अलगाववादी नेता और जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट-यासीन (JKLF-Y) के संस्थापक यासीन मलिक का हलफनामे (Yasin Malik affidavit) में दिया बयान चर्चा में है. अपने हलफनामे में उसने UAPA ट्राइब्यूनल को बताया कि वो अहिंसा को अपना चुका है और उसने 1994 के सशस्त्र संघर्ष को छोड़ दिया है. उसने ये भी कहा कि अब वो प्रतिरोध के गांधीवादी तरीक़े का पालन करता है. उसने अपने हलफनामे में कहा, ‘मैंने हथियार छोड़ दिए हैं, अब मैं गांधीवादी हूं.’
'हथियार छोड़ दिए, अब मैं गांधीवादी...' तिहाड़ में बंद यासीन मलिक नेे ऐसा क्यों लिखकर दिया है?
Yasin Malik का कहना है कि अब वो प्रतिरोध के गांधीवादी तरीक़े का पालन करता है. और क्या-क्या बताया है उसने?
इंडिया टुडे की ख़बर के मुताबिक़, ये ट्रिब्यूनल, JKLF-Y पर बैन की समीक्षा कर रहा था. इसी में मलिक ने ये दावे किये हैं. JKLF-Y ने 1990 के दशक में कश्मीर घाटी में सशस्त्र उग्रवाद का नेतृत्व किया था. मलिक ने बताया कि हिंसा छोड़ने का उसका फ़ैसला शांतिपूर्ण तरीक़ों से 'एकजुट, स्वतंत्र कश्मीर' को बढ़ावा देने के उद्देश्य से था. यासीन के हलफनामे का ज़िक्र UAPA ट्रिब्यूनल के बीते महीने जारी किए गए आदेश में किया गया. हाल ही में इसे प्रकाशित किया गया है.
इस आदेश में JKLF-Y को गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत अगले पांच सालों के लिए एक ग़ैरकानूनी संगठन घोषित किया है. फ़ैसले में 1994 से टॉप पॉलिटिकल और सरकारी हस्तियों के साथ संगठन के संबंधों की डिटेल दी गई है और इसकी वैधता पर सवाल उठाया गया है.
बता दें कि आतंकी फंडिंग मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद यासीन मलिक तिहाड़ जेल में उम्र कैद की सजा काट रहा है. मलिक, 1990 में श्रीनगर के रावलपोरा में इंडियन एयरफ़ोर्स के चार कर्मियों की हत्या का मुख्य आरोपी है.
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साल 2024 की शुरुआत में गवाहों ने मलिक की पहचान, इस मामले के मुख्य शूटर के रूप में की थी. इसके अलावा, उसे आतंकवाद के वित्तपोषण मामले में मई 2022 में उम्र कैद की सज़ा सुनाई गई थी. इसकी जांच NIA ने की थी. मलिक ने बताया कि 1990 के दशक की शुरुआत में राज्य के अधिकारियों ने उन्हें आश्वासन दिया था कि कश्मीर विवाद को 'सार्थक बातचीत' के ज़रिए हल किया जाएगा. उससे वादा किया गया था कि अगर वो एकतरफा युद्धविराम की पहल करता है, तो उसके और JKLF-Y सदस्यों के ख़िलाफ़ सभी आरोप हटा दिए जाएंगे.
हालांकि, केंद्र ने 15 मार्च, 2024 को संगठन को बैन करने का नोटिफिकेशन जारी किया. इसमें JKLF-Y के ख़िलाफ़ मामलों में शामिल अधिकारियों के बयानों के ज़रिए बताया गया कि 1994 में सशस्त्र विरोध छोड़ने के बावजूद, मलिक ने आतंकवाद का समर्थन और पोषण जारी रखा.
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