हमें सेहत पर मेल आया है प्रदीप का. 40 साल के हैं और पिछले कुछ समय से पेट दर्द से काफी परेशान हैं. ये दर्द उनको पेट के दाईं तरफ़ महसूस होता था. उन्होनें हफ्तों टाला और डॉक्टर को नहीं दिखाया, ये सोचकर कि गैस की वजह से ये दिक्कत हो रही होगी. पर जब उन्हें उल्टियां होने लगीं तो प्रदीप को लगा मामला सीरियस फूड पॉइज़निंग का हो सकता है. पर जब डॉक्टर को दिखाया और जांच हुई तो मालूम चला कि ऐसा गैस के कारण नहीं, बल्कि लिवर की खराबी के कारण हो रहा था. उन्हें फैटी लिवर की समस्या थी. फैटी लिवर हमारे देश में एक बहुत ही आम समस्या है. इसका शुरुआती लक्षण है पेट में दर्द. पर लोग अक्सर इसे गैस, कब्ज या कुछ गलत खाने के बाद होने वाले दर्द से कन्फ्यूज करते हैं. जब मामला थोड़ा गंभीर हो जाता है, तब डॉक्टर के पास जाते हैं. चलिए डॉक्टर से जानते हैं कि फैटी लिवर का दर्द नॉर्मल पेट दर्द से कैसे अलग है. लेकिन इससे पहले ये जानना जरूरी है कि फैटी लिवर होता क्या है और क्यों होता है.
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शराब के सेवन, खराब लाइफस्टाइल और कुछ दवाइयों की वजह से फैटी लिवर (Fatty Liver) की समस्या हो सकती है. लेकिन घबराएं नहीं, लाइफस्टाइल में सुधार करने से इस समस्या से बचा जा सकता है.

ये हमें बताया डॉ सुखविंदर सिंह सग्गू ने.

'फैटी लिवर' बीमारी में शरीर का एक्स्ट्रा फैट लिवर पर जमा हो जाता है. इस वजह से दूसरी बीमारियां होने लगती हैं. शराब के सेवन की वजह से फैटी लिवर की समस्या हो सकती है. हेपेटाइटिस B और हेपेटाइटिस C की वजह से भी ये समस्या हो सकती है. कुछ दवाइयों की वजह से भी फैटी लिवर की समस्या हो सकती है. खराब लाइफस्टाइल, एक्सरसाइज़ न करना और ज्यादा कैलोरीज खाने की वजह से भी लिवर फैटी हो सकता है. शराब की वजह से अगर फैटी लिवर हुआ है तो उसे ऐल्कोहॉलिक फैटी लिवर कहा जाता है. अगर मोटापे, डायबिटीज या तनाव यानी खराब लाइफस्टाइल की वजह से लिवर फैटी हुआ है तो उसे 'नॉन-ऐल्कोहॉलिक फैटी लिवर' कहा जाता है. इलाज न होने पर फैटी लिवर की चार स्टेज सामने आती हैं.
- पहली स्टेज में फैटी लिवर होता है, ये एल्कोहॉलिक और नॉन-एल्कोहॉलिक दोनों हो सकता है. इस स्टेज को 'प्लेन स्टीटोसिस' (Plain Steatosis) भी कहा जाता है.
- अगर इसका इलाज नहीं हुआ तो आगे चलकर ये लिवर की कोशिकाओं में सूजन पैदा करता है. इस वजह से हेपेटाइटिस हो जाता है, ये दूसरी स्टेज है. फैटी लिवर के 15 से 20 प्रतिशत मरीजों को ये समस्या होती है. इसे नॉन-एल्कोहॉलिक स्टीटोहेपेटाइटिस (steatohepatitis) कहा जाता है.
- दूसरी स्टेज पर इलाज नहीं हुआ तो लिवर की कोशिकाओं में घाव हो जाते हैं. इस वजह से लिवर सिरोसिस हो जाता है, ये तीसरी स्टेज है.
- लिवर सिरोसिस आगे चलकर लिवर कैंसर का रूप भी ले सकता है, ये चौथी स्टेज होती है.
- ऐसे में मरीज को पहली स्टेज यानी फैटी लिवर होने पर ही डॉक्टर के पास चले जाना चाहिए.
लक्षणशुरुआत में फैटी लिवर के ज्यादा लक्षण नहीं दिखते. कुछ समय बाद मरीजों को पेट की दाईं तरफ के ऊपरी हिस्से में दर्द शुरू होता है.
- मरीज को मितली और उल्टी भी हो सकती है, थकान हो सकती है
- काम करने का मन नहीं करता, भूख नहीं लगती, वजन तेजी से घटता है.
- समस्या बढ़ने पर पैरों में सूजन भी आने लगती है.
- स्टीटोहेपेटाइटिस या लिवर सिरोसिस होने पर शरीर पीला पड़ जाता है, पीले रंग का पेशाब आना, पीलिया हो जाना.
- फैटी लिवर की समस्या ज्यादा बढ़ने पर शरीर पर खुजली भी शुरू हो जाती है
बचावअगर एल्कोहॉलिक फैटी लिवर है तो शराब बिल्कुल बंद कर दें. फैटी लिवर को कंट्रोल भी कर सकते हैं और ठीक भी कर सकते हैं. अगर नॉन-एल्कोहॉलिक फैटी लिवर हो तो लाइफस्टाइल सुधारें. रोजाना करीब 30 मिनट तेज-तेज चलें. एक्सरसाइज़ और योग करें. इससे वजन भी कम होगा और फैटी लिवर की समस्या भी ठीक होगी. अगर डायबिटीज है तो इसे कंट्रोल करें. हाई बीपी या कोलेस्ट्रॉल है तो इन्हें कंट्रोल करें. इन टिप्स को फॉलो करने से फैटी लिवर से बचाव किया जा सकता है.
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)