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गोद में लैपटॉप चलाने से पुरुषों को अंडकोष कैंसर हो सकता है?

अगर आप गोद में लैपटॉप लेकर बैठ गए तो समय का ख्याल रखना ज़रूरी है. आप चाहे पढ़ाई कर रहे हों, ऑफिस का काम कर रहे हों या पिक्चर देख रहे हों, एक बार गोद में लैपटॉप रखकर बैठ गए तो घंटों का पता ही नहीं चलता.

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हममें से ज़्यादातर लोगों को गोद में लैपटॉप रखकर काम करने की आदत होती है. इस आदत का आपकी सेहत पर क्या असर पड़ता है ये भी जान लीजिए

हम में से ज़्यादातर लोगों को गोद में लैपटॉप रखकर काम करने की आदत होती है. आप चाहे पढ़ाई कर रहे हों, ऑफिस का काम कर रहे हों या पिक्चर देख रहे हों, एक बार गोद में लैपटॉप रखकर बैठ गए तो घंटों का पता ही नहीं चलता. आपके साथ भी ऐसा होता है न?

हमारी व्यूअर हैं प्रतिभा. उन्होंने इसी से जुड़ा एक बहुत ही अहम सवाल पूछा है. शायद आपने भी बहुत बार ये बात सुनी हो. क्या? यही कि गोद में लैपटॉप रखकर काम करने से कैंसर हो सकता है? महिलाओं को ओवरी या गर्भाशय का कैंसर हो सकता है. पुरुषों में अंडकोष का. उनके स्पर्म पर इसका असर पड़ता है. ऐसी तमाम बातें होती हैं. प्रतिभा जानना चाहती हैं कि क्या वाकई ऐसा होता है? क्या गोद में लैपटॉप रखने से कैंसर का ख़तरा है? सुनिए डॉक्टर क्या कहते हैं.

क्या गोद में लैपटॉप रखकर काम करने से कैंसर हो सकता है?

ये हमें बताया डॉ. पल्लवी पांसे ने.

डॉ. पल्लवी पांसे, कंसल्टेंट, गायनोलॉजी, जुपिटर हॉस्पिटल, पुणे

-कोई भी इलेक्ट्रॉनिक माध्यम हो जैसे मोबाइल, लैपटॉप, वगैरह, इनसे थोड़ी-बहुत मात्रा में रेडिएशन बाहर आता ही है.

-ये शरीर के लिए अच्छा नहीं है.

-पर इससे बच्चेदानी या ओवरी का कैंसर होता है या नहीं, इस पर कोई मेडिकल कमेंट अभी तक नहीं आया है.

-लैपटॉप घंटों गोद में रखकर काम किया इसलिए कैंसर हो गया, ऐसा नहीं है.

-कैंसर होने के कई अलग कारण हैं.

लंबे समय तक लैपटॉप पर काम करने से क्या समस्याएं होती हैं?

-अगर आप गोद में लैपटॉप लेकर बैठ गए तो समय का ख्याल रखना ज़रूरी है.

-बैठे-बैठे बाकी दिक्कतें हो सकती हैं.

-जैसे पोस्चर ख़राब हो सकता है.

-लंबे समय तक बैठे रहने के कारण वज़न बढ़ सकता है.

-ज़्यादा वज़न बढ़ने के कारण ब्लीडिंग संबंधित समस्याएं हो सकती हैं.

Taking the Lap Out of Laptop - The Bottom Line UCSB
अगर आप गोद में लैपटॉप लेकर बैठ गए तो समय का ख्याल रखना ज़रूरी है
किन बातों का ध्यान रखें?

-लैपटॉप पर बैठकर काम करने की पोजीशन अच्छी होनी चाहिए.

-लैपटॉप टेबल पर रखें.

-जहां कोहनी है, वहां कीबोर्ड होना चाहिए.

-एक-डेढ़ घंटा काम करने के बाद, 10 मिनट के लिए चलना ज़रूरी है.

-अच्छी मात्रा में पानी पिएं.

-पैरों को मूवमेंट मिलते रहना चाहिए.

-ताकि बैठे-बैठे खून की गुठली बनने का रिस्क न हो.

-इसको मेडिकल ज़ुबान में डीप वेन थ्रोम्बोसिस कहते हैं.

-वज़न बढ़ने से काफ़ी हेल्थ प्रॉब्लम हो सकती हैं.

-इसलिए काम करने के हर कुछ घंटे बाद लैपटॉप बंद करें.

-ये आपके लिए बेहतर है.

गोद में रखकर लैपटॉप पर कम करने से कैंसर का लिंक अभी तक तो साबित नहीं हुआ है. पर डॉक्टर्स ऐसा करने से फिर भी मना करते हैं क्योंकि इनसे थोड़ी-बहुत मात्रा में रेडिएशन निकलता है, जो आपकी सेहत के लिए ठीक नहीं है. इसलिए लैपटॉप को मेज़ पर रखकर काम करें ताकि आपका पोस्चर भी ठीक रहे. 

(यहां बताई गईं बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
 

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