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दुर्गा नारायण भागवत: वो मराठी लेखिका जिन्होंने सरकार के सारे सम्मान ठुकरा दिए

साहित्य में इतिहास रचा, इमरजेंसी के खिलाफ खड़ी हुईं, ज्ञानपीठ लेने से इनकार कर दिया.

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दुर्गा के पिता नारायण भागवत और चाचा माधव भागवत दोनों ही साइंटिस्ट थे. उनकी बहन कमला भी साइंटिस्ट बनीं. (तस्वीर: विकिमीडिया)
10 फरवरी, 1910.
जगह: बड़ौदा
नारायण भागवत के घर एक लड़की का जन्म हुआ. ये उनकी पहली बेटी थी. बड़े प्यार से उन्होंने उसका नाम दुर्गा रखा. उन्हें पता नहीं था, कि दुर्गा आगे चलकर इतिहास रचने वाली हैं.
गांधी जी के विचारों से प्रभावित दुर्गा ने आज़ादी की लड़ाई में भी हिस्सा लिया. लेकिन ज्यादा समय तक उसमें शामिल नहीं हो पाईं. उन्होंने निर्णय लिया कि वो अपनी पढ़ाई जारी रखेंगी. सेंट जेवियर्स कॉलेज में उन्होंने एडमिशन ले लिया. वहां पढ़ाई के दौरान भी उन्होंने खादी पहनना नहीं छोड़ा. अपनी रिसर्च के लिए वो मध्य प्रदेश गईं. जनजातियों के जीवन पर स्टडी करने. वहां पर उनकी तबीयत खराब हो गई. फ़ूड पॉयजनिंग का मामला था. छह साल वो बिस्तर पर रहीं. उन्हें अपनी पीएचडी छोड़नी पड़ी.
Durga Bhagwat 1 दुर्गा ने आजीवन शादी नहीं की. (तस्वीर: विकिमीडिया)

लेकिन बिस्तर पर पड़े-पड़े भी उन्होंने लिखना-पढ़ना नहीं छोड़ा. बदलते मौसम को ध्यान से देखती रहीं. प्रकृति में आने वाले बदलावों को नोट करती रहीं.  बाद में उन्होंने इस पर किताब लिखी जिसका नाम ऋतुचक्र था. ये उनकी सबसे मशहूर किताबों में से एक है. इसमें भारत के सभी मौसमों और उनकी खासियत के बारे में जानकारी दी गई है. ख़ास तौर पर पेड़-पौधों और फूलों पर अलग-अलग ऋतुओं का क्या असर पड़ता है, ये काफी डिटेल में बताया गया है.
दुर्गा 1975 में हुए मराठी साहित्य सम्मेलन की अध्यक्ष भी बनीं. कुसुमावती देशपांडे के बाद वो दूसरी महिला थीं इस पद पर पहुंचने वाली. उस समय उन्होंने इंदिरा गांधी द्वारा लगाई गई इमरजेंसी का भी विरोध किया. जयप्रकाश नारायण की गिरफ़्तारी का विरोध किया. इस वजह से जेल भी भेजी गईं. 1977 में इमरजेंसी ख़त्म हुई तो दुर्गा ने कांग्रेस के खिलाफ प्रचार शुरू किया. ताउम्र उस पार्टी के खिलाफ रहीं. जब जनता पार्टी की सरकार आई, तब उन्होंने दुर्गा को सरकारी पद की पेशकश की. लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया. यही नहीं, उन्होंने पूरी उम्र किसी भी सरकार से कोई अनुदान या सम्मान नहीं लिया. ज्ञानपीठ सम्मान तक को नकार दिया.
Durga Bhagwat 2 दुर्गा को मराठी साहित्य की सरस्वती भी कहते हैं कुछ लोग, क्योंकि उन्होंने काफी सारे क्षेत्रों में लिखा-पढ़ा. उन्हें कई भाषाएं भी आती थीं, ऐसा पढ़ने को मिलता है.(तस्वीर: ट्विटर)

आजीवन शादी नहीं की. गौतम बुद्ध, आदि शंकराचार्य को अपना आइडल मानती थीं. बच्चों का साहित्य भी लिखा. धर्मों, उनके साहित्य, और उनकी परम्पराओं को लेकर उन्होंने कई आर्टिकल लिखे, जिनका कलेक्शन पाइस नाम से छपा. महाभारत को उन्होंने जिस तरह पढ़ा, उसके बारे में भी उन्होंने व्यास पर्व नाम से किताब लिखी. धर्म से जुड़ा बौद्ध साहित्य भी उन्होंने पढ़ा. खाना बनाने और हस्तकला पर भी उन्होंने कई आर्टिकल लिखे. 2002 में दुर्गा गुज़र गईं. तारीख थी 7 मई.
उनकी छोटी बहन कमला सोहोनी भी बेहद टैलेंटेड और मेहनती थीं. उनके नाम भी साइंस में देश की पहली महिला पीएचडी होल्डर होने का तमगा है.


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