झुर्रियां. वक़्त के साथ सबके चेहरे पर आती है. लेकिन कुछ लोग इनसे बचने की पूरी कोशिश करते हैं. कुछ लोग घरेलू नुस्खे ट्राई करते हैं. अब घरेलू नुस्खों से स्किन हेल्दी तो रहती है, पर बढ़ती उम्र की निशानी यानी झुर्रियों से उससे बचा नहीं जा सकता है. ऐसे में सहारा लिया जाता है बोटॉक्स इंजेक्शन का. आपमें से कई लोगों ने बोटॉक्स के बारे में सुना होगा. ख़बरें पढ़ी होंगी कि फलां-फलां एक्टर या मॉडल ने बोटॉक्स लिया.
हॉलीवुड सेलेब किम कर्दाशियन ने एक इंटरव्यू में बताया था कि झुर्रियों को दूर करने के लिए उन्होंने पहली बार बोटॉक्स लिया था. उसके बाद उन्हें भयंकर रिएक्शन हो गया. फिर उन्होंने इससे तौबा कर ली. कसम खा ली कि 40 तक वो इसको नहीं ट्राय करने वालीं. पहले बोटॉक्स का ज़िक्र आते ही सबके मुंह पर ताला लग जाता था. जो लोग इसे लेते भी थे, वो भी छुपकर-छुपकर लेते थे. कभी क़ुबूल नहीं करते थे. पर समय के साथ चीज़ें थोड़ा बदली हैं. चाहे हॉलीवुड हो या बॉलीवुड, लोग इसके बारे में खुलकर बात करने लगे हैं. अब बोटॉक्स सिर्फ़ एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री के लोगों तक सीमित नहीं है. बहुत लोग अब ये इंजेक्शन लगवाते हैं.

वैसे बोटॉक्स सिर्फ़ झुर्रियों से बचने के लिए नहीं दिया जाता. इसके इंजेक्शन उन लोगों को भी दिए जाते हैं जिन्हें पसीना ज़्यादा आता है, ओवरएक्टिव ब्लैडर होता है या लेज़ी ऑय की दिक्कत होती है. और सौ बात की एक बात ये कि आम लोगों में भी बोटोक्स को लेकर बहुत जिज्ञासा है.
हमें सेहत पर मेल आया रिद्धिमा का. वो 40 साल की हैं. पुणे में रहती है. उनका कहना है कि वो काफ़ी समय से बोटॉक्स लेने के बारे में सोच रही हैं, पर उनके मन में डर है. पहला ये कि इसका इंजेक्शन लेने से उनको कोई नुक्सान तो नहीं होगा. दूसरा ये क्या उन्हें ये इंजेक्शन बार-बार लगवाने पड़ेंगे. वो चाहती हैं कि हम बोटॉक्स पर बात करें ताकि उनकी तरह और लोगों को इसके बारे में जानकारी मिले. तो चलिए आज इसी पर बात करते हैं. बोटॉक्स क्या होता है? ये हमें बताया डॉक्टर अप्रतिम गोयल ने.

बोटॉक्स लैब में बना हुआ एक प्रोटीन है जो स्टेराइल इंजेक्शन होता है, ये इंट्रामस्क्युलर होता है यानी मसल्स में दिया जाता है. डर्मेटोलॉजिस्ट इसे चेहरे की मांसपेशियों में छोटी सुई से इंजेक्ट करते हैं. बोटॉक्स कैसे काम करता है ? उम्र और एक्सप्रेशंस के साथ हमारे चेहरे पर लाइंस आ जाती हैं. जब हम बोलते हैं या कुछ एक्सप्रेस करते हैं तो चेहरे की मांसपेशियां हिलती हैं. मांसपेशियों के साथ स्किन भी हिलती है. इसकी वजह से डार्क लाइंस जिन्हें हम डायनमिक रिंकल्स कहते हैं, वो नजर आने लगती हैं. बोटॉक्स मांसपेशियों को रिलैक्स कर सेमी-पैरालाइज कर देता है. जिससे मांसपेशियां मूव नहीं करतीं और इसके साथ स्किन भी मूव नहीं करती है. बोटॉक्स कैसे दिया जाता है? बोटॉक्स का इस्तेमाल चेहरे की फ्राउन लाइंस ( माथे पर बनने वाली लाइंस) , आंखों की साइड पर बनने वाली झुर्रियों ( क्रोज़ फीट) पर किया जाता है. इसके अलावा गले पर जो लाइंस आ जाती है, उनके लिए भी बोटॉक्स का इस्तेमाल किया जाता है. अगर किसी का चेहरा बहुत ज्यादा चौड़ा हो, तो चेहरे के साइड पर भी बोटॉक्स का इस्तेमाल करते हैं ताकी चेहरा पतला लगे. इसके अलावा बोटॉक्स पसीने की ग्रंथियों को भी सेमी-पैरालाइज कर देता है, तो जिन लोगों को पसीना ज़्यादा आता है, उन लोगों को बगलों में बोटॉक्स का इंजेक्शन दिया जाता है. जिन लोगों को हाइपरहाइड्रोसिस होता है यानी जिनके हथेली पर, पैरों में बहुत ज्यादा पसीना आने की समस्या होती है, उन्हें भी बोटॉक्स दिया जाता है.

बोटॉक्स करवाने के साइड इफेक्ट्स बोटॉक्स एक बहुत ही ट्रेंड टेक्नीक इंजेक्शन है, हर कोई इसे नहीं दे सकता. जो लोग बोटॉक्स देने में ट्रेन हैं, उन्हें ही बोटॉक्स देना चाहिए. अगर आप अनट्रेंड इंसान से बोटॉक्स करवाते हैं तो गलत मांसपेशियों में जाने की वजह से इसके साइड इफेक्ट्स देखने में मिल सकते हैं. ऐसे में हो सकता है कि आपकी भवें ऊपर-नीचे हो जाएं. बोटॉक्स अगर अपनी जगह से नीचे लग जाए तो आपकी आंखें भी बंद हो सकती हैं. इसीलिए बोटॉक्स हमेशा ट्रेंड इंसान से करवाना चाहिए. यहां ट्रेन्ड व्यक्ति से हमारा मतलब एक सर्टिफाइड डर्मेटोलॉजिस्ट से है. बोटॉक्स कितने समय तक रहता है? बोटॉक्स इंजेक्शन लेने के बाद उसका असर 7 दिन में आ जाता है, वैसे इसका असर 3 दिन के बाद ही दिखने लग जाता है लेकिन 7 दिनों में पूरा असर दिखता है. इसका असर 4 से 6 महीने तक रहता है. जो लोग बहुत ज्यादा एक्सरसाइज या जिम करते हैं, उनमें इसका असर जल्दी चला जाता है. नहीं तो आम तौर पर इसका असर 6 महीने तक रहता है.

बोटॉक्स लेना, न लेना आपकी निजी चॉइस है. लेकिन जब भी इसे लेने का सोचें आप किसी डर्मेटोलॉजिस्ट को दिखाएं और इसे लेकर उनसे सलाह ज़रूर लें. सर्टिफाइड क्लिनिक में ही ये बोटॉक्स लें. दूसरी बात, झुर्रियों का आना एक सामान्य एजिंग प्रोसेस है. अगर आपके चेहरे पर झुर्रियां आ रही हैं तो प्रेशर में न आएं. किसी के कहे पर न आएं. कई बार डॉक्टर के मना करने पर भी लोग ज़रूरत से ज़्यादा या समय से पहले बोटॉक्स लेने लगते हैं. या ये इंजेक्शन ठीक तरह से नहीं लग पता. नतीजा? चेहरे की मांसपेशियां पैरालाइज़ हो जाती हैं. इंसान मुस्कुराता भी है तो पता नहीं चलता कि मुस्कुरा रहा है. बोलते और खाते समय ठीक से मुंह नहीं चलता. इसलिए बहुत ध्यान देने की ज़रूरत है.