1993 का लातूर भूकंप जिसमें 30 हज़ार लोग घायल हुए और 10 हज़ार से ज्यादा लोग मारे गए
30 सितंबर की 1993 की सुबह लातूर के लोग कभी नहीं भूल पाएंगे.
पौ फटी नहीं थी. अधिकतर लोग अपने बिस्तरों में ही थे, गहरी नींद में खोए. 3 बजकर 56 मिनट हुए थे. तभी दिल्ली में स्थित इंडियन मेटोरॉलॉजिकल डिपार्टमेंट (IMD) के सीस्मोग्राफ की सुई कांपने लगी (Seismograph भूकंप मापने के यंत्र को कहते हैं). वहीं बैठे अधिकारी की नज़र उसपर पड़ी, तो आंखें फटी की फटी रह गईं. नेशनल जियोफिज़िकल रीसर्च इंस्टिट्यूट, हैदराबाद में मौजूद सीस्मोग्राफ की सूई कोने तक पहुंच गई. लगभग 260 किलोमीटर दूर कुछ भयानक घट रहा था. लातूर जिले के किल्लारी गांव में भारत के इतिहास से सबसे बड़े भूकम्पों में से एक जन्म ले चुका था.