
कौन है ये जस्सा पट्टी
पारंपरिक कुश्ती आज भी पंजाब, हरियाणा, हिमाचल, यूपी, महाराष्ट्र और गुजरात में जिंदा है. सालाना दंगल होते हैं. लाखों के इनाम दिए जाते हैं. आज ही इस मिट्टी की कुश्ती का स्टार है जस्सा पट्टी. पूरा नाम जसकंवर सिंह गिल. नाम छोटा इसलिए करना पड़ा क्योंकि पंजाब के बाहर जसकंवर सिंह गिल बुलाने में अनाउंसर को बड़ी दिक्कत होती थी. इसलिए जसकंवर का जस्सा हो गया और पीछे गांव का नाम पट्टी लगा दिया. 25 साल का ये पहलवान 13 साल की उम्र से पहलवानी कर रहा है और खुद बताता है कि वो अभी तक 2000 के करीब कुश्तियां लड़ चुका है. जीत के मामले में ये युवा पहलवान आज के दौर की कुश्ती का विराट कोहली है. विरोधियों पर जीत हासिल करने के मामले में भी इस शानदार पहलवान का कोई सानी नहीं है. जस्सा खुद कहता है कि उसने पिछले तीन साल में सिर्फ एक कुश्ती हारी है. बाकी सब में उसने सामने वाले पहलवानों को चित्त किया है. धोबी पछाड़ से लेकर कुंडा पाणा (प्रतिद्वंदी को नीचे दबा लेना) जैसे दांवों में जस्सा पट्टी का कोई सानी नहीं है.

कोई टैटू गुदवा रहा है तो कोई जस्सा पट्टी के नाम के गाने गा रहा है.
जस्सा ने ये भी बताया कि बचपन में उन्हें क्रिकेट और फुटबॉल खेलना ज्यादा पसंद था. शुरुआती कई सालों तक वो क्रिकेट खेलते रहे. मगर जब पिता अलग अलग दंगलों में ले जाने लगे तो एक दिन अखाड़े में भी उतार दिया. अपने पहले मुकाबले में हारने वाले उस लड़के ने फिर जीतने के लिए ही कुश्ती करनी शुरू कर दी और अब ये जस्सा पट्टी की पहचान का सबसे बड़ा कारण है.
दंगल का शेर है जस्सा
अपने इस कुश्ती के करियर में इस पहलवान को मिले इनामों के बारे में सुनिए. एक करोड़ से ज्यादा की धन राशि, चार कारें, दो ट्रैक्टर, 70 बाइक जिनमें 20 से ज्यादा बुलेट मोटरसाइकिल, 60-70 भैंसे, बेहिसाब सोने की अंगूठियां, कड़े और चेन समेत हजारों किलो देसी घी के कनस्तर इनाम के दौर पर मिल चुके हैं. कुश्ती देखने वालों में इतना क्रेज है कि जस्सा पट्टी की सोशल मीडिया पर तगड़ी फॉलोइंग है. फेसबुक पर फैन पेज बने हुए हैं. ऑफिशयल पेज पर 12 हजार से ज्यादा फॉलोअर्स हैं. लड़के इस पहलवान के टैटू बनवा कर घूमते हैं. सिंगर इनपर गाने बना रहे हैं. पंजाब के यूथ को नशे से दूर रखने की हिदायत वाले कई वीडियो और म्यूजिक एल्बम जस्सा पर बन रहे हैं. इन्हीं में से एक 13 अगस्त को लॉन्च हो रही है.

क्या क्या नहीं मिला है इनाम में.
ये इस पहलवान का पहला इंटरनेशनल इवेंट था जहां मैट पर उन्हें कुश्ती करनी थी. इससे पहले 2015 में नेशनल गेम्स में जस्सा पट्टी कुश्ती में ब्रॉन्ज मेडल जीत चुके हैं. पंजाब पुलिस में कॉन्सटेबल की नौकरी पाने वाले इस रेसलर ने बताया कि उसे मिट्टी पर कुश्ती लड़ना ही अच्छा लगा है. कारण बताते हुए वो कहते हैं कि पहले पंजाब में मैट पर बेहद कम कुश्ती होती थी. इतना इंफ्रास्ट्रक्चर भी नहीं था. दूसरी तरफ पंजाब, हरियाणा, हिमाचल, यूपी, महाराष्ट्र और कर्नाटक में पारंपरिक कुश्ती का बड़ा क्रेज रहा है. कई नामी दंगल साल भर ऑर्गेनाइज होते हैं. सितंबर में रुपोवल दंगल और भरतगढ़ दंगल, अगस्त में किरलगढ़ दंगल, अगस्त-सितंबर में ही नूरमहल दंगल और जनवरी में ब्यास दंगल काफी चर्चित हैं. इसके अलावा हरियाणा के अलग अलग इलाकों में 120 रजिस्टर्ड अखाड़े हैं. जस्सा कहते हैं कि " मैं जहां भी गया, वहां जीता और फिर इससे दूर नहीं हो पाया. मुझे इनाम के रूप में पैसा और पहचान भी मिली. ऊपर से घर में पिता सलविंदर गिल भी पहलवान रहे हैं तो घरवालों की भी इसी में खुशी रही है कि मैं मिट्टी की पहलवानी करूं." जस्सा ने ये भी बताया कि एक साल पहले ही उसने मैट पर कुश्ती करनी शुरू की है. इससे पहले तक वो मिट्टी पर ही रेसलिंग कर रहे थे.
कुश्ती का ये वीडियो भी देखिए:
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