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'DNA मैच ना होने से रेप को झुठला नहीं सकते', बॉम्बे हाईकोर्ट बोला

14 साल की एक लड़की के रेप केस में बॉम्बे हाईकोर्ट ने की टिप्पणी.

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बॉम्बे हाईकोर्ट (फोटो-आजतक)

'रेप के मामले में DNA जांच को ‘निर्णायक साक्ष्य’ नहीं माना जा सकता है.'

ये टिप्पणी बॉम्बे हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में कही है. जस्टिस भारती डांगरे की बेंच ने 26 जुलाई को 14 साल की एक लड़की का रेप और उसे प्रेग्नेंट करने वाले आरोपी की याचिका खारिज करते हुए ये टिप्पणी की है. हालांकि, कोर्ट ने कहा कि DNA रिपोर्ट का इस्तेमाल सुबूतों की पुष्टि के लिए किया जा सकता है. 

हाईकोर्ट ने कहा,

"DNA रिपोर्ट नेगेटिव आने से आरोपी को बच्चे का पिता नहीं माना जा सकता है. लेकिन यह नाबालिग को झूठा नहीं बनाता है. नाबालिग ने अपने बयान में बताया था कि आरोपी ने उसका रेप किया है. और चार्जशीट के अनुसार, आरोपी ने नाबालिग की स्थिति का फायदा उठाया है. नाबालिग की गवाही को झूठा मानने का कोई कारण नहीं है. DNA रिपोर्ट को बलात्कार के संबंध में निर्णायक सबूत नहीं कहा जा सकता है. और वैसे भी मेडिकल पेपर से ज्यादा कुछ नहीं पता चला क्योंकि सात महीने बाद नाबालिग की जांच की गई थी. "

इंडिया टुडे से जुड़ी विद्या की रिपोर्ट के मुताबिक आरोपी नवी मुंबई का रहने वाला है. और सितंबर 2020 में उसे गिरफ्तार किया गया था. उसपर आरोप था कि उसने कथित तौर रूप से 10 दिनों तक एक नाबालिग का रेप किया. नाबालिग के पेट में अचानक से दर्द हुआ. मेडिकल टेस्ट में पता चला कि वो प्रेग्नेंट है. और तब नाबालिग के रेप का पता चला. चार्जशीट के मुताबिक आरोपी के खिलाफ नवी मुंबई के नेरुल पुलिस स्टेशन में FIR दर्ज की गई थी.

खबर के मुताबिक नाबालिग के माता-पिता एक झुग्गी बस्ती में रहते हैं. और मजदूरी का काम करते हैं. आरोपी पास की बिल्डिंग में रहता था. माता-पिता ने FIR में बताया था कि आरोपी और उसकी पत्नी ने फरवरी 2020 में उनसे संपर्क किया था कि वे अपने दो बच्चों की देखभाल के लिए अपनी बेटी को उनके घर भेज दें. जब नाबालिग, आरोपी के दोनों बच्चों का ध्यान रख रही थी, उसी दौरान आरोपी ने नाबालिग का 10 दिनों तक रेप किया. खबर के मुताबिक नाबालिग ने बताया कि आरोपी ने उसे शादी का झांसा भी दिया था. और उसे 200 रूपये दिए. खबरों के मुताबिक आरोपी दिन में दो बार लड़की का रेप करता था. उसी साल, जुलाई में जब नाबालिग के पेट में दर्द हुआ तो उसने इन सभी बातों का खुलासा किया.

खबरों के मुताबिक नाबालिग के परिवार ने बताया कि जब उन्होंने FIR दर्ज करवाई तो आरोपी की पत्नी ने उनसे संपर्क किया, और नाबालिग के इलाज की बात कही. एक दिन लड़की के माता-पिता घर पर नहीं थे तब आरोपी की पत्नी नाबालिग को अस्पताल ले गई. जहां उसे दो इंजेक्शन और चार गोलियां दी गईं लेकिन भ्रूण को समाप्त नहीं किया जा सका.

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