इस दुनिया में जितने भी इन्वेंशन हुए हैं, उनमें से मोबाइल फ़ोन टॉप 5 की लिस्ट में ज़रूर आता है. ये अब केवल एक फ़ोन नहीं है. ये एक कैमरा है. एक टीवी है. एक म्यूजिक प्लेयर है. कैलकुलेटर है. डायरी है. दुनिया से जुड़े रहने का ज़रिया है. अनगिनत फ़ायदे. दिनभर ये फ़ोन हमारे हाथ और कान से चिपका रहता है. कभी सीने की तो कभी पैंट की जेब में घंटों रहता है. रात में सोने से पहले भी हम इसे घंटों ताकते हैं और फिर सिरहाने रखकर सो जाते हैं.
सीने, सिर के पास फोन रखने से कैंसर, ब्रेन ट्यूमर होता है? सही जानकारी जान लें
मोबाइल एक ऐसी चीज़ है जिसमें रेडियो फ्रीक्वेंसी इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन का इस्तेमाल होता है. मतलब आगे समझाते हैं...
लेकिन, चाहे ये आपका कितना भी बढ़िया दोस्त क्यों न हो, ये है तो एक मशीन ही. इलेक्ट्रॉनिक है. इससे रेडिएशन निकलता है. इसी से जुड़ा एक सवाल पूछा है हमारी व्यूअर पल्लवी ने. वो जानना चाहती हैं कि क्या मोबाइल से निकलने वाले रेडिएशन से कैंसर हो सकता है? आखिर हम दिनभर अपने फ़ोन को सीने से चिपकाए रखते हैं, तो क्या ये नुकसान करता है? जानिए एक्सपर्ट्स क्या कहते हैं.
क्या फ़ोन से निकलने वाले रेडिएशन से ब्रेन ट्यूमर हो सकता है?ये हमें बताया डॉ. जयेंद्र यादव ने.
-मोबाइल एक ऐसी चीज़ है जिसमें रेडियो फ्रीक्वेंसी इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन का इस्तेमाल होता है.
-लेकिन कई स्टडीज़ में ये पाया गया है कि मोबाइल फ़ोन में जो रेडिएशन इस्तेमाल होता है वो नॉन आयोनाइजिंग (कम एनर्जी) होता है.
-साथ ही उसकी फ्रीक्वेंसी 0.6-2.7 गीगाहर्ट्ज के बीच होती है.
-इससे DNA को नुकसान पहुंचने की संभावना बहुत कम होती है.
-इसलिए कोई भी स्टडी अभी तक ये साबित नहीं कर पाई है कि मोबाइल फ़ोन ज़्यादा इस्तेमाल करने से ब्रेन ट्यूमर हो सकता है.
-पर WHO ने मोबाइल से जुड़ी रेडियो फ्रीक्वेंसी को एक रिस्क फैक्टर माना है.
टिप्स-जिन लोगों को इस बात का डर है कि मोबाइल फ़ोन से कैंसर हो सकता है, उन्हें इसका इस्तेमाल कम से कम रखना चाहिए.
-मोबाइल पर बात करते हुए हैंड्सफ्री का इस्तेमाल करें.
-स्पीकर का इस्तेमाल भी कर सकते हैं.
-इससे ब्रेन को कम से कम रेडिएशन एक्सपोजर मिलता है.
-मोबाइल के इस्तेमाल से लोकल इफ़ेक्ट होता है.
-जैसे हीटिंग इफ़ेक्ट हो सकता है.
-इस हीटिंग से कई बार इरिटेशन हो सकती है.
-बहुत देर कान के पास फ़ोन पकड़कर बात कर रहे हैं तो रेडिएशन के कारण वहां लाल पड़ सकता है.
-हीटिंग की समस्या हो सकती है.
-लेकिन मोबाइल से होने वाली हीटिंग से कैंसर नहीं होता.
-WHO इसे एक रिस्क फैक्टर मानता है पर कोई स्टडी अभी तक ये साबित नहीं कर पाई है कि इससे ब्रेन ट्यूमर हो सकता है या नहीं.
-अभी भी रिसर्च चल रहा है.
लक्षण-ब्रेन ट्यूमर के कई लक्षण हो सकते हैं.
-जैसे सिर दर्द होना.
-दौरे पड़ना.
-एक साइड के हाथ-पैर में कमज़ोरी महसूस होना.
-झनझनाहट होना.
-ये सारे लक्षण ब्रेन ट्यूमर के हो सकते हैं.
-कई बार लोगों को कुछ लक्षण दिखते हैं तो वो डर जाते हैं.
-एक MRI करने से ये साफ़ हो जाता है कि ब्रेन ट्यूमर है या नहीं.
मोबाइल फ़ोन से ब्रेन ट्यूमर हो सकता है या नहीं, सही बात तो ये है कि अभी तक ये 100 फ़ीसदी प्रूव नहीं हो पाया है. पर डॉक्टर साहब ने जो टिप्स बताई हैं, आप उनका ख्याल रखें तो ये आपकी सेहत के लिए बढ़िया रहेगा.
(यहां बताई गईं बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको ख़ुद से कोई दवाई लेने की सलाह नहीं देता.)
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