म लग रहा है, ऐसी स्थिति में भी ठंडी सिकाई की जाएगी. दर्द होने के 48 से 72 घंटों के अंदर ठंडी सिकाई करनी चाहिए. 3 से 4 घंटे के गैप में 10 से 15 मिनट के लिए ठंडी सिकाई करनी चाहिए.

लेकिन कई बार बिजी होने के कारण बार-बार सिकाई नहीं कर पाते. ऐसे में कम से कम दिन में 3 से 4 बार, 10-15 मिनट के लिए ठंडी सिकाई करनी चाहिए. इस तरह से बार-बार चोट वाले हिस्से की ठंडी सिकाई करने से जलन कम होती है. धीरे-धीरे 3 से 4 दिन के बाद आप गर्म सिकाई की तरफ जा सकते हैं. कभी-कभी कुछ मामलों में मरीजों को ज्यादा समय तक ठंडी सिकाई करने के लिए बोला जाता है. जैसे कि सॉफ्ट टिशू में चोट हो, कंधे का लिगामेंट या कोई मसल टूटी हो या घुटने का लिगामेंट टूटा हो. ऐसी स्थिति में गर्म सिकाई की सलाह तब तक नहीं दी जाती, जब तक वो चोट पूरी तरह से ठीक नहीं हो जाती. या फिर कोई सर्जरी हुई है, लिगामेंट को रिपेयर किया गया है, रिप्लेसमेंट हुआ है या रीढ़ की हड्डी की सर्जरी हुई है. ऐसे जॉइंट्स में अचानक दर्द हो सकता है, वहां गर्माहट और जलन होती है. ऐसी जगह पर भी ठंडी सिकाई ही की जाती है.

गर्म सिकाई कब करनी चाहिए?

जब भी मांसपेशियों में जकड़न, दर्द और जोड़ों में जकड़न होती है या लंबे समय से दर्द है. जैसे कई मरीजों को सुबह सोकर उठाने के बाद कमर या गर्दन में जकड़न महसूस होती है. कूल्हों में और जांघ के पिछले हिस्से में दर्द होता है. हैमस्ट्रिंग्स में दर्द होता है, भागने के बाद पिंडली में दर्द होता है. ऐसे मामलों में गर्म सिकाई की जाती है. दिन में 2 से 3 बार गर्म सिकाई करनी चाहिए. 10 से 15 मिनट तक गर्म पानी से सिकाई कर सकते हैं. गर्म सिकाई दो तरीके से होती है- मॉइस्ट हीट और ड्राई हीट. अगर आप घर पर मॉइस्ट हीट सिकाई कर रहे हैं तो गर्म पानी में तौलिया भिगोएं. तौलिए के अच्छे से गर्म होने पर आप उसे अपनी पीठ और गर्दन पर या दर्द वाले हिस्से पर 15 से 20 मिनट तक रखें. मॉइस्ट हीट का बहुत अच्छा असर होता है क्योंकि ये आपके पोर्स को एक्टिवेट करता है और मांसपेशियों को राहत देता है.

गलत सिकाई करने पर क्या होगा?

जैसे किसी का कंधा जाम है, इसे अंग्रेज़ी में Adhesive Capsulitis कहते हैं. ऐसे मामलों में कई बार लोग गर्म पानी से सिकाई कर देते हैं. ये एक इन्फ्लेमेट्री कंडीशन है यानी अंदर पहले से सूजन है और जॉइंट जकड़ा हुआ है. ऐसे में गर्म पानी से सिकाई करने पर सूजन और दर्द बढ़ जाएगा. यानी ठंडी सिकाई की जगह अगर गर्म सिकाई की तो दर्द, सूजन और दर्द पर होने वाला रिएक्शन एकदम से बढ़ जाएगा.

(यहां बताई गईं बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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