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Zomato, Swiggy वाला खाना और महंगा हो गया, कंपनियों ने फैसला ही ऐसा लिया

Zomato और Swiggy के लिए Platform Fee कमाई का एक बड़ा जरिया है. पिछले साल अप्रैल में Swiggy ने इसकी शुरुआत की थी. बाद में Zomato ने भी इसे लागू किया था.

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Zomato और Swiggy अलग-अलग रेस्टोरेंट्स से कमीशन लेते हैं. (फोटो: PTI)

भारत की दो प्रमुख फूड डिलीवरी सर्विसेज स्विगी और जोमैटो ने अपनी-अपनी प्लेटफॉर्म फीस (Zomato Swiggy Price Hike) बढ़ा दी है. दोनों सर्विसेज ने प्लेटफॉर्म फीस में 20 फीसदी की बढ़ोतरी की है. फिलहाल इस बढ़ी हुई प्लेटफॉर्म फीस को दिल्ली और बेंगलुरु में लागू किया जा रहा है. बाद में इसे दूसरे शहरों में भी लागू किया जाएगा.

प्लेटफॉर्म फीस दूसरे तरह के टैक्स और फीस से अलग होती है. मसलन, इन प्लेटफॉर्म्स पर डिलीवरी फीस, गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स, रेस्टोरेंट चार्जेज और हैंडलिंग चार्जेज अलग से लगते हैं और प्लेटफॉर्म फीस अलग से ली जाती है. पहले यह प्लेटफॉर्म फीस प्रति ऑर्डर 5 रुपये थी, अब 6 रुपये कर दी गई है.

Swiggy ने की थी शुरुआत, Zomato ने फॉलो किया

स्विगी ने पिछले साल अप्रैल में प्लेटफॉर्म फीस को लागू करने की शुरुआत की थी. इसके बाद अगस्त में जोमैटो ने भी यह कदम उठाया था. बाद में इन दोनों प्लेटफॉर्म्स पर इस फीस को बढ़ाकर 5 रुपये प्रति ऑर्डर कर दिया गया था.

प्लेटफॉर्म फीस पर सीधे-सीधे कंपनियों का अधिकार होता है. यह उनकी कमाई का एक बड़ा हिस्सा होता है. ऐसी कई रिपोर्ट्स आई हैं कि इस प्लेटफॉर्म फीस के चलते स्विगी और जोमैटो ने अच्छा-खासा मुनाफा कमाया है. इधर, कस्टरमर्स को फूड ऑर्डर के लिए पहले के मुकाबले अधिक पैसे देने पड़े.

इन कंपनियों के लिए प्लेटफॉर्म फीस का महत्व इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि ये अलग-अलग रेस्टोरेंट्स से सीमा से अधिक पैसे नहीं वसूल सकती हैं. अभी यह कंपनियां रेस्टोरेंट्स से 25 से 35 फीसदी के बीच कमीशन लेती हैं. इस कमीशन को लेकर रेस्टोरेंट्स और इन कंपनियों के बीच विवाद की स्थिति बनी रहती है.

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रेस्टोरेंट्स के लिए ये कंपनियां उनकी पहुंच को एक बड़े मार्केट में पहुंचाने का काम करती हैं. हालांकि, इन रेस्टोरेंट्स को ये भी लगता है कि ये पहुंच एक बड़ी कीमत पर आती है. रेस्टोरेंट्स को लगता है कि अगर वो इन ऐप्स पर नहीं हैं तो कम लोग उनके यहां से फूड ऑर्डर करेंगे. वहीं अगर वो इन ऐप्स पर आते हैं तो उन्हें अपनी कमाई का एक ठीक-ठीक हिस्सा इन कंपनियों को देना पड़ता है. 

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