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गलत होने पर लड़की पर ही सवाल उठाने वाले इस IAS की बातें सुनें, आंखें खुल जाएंगी

बिहार का ज़िला पूर्णियां. यहां के ज़िला अधिकारी हैं राहुल कुमार. राहुल ने ट्विटर पर एक वाकिये के ज़रिए 'बर्डन ऑफ़ शेम' पर बात की. पत्रकार से लेकर पब्लिक इंटिलेक्चुअल्स तक, सभी ने इतनी संजीदा बात को इतनी सहजता के साथ कह देने के लिए ज़िला अधिकारी की सराहना की है.

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पत्रकार से लेकर पब्लिक इंटिलेक्चुअल्स तक, सभी ने इतनी संजीदा बात को इतनी सहजता के साथ कह देने के लिए ज़िला अधिकारी की सराहना की है. (फोटो - ट्विटर)

'बर्डन ऑफ़ शेम'. अंग्रेजी का ये फ्रेज़ जितना भारी भरकम है, हमारे समाज में उतना ही इसका बोझ भी है. बर्डन ऑफ़ शेम यानी शर्म का बोझ. लेकिन इस मसले की गंभीरता को हम सिर्फ ट्रांसलेशन के भरोसे नहीं छोड़ सकते. जिस दुनिया में हम रहते हैं, वहां इसका बोझ को सिर्फ़ एक तरफ ही झुका दिखाई देता है. ये एक ऐसा मसला है, जिसपर कभी कोई बात करना ज़रूरी नहीं समझता.

बिहार का ज़िला पूर्णियां. यहां के ज़िला अधिकारी हैं राहुल कुमार. राहुल ने ट्विटर पर एक वाकिये के ज़रिए इस मसले पर बात की. ट्वीट्स की एक सीरीज़ पोस्ट की, जिसे थ्रेड भी कहते हैं.

आज शाम कार्यालय में एक व्यक्ति से मुलाक़ात हुई। उन्होंने बहुत परेशानी की हालत में बताया कि उनकी बेटी के पूर्व प्रेमी ने पुरानी Video chat की रिकॉर्डिंग वाइरल करने की धमकी देकर पूरे परिवार को परेशान कर रखा है। यहाँ तक की उसने वह video उन्हें (लड़की के पिता को) भी भेज दी।

— Rahul Kumar (@rahulias6) April 8, 2022

थ्रेड में IAS अधिकारी ने बताया कि एक व्यक्ति ऑफिस में उनसे मिला और बताया कि उसकी बेटी का पूर्व प्रेमी उन्हें परेशान कर रहा है. बेटी के पूर्व प्रेमी ने उनकी पर्सनल चैट्स की एक वीडियो रिकॉर्डिंग की है और इसी वीडियो से उन्हें ब्लैकमेल कर रहा है. यहां तक कि उसने वो वीडियो उन्हें  यानी लड़की के पिता को भी भेजा  है.

इसके बाद राहुल ने बताया कि वो शख्स रोने लगा और उनसे कहा, "हमारा परिवार 'वैसा' परिवार नहीं है, हमारी इज़्ज़त चली जाएगी."

मजिस्ट्रेट के साथ बैठे पुलिस अधीक्षक ने उनसे उस लड़के की डिटेल्स ले ली और, मामले में सख़्त क़ानूनी कार्रवाई करने का यक़ीन दिलाया. इसके बाद, जिलाधिकारी ने जो कहा, वो सबको पढ़ना चाहिए.

"मैंने उनसे कहा कि कोई भी परिवार ‘वैसा’ परिवार नहीं होता और ऐसी घटना किसी के भी साथ हो सकती है. इसलिए सबसे पहले इज़्ज़त जाने के भय को दिल से निकालना होगा.

फिर सोचा कि इज़्ज़त की पूरी अवधारणा कितनी पितृसत्तात्मक है और कैसे इज़्ज़त का पूरा बोझ आरोपी की जगह पीड़िता पर आ जाता है. विडम्बना यह है कि पितृसत्ता स्त्रियों के साथ साथ पुरुषों को भी अपना शिकार बना लेती है.

वो पिता अपनी बेटी के साथ हो रहे अपराध पर यथोचित प्रतिक्रिया देने की जगह समाज में इज़्ज़त को लेकर बेबस और लाचार नज़र आ रहा था. ख़ैर, साइबर बुलईंग को बर्दाश्त न करें. आपकी चुप्पी आपकी ‘इज़्ज़त’ बचाए न बचाए, ऐसे आपराधिक तत्वों की हिम्मत ज़रूर बढ़ा देती है."

अब आप समझ गए होंगे कि बर्डन ऑफ़ शेम का मतलब क्या और इसकी जड़ें कहां से जुड़ी हुई हैं. पितृसत्ता. पितृसत्ता का सीधा मतलब ऐसी व्यवस्था है, जो सिर्फ पुरुषों के फायदे के हिसाब से काम करे. इस व्यवस्था के तहत महिलाओं को बराबर नहीं समझा जाता. यहीं से उनके ऊपर बर्डन ऑफ शेम को लाद दिया जाता है.

इंटरनेट पर राहुल के इस ट्वीट थ्रेड की ख़ूब तारीफ़ हो रही है. पत्रकार से ले कर पब्लिक इंटिलेक्चुअल्स तक, सभी ने इतनी संजीदा बात को इतनी सहजता के साथ कह देने के लिए ज़िला अधिकारी की सराहना की है. IAS एसोसिएशन ने भी इस बात की तारीफ़ की गई है. एसोसिएशन की तरफ से कहा गया कि पूर्णिया के डीएम को साइबर बुलईंग के विक्टिम्स की मदद करने के लिए सलाम. समाज को ऐसे अपराधों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठानी चाहिए और पीड़ित परिवार के सम्मान (इज्जत) के नाम पर चुपचाप पीड़ित नहीं होना चाहिए.

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