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महिला ने एक्स-बॉयफ्रेंड की 'प्राइवेट' तस्वीरें इंस्टाग्राम पर डाल दीं, अब बेल के लिए कोर्ट-कोर्ट फिर रही

महिला ने पुरुष को ब्लैकमेल करने के लिए इंस्टाग्राम पर उसकी बेटी के स्कूल को टैग कर दिया

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महिला पर IPC और IT Act के तहत मामला दर्ज किया गया (फोटो - File/Pexel)

एक महिला ने कथित तौर पर अपने एक्स-बॉयफ़्रेंड की प्राइवेट तस्वीरें सोशल मीडिया पर पोस्ट कीं. साथ ही पुरुष की बेटी के स्कूल को टैग कर दिया. मई में आरोपी महिला के ख़िलाफ़ FIR दर्ज की गई थी. इसके बदले महिला ने अंतरिम ज़मानत की अर्ज़ी दायर की थी. पहले लोअर कोर्ट में, फिर बॉम्बे हाई कोर्ट में. और, इसी क्रम में दोनों अर्ज़ियां ख़ारिज कर दी गईं. कोर्ट का कहना है कि ये महिला और पुरुष के बीच का मामला है और पुरुष के परिवार को इसके बीच घसीटने का कोई मतलब नहीं है.

पूरा केस समझ लीजिए

आरोपी की उम्र 42 साल है. मालाबार हिल्स की रहने वाली है. हिंदुस्तान टाइम्स में छपी ख़बर के मुताबिक़, 2010 से ही वो एक शादीशुदा पुरुष के साथ संबंध में थी. सहमति से. दस साल बाद यानी 2020 में पुरुष ने रिश्ता ख़त्म करने का फ़ैसला किया. महिला ऐसा नहीं चाहती थी, तो उसने कथित तौर पर उसे ब्लैकमेल करने की कोशिश की. उसे धमकाया कि वो अपनी पत्नी को तलाक़ दे दे और उससे शादी कर ले. पुरुष नहीं माना, तो एक फेक इंस्टाग्राम अकाउंट बनाया और पुरुष की प्राइवेट तस्वीरें पोस्ट करने लगी. उसने पीड़ित पुरुष की बेटी के स्कूल के पेज को टैग भी किया.

मई 2022 में पुरुष ने आरोपी महिला के ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज की और उस पर IPC की धारा 448 (घुसपैठ), 294-बी (अश्लीलता फैलाना), 500 (मानहानि), 504 (इरादतन अपमान करना), 506 (आपराधिक धमकी), 509 (गरिमा भंग करना) और IT Act की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया.

महिला ने निचली अदालत में प्री-अरेस्ट ज़मानत अर्ज़ी डाली. 3 अगस्त को अदालत ने अर्जी ख़ारिज कर दी, ये कहते हुए कि महिला के किए का असर पुरुष की बेटी की छवि, करियर और भविष्य पर पड़ सकता है. और, महिला के आचरण को देखते हुए इस बात की संभावना है कि वो फिर से ऐसा कुछ कर सकती है. ट्रायल कोर्ट ने कहा,

"आवेदक (यहां महिला) और पुरुष अपना पूरा जीवन अपनी ग़लतियों के लिए एक-दूसरे से लड़ने और मुक़दमेबाज़ी में बिता सकते हैं, लेकिन आवेदक को पुरुष की बेटी और परिवार को बीच में नहीं लाना चाहिए था. महिला को कोई हक़ नहीं है उनकी शांति भंग करने का."

इसके बाद आरोपी महिलाओं ने बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया. यहां, पीड़ित के वकील शहजाद नकवी ने तर्क दिया कि उनके मुवक्किल की बेटी को स्कूल में ज़िल्लत का सामना करना पड़ रहा है. बेंच को ये भी बताया गया कि अगर महिला को सुरक्षा दी गई, तो वो बेटी को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करेगी. और, इसीलिए महिला को तुरंत हिरासत में लेने की ज़रूरत है.

केस के जांच अधिकारी ने कोर्ट को बताया कि महिला ने जांच में सहयोग नहीं किया और उसका कंप्यूटर और मोबाइल अभी तक बरामद नहीं हुए हैं. इन सब तथ्यों को मद्देनज़र रखते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट ने महिला की अपील ख़ारिज कर दी. 

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