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क्या वाकई भारत विकास यादव को अमेरिका को सौंप देगा?

विकास यादव की मां ने कहा कि उन्हें नहीं पता कि अमेरिका सच बोल रहा है या झूठ. उन्होंने बताया कि उनका बेटा देश के लिए काम करता रहा है.

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विकास यादव के प्रत्यर्पण में अमेरिका के सामने क्या है मुश्किलें? (तस्वीर:FBI/PTI)

विकास यादव. भारत सरकार का पूर्व अधिकारी जिसकी अमेरिका को तलाश है. विकास के ऊपर खालिस्तान समर्थक आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश रचने का आरोप है. अमेरिकी न्याय विभाग ने अपनी वेबसाइट पर इस साजिश का पूरा ब्योरा छापा है. वेबसाइट पर विकास का नाम मोस्ट वॉटेंड की लिस्ट में है. यानी इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि अमेरिका की तरफ से भारत पर दबाव बनाने की कोशिश की जा रही है. भारत में भी विकास पर केस दर्ज हुआ. उसे गिरफ्तार भी किया गया. बावजूद इसके सवाल  ये है कि क्या भारत सरकार विकास यादव को अमेरिका को सौंपने के लिए तैयार हो जाएगी? 

भारत में विकास के खिलाफ अपहरण का केस

अमेरिकी अखबार ‘वाशिंगटन पोस्ट’ में नवंबर 2023 में रिपोर्ट छपने के महज तीन हफ़्ते के भीतर विकास को दिल्ली पुलिस ने एक व्यापारी से उगाही करने के केस में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. ‘इंडियन एक्सप्रेस’ के अनुसार, चार महीने में विकास को अंतरिम जमानत मिल गई और अप्रैैल, 2024 में वो तिहाड़ जेल से बाहर आ गया. आगे बढ़ने से पहले घटनाओं की टाइमिंग पर नज़र डाल लेते हैं.

# 29 नवंबर, 2023: ‘वाशिंगटन पोस्ट’ में छपी एक रिपोर्ट से विकास का अमेरिका में गुरपतंवत सिंह पन्नू को मारने का प्लान सार्वजनिक हुआ .हालांकि, रिपोर्ट में विकास को CC-1 कहकर सम्बोधित किया गया था.

# इसके तीन हफ़्ते के भीतर यानी. 11 दिसंबर, 2023: विकास यादव अपने एक दोस्त के साथ मिलकर दिल्ली के एक व्यापारी से उगाही करता है. FIR के अनुसार, विकास के साथी ने व्यापारी के सिर पर वार किया और उन्हें अपनी सोने की चेन, अंगूठियां और कैश देने के लिए मजबूर किया.

# 18 दिसंबर, 2023:  दिल्ली पुलिस वसूली और अपहरण के मामले में विकास यादव को गिरफ्तार कर लेती है.

# 28 मार्च, 2024: विकास को कोर्ट से अंतरिम जमानत मिलती है.

# 22 अप्रैल, 2024: विकास रेगुलर बेल पर तिहाड़ जेल से बाहर आ जाता है.

विकास यादव जेल से तो बाहर आ गया लेकिन उसके खिलाफ भारत की अदालत में मुकदमा अभी चलेगा. विकास यादव के खिलाफ रंगदारी, अपहरण,जान से मारने की कोशिश(307) का आरोप लगे हैं. दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल इन मामलों में चार्जशीट लगा चुकी है. मामलों की सुनवाई अभी कोर्ट में चल रही है.  ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ की रिपोर्ट की मानें तो इन मामलों में विकास यादव को 10 साल की सजा हो सकती है. 

अब ऐसे में विकास को प्रत्यर्पित करने में लंबा वक़्त लग सकता है. भारतीय प्रत्यर्पण नियम 1962 के अनुसार, भारत में किसी अपराध के तहत सजा काट रहा कोई व्यक्ति जब तक सजामुक्त नहीं हो जाता, या उस पर लगे आरोपों से बरी नहीं हो जाता, तब तक उसे दूसरे देश को नहीं सौंपा जा सकता. यानी विकास यादव को भी तभी प्रत्यर्पित किया जा सकता है, जब वे अपने ऊपर लगे आरोपों की सजा पूरी कर लें या फिर आरोपों से बरी हो जाए. जब तक विकास का भारतीय अदालतों में ट्रायल पूरा नहीं होता उन्हें अमेरिका को नहीं सौंपा जा सकता. 

विकास यादव को सौंपना ही समाधान?

मगर इन सब दलीलों से ऊपर महत्वपूर्ण सवाल ये है कि क्या भारत सरकार विकास यादव को अमेरिका को सौंपने के लिए तैयार हो जाएगी? किसी भी शख्स का प्रत्यर्पण के लिए भारत के कानून और अन्य देशों के साथ संधियों पर भी निर्भर होता है. भारत और अमेरिका के बीच 25 जून, 1997 में एक प्रत्यर्पण संधि हुई थी. यह संधि गंभीर किस्म के अपराधों के आरोपियों के आदान-प्रदान की अनुमति देती है. लेकिन संधि में कई खंड हैं जो प्रत्यपर्ण की प्रक्रिया को कठिन बना सकते हैं. इनमें से एक खंड है राजनीतिक अपराध का. जिसे संधि के तहत अपवाद माना गया है. यानी अगर आरोपी पर राजनीतिक अपराध के तहत केस चल रहा है तो उस व्यक्ति को भारत प्रत्यर्पण करने से इंकार कर सकता है. जैसे अमेरिका ने 2008 में मुंबई हमले के आरोपी डेविड हेडली को भारत को सौंपने से मना कर दिया था.

हालांकि, इसमें भी कई ऐसे मामले हैं जो राजनीतिक अपराध के तहत नहीं आते हैं. जैसे किसी देश या सरकार के प्रमुख या उनके परिवार के किसी सदस्य की हत्या या उनके अपहरण के केस को राजनीतिक अपराध के तहत नहीं गिना जाता है. मगर पन्नू के मामला का इससे कोई लेना-देना नहीं है.

अब सवाल है कि क्या विकास यादव के केस में भी भारत अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देकर अमेरिका को प्रत्यर्पण करने से इंकार कर सकता है? इस बारे में हमने अखबार ‘द हिंदू’ के लिए विदेश मामलों को कवर करने वाले सीनियर असिस्टेंट एडिटर कल्लोल भट्टाचार्य से बात की. उन्होंने बताया,

“अक्सर, प्रत्यर्पण की कानूनी और राजनयिक शब्दों में व्याख्या की जाती है. लेकिन यह दो देशों के राजनीतिक रिश्तों की गहराई को दर्शाता है. प्रत्यर्पण में दो देशों के राजनीतिक रिश्ते के बीच आपसी तालमेल पर काफी कुछ निर्भर करता है. 

उन्होंने आगे कहा,

"चूंकि, विकास यादव के मामले को राजनयिक या कानूनी मुद्दे की बजाय राजनीतिक चश्मे से देखा जा रहा इसलिए इसका समाधान राजनीतिक चैनल से ढूंढना होगा. ऐसे में लग रहा है कि भारत विकास यादव मुद्दे पर एक लंबी प्रक्रिया की तैयारी कर रहा है क्योंकि यह अमेरिका में नई सरकार के गठन होने से पहले ही चर्चा में आ गया है. इसलिए प्राथमिकता इस अभूतपूर्व संकट का राजनीतिक समाधान ढूंढना है, जिसे विकास यादव के अमेरिका को सौंप देने से हल होने की संभावना नहीं है.”

यह भी पढ़ेंं:पन्नू मामले में अमेरिका ने विकास यादव पर तय किए आरोप, FBI ने वांटेड लिस्ट में डाला नाम

विकास के परिवार ने क्या कहा?

अमेरिका के मुताबिक़, विकास यादव भारत की खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (Raw) के लिए काम करते थे. इसके अलावा वे भारत के सबसे बड़े अर्धसैनिक बल केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) में बतौर सहायक कमांडेंट भी काम कर चुके हैं. अमेरिकी जांच रिपोर्ट में 39 वर्षीय विकास का पता हरियाणा का प्राणपुरा है. वहां रहने वाले विकास के परिजनों ने अमेरिका के आरोपों को सिरे से नकार दिया है. समाचार एजेंसी ‘रॉयटर्स’ की रिपोर्ट के अनुसार, विकास की मां ने अमेरिकी रिपोर्ट पर संदेह जारी किया है. उन्होंने कहा,

“अब इस बारे में मैं क्या कह सकती हूं? मुझे नहीं पता कि अमेरिका सच बोल रहा है या झूठ. मेरा बेटा देश के लिए काम करता रहा है.”

विकास के चचेरे भाई अवीनाश यादव ने इस मामले में भारत सरकार से मदद की गुहार लगाई है. उन्होंने कहा, “परिवार को इस बारे में कोई जानकारी नहीं कि विकास खुफिया विभाग के लिए काम करते थे. वे कभी भी इन चीज़ों के बारे में कभी नहीं बताते थे. हमारे लिए वे अभी भी साल 2009 से CRPF के लिए ही काम कर रहे हैं. ”

उन्होंने आगे कहा,

“हम चाहते हैं कि इस मामले में भारत सरकार परिवार की मदद करें. सरकार को हमें बताना चाहिए कि हुआ क्या है.”

वहीं, सरकार का कहना है कि विकास यादव अब भारत सरकार के कर्मचारी नहीं है. हालांकि, सरकार ने अभी तक अमेरिका के जस्टिस विभाग के आरोपों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. 

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