2000 से 2005 के बीच इंडियन क्रिकेट की तकदीर बदल कर रख दी थी इस जोड़ी ने.
इंडिया और बांग्लादेश का प्रैक्टिस मैच चल रहा था. इंग्लैंड में कार्डिफ के मैदान पर ये मैच खेला गया. इंडिया ने यहां बांग्लादेश को 95 रनों से हराकर बढ़िया प्रैक्टिस की. 13वां ओवर चल रहा था और उधर रोहित शर्मा और विराट कोहली क्रीज पर थे. इधर कमेंट्री बॉक्स पर कुछ खास बातें हो रहीं थी. माइक्रोफोन इस वक्त सौरव गांगुली औऱ जॉन राइट के हाथ में था. अब दोनों साथ आए औऱ वर्ल्ड कप का मौका है तो दोनों के बीच पुरानी बातों पर चर्चा होनी शुरू हो गई. ऐसा लगा कि दोनों 2003 की यादों में खो गए. सौरव गांगुली को टीम इंडिया की कप्तानी 2000 में तब मिली थी जब इंडियन क्रिकेट मैच फिक्सिंग के जाल में फंस चुकी थी. मोहम्मद अजहरुद्दीन के बाद मौका गांगुली को मिला था. गांगुली ने कप्तानी संभाली और इंडिया को अलग दिशा में लेकर चले गए. गांगुली की इस सफलता के असली रणनीतिकार थे टीम के कोच जॉन राइट. न्यूजीलैंड के इस पूर्व क्रिकेटर ने जिस सयंम और चतुराई से इंडियन क्रिकेट की तकदीर बदली उसी का नतीजा है कि 2001 में टीम इंडिया ने ऑस्ट्रेलिया के 16 मैच जीत चुके रथ को कोलकाता के ईडन गार्डन्स में रोका था. फिर 2003 के वर्ल्ड कप फाइनल तक पहुंच कर टीम इंडिया ने दिखा दिया था कि टीम को सही लीडरशिप की कितनी जरूरत थी. गांगुली और राइट दोनों ने साल 2000 से 2005 तक साथ काम किया. दोनों के बीच कभी कोई विवाद नहीं उठा.
अब दोनों जब करीब एक दशक बाद कमेंट्री बॉक्स में साथ आए तो पुरानी यादों में खो गए. गांगुली कहने लगे, "जब मैं कप्तान था तो जॉन राइट सारे निर्णय लेते थे और मैं उनका पालन एक आज्ञाकारी शिष्य की तरह करता था." इसका राइट ने तुरंत जवाब दिया," इसका मतबल मेरी याददाश्त थोड़ी कमजोर हो गई है. क्योंकि मुझे तो याद है कि आप इंचार्ज थे औऱ मै तो बस पीछे ब्रैकग्राउंड में ही घूमता फिरता रहता था." गांगुली ने फिर जॉन राइट से पूछा कि क्या आपको 2003 वर्ल्ड कप के वॉर्म अप मैच का स्कोर याद है? साथ ही गांगुली ने ये भी कहा कि आप फ्लॉस डांस करके दिखाइए जैसा आप करते थे.
दोनों के बीच इस बातचीत पर सोशल मीडिया ने खूब चर्चा की. एक नजर ऐसी ही कुछ रिएक्शन्स पर-
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