अभिषेक 26 साल के हैं. रोज जिम जाते हैं. करीब एक हफ्ता पहले वो जिम में एक्सरसाइज़ कर रहे थे तभी उन्हें सीने में दर्द हुआ. आजकल जिम करने के दौरान कई लोगों को हार्ट अटैक (Heart attack in Gym) आ जाता है. अभिषेक को भी यही लगा, इसलिए उस दिन वो जल्दी घर चले गए. लेकिन उनकी सीने में दर्द कम नहीं हुआ. और सांस के साथ उन्हें लगातार दर्द हो रहा था. वो डॉक्टर के पास गए, जहां जांच के बाद डॉक्टर ने उन्हें बताया कि उन्हें कॉस्टोकॉन्ड्राइटिस (Costochondritis) की समस्या हो गई है. अभिषेक का मेल पढ़ने के बाद हमने डॉक्टर से पूछा कि कॉस्टोकॉन्ड्राइटिस क्या है और इसका इलाज क्या है? जानिए डॉक्टर ने क्या बताया-
सांस लेने पर सीने में होता है हार्ट अटैक जैसा दर्द? जिम जाने वाले ये जरूर पढ़ें
कई बार वर्कआउट के दौरान जिम जाने वाले लोग और खिलाड़ियों की मांसपेशियों पर जोर पड़ता है, इस वजह से भी कार्टिलेज पर सूजन आ सकती है.
ये हमें बताया डॉ इक्षित अग्रवाल ने.
पसलियों को छाती से जोड़ने वाली कार्टिलेज में आई सूजन को कॉस्टोकॉन्ड्राइटिस कहते हैं. ये समस्या आमतौर पर 20 से 40 साल के लोगों में होती है.
> छाती में दर्द
> पसलियों में दर्द
> और गहरी लंबी सांस लेने पर दर्द होना
> ये समस्या किस वजह से होती है इसे निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता.
> कई बार मरीज की छाती में चोट लग जाती है, जैसे छाती पर कोई हल्की चोट या बार-बार चोट लगना.
> इस वजह से कार्टिलेज में सूजन आ जाती है.
> कई बार वर्कआउट के दौरान जिम जाने वाले लोग और खिलाड़ियों की मांसपेशियों पर जोर पड़ता है, इस वजह से भी कार्टिलेज पर सूजन आ सकती है.
> जिन मरीजों को लंबे समय से खांसी है, बार-बार खांसने से कार्टिलेज पर प्रेशर पड़ने से सूजन आ सकती है.
> कई बार इंफेक्शन के कारण भी कॉस्टोकॉन्ड्राइटिस की समस्या हो सकती है.
> यानी ये समस्या किसी भी कारण से हो सकती है.
> अगर मरीज को छाती में दर्द की शिकायत है, तो ये जांच की जाती है कि उसे हार्ट अटैक तो नहीं आ रहा.
> मरीज को लंबी सांस लेने में कोई दिक्कत तो नहीं हो रही, इसकी जांच भी की जाती है.
> ताकि ये पता लगाया जा सके कि कोई फेफड़ों से जुड़ी बीमारी तो नहीं.
इलाज> इस बीमारी के इलाज में सबसे पहले ECG कराया जाता है.
> ECG से पता चल जाता है कि मरीज को एंजाइना (Angina) यानी दिल से जुड़ी समस्या तो नहीं.
> छाती में कोई अंदरूनी समस्या तो नहीं इसके लिए एक्स-रे कराया जाता है.
> साथ ही सीने में कोई इंफेक्शन तो नहीं इसके लिए भी खून की जांच कराई जाती है.
> इस बीमारी के इलाज में मरीज को पेन किलर्स दिए जाते हैं, जिन्हें NSAID (Non-steroidal anti-inflammatory drugs) कहा जाता है.
> इन दवाइयों के अलावा गर्म सिकाई से भी राहत मिलती है.
> साथ ही मांसपेशियों की स्ट्रेचिंग से भी इस बीमारी में आराम मिलता है.
> कई बार छाती में दर्द होने से मरीजों को लगता है कि हार्ट अटैक आ रहा है.
> ऐसे में सबसे पहले हार्ट अटैक है या नहीं इसकी जांच की जाती है.
> इस बीमारी में जान का खतरा नहीं होता और इसका इलाज मुमकिन है.
> आमतौर पर 2 से 3 हफ्तों में ये बीमारी ठीक हो जाती है.
> कुछ लोगों में ये समस्या 1 या 2 महीने तक रह सकती है, लेकिन इलाज के बाद ठीक हो जाती है.
तो अगर एक्सरसाइज़ करते समय आपको छाती में दर्द हो तो एक बार डॉक्टर को जरूर दिखाएं. ताकि दर्द किस वजह से हो रहा है इसका पता लगाया जा सके. और अगर कॉस्टोकॉन्ड्राइटिस की समस्या है तो घबराएं नहीं. इसका इलाज मुमकिन है.
(यहां बताई गईं बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
वीडियो: सेहत: AIIMS के पूर्व डायरेक्टर डॉ रणदीप गुलेरिया ने कोविड-19 पर बड़ी बात कह दी