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क्या सचमुच ईमेल एक भारतीय ने बनाया है?

रेमंड टॉमलिनसन की मौत हो गयी. अय्यादुरई ने फिर से एक बार इस बहस को खड़ा कर दिया है कि आखिर ईमेल को बनाने वाला है कौन?

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6 मार्च को ईमेल के पापा यानी रेमंड टॉमलिनसन की मौत हो गयी.
Ray Tomlinson
Ray Tomlinson

जीमेल ने ट्वीट किया और रेमंड 'रे' टॉमलिनसन को थैंक यू कहते हुए श्रद्धांजलि दी. दरअसल जीमेल ने उन्हें ईमेल और @ साइन बनाने के लिए थैंक यू कहा. अब सोचो अगर रेमंड न होते तो जीमेल ही न होता उन्हें श्रद्धांजलि देने को.
Gmail tweets about Raymond's death
Gmail tweets about Raymond's death

खैर, मुद्दा ये है कि एक आदमी बिलकुल पिनपिनाया बैठा है. हिन्दुस्तानी है. कहता है कि ईमेल उसने बनाया है. ये भी कहता है कि रेमंड फ्रॉड है. नाम है शिवा अय्यादुरई.
Annadurai playing the victim card
Annadurai playing the victim card

हमने मामले को देखा और समझा. जो देखा और समझा आपको बताते हैं.
रेमंड ने 1971 में एक प्रोग्राम लिखा जिससे ईमेल का कॉन्सेप्ट तैयार हुआ. इस कॉन्सेप्ट के तहत अलग अलग कंप्यूटर पर बैठे लोग आपस में एक दूसरे को टेक्स्ट मेसेज भेज सकते थे. रेमंड ने ये प्रोग्राम ARPANET के लिए लिखा था.
ARPANET = Advanced Research Projects Agency Network
दूसरी तरफ अय्यादुरई कहते हैं कि 1978 में 14 बरस की उमर में उन्होनें एक ऐसा प्रोग्राम लिखा जो पूरी तरह से कागज़ पर लिखे ख़त भेजे जाने के प्रोसेस की नक़ल बनाता है और साथ एक अच्छा इंटरफेस भी तैयार किया. 1971 से 1978 के बीच 7 साल का अंतर था. अय्यादुरई कहते हैं कि चूंकि उन्होनें 'इनबॉक्स', 'आउटबॉक्स', 'ड्राफ्ट्स', 'सब्जेक्ट्स', 'सीसी' जैसी चीज़ें दी हैं इसलिए ईमेल को पैदा करने का पूरा क्रेडिट उन्हें ही मिलना चाहिए.
अब आपको बताया जाएगा कि आखिर फ़ैसला कैसे लिया जाये और किसके पक्ष में.
1. ईमेल का कोई एक इन्वेन्टर नहीं हो सकता. क्यूं? अरे भइय्या ये कोई हलुआ नहीं है कि आपने सूजी खरीदी और कढ़ाई चूल्हे पे चढ़ा के चालू हो गए और आधे घंटे में हलुआ तैयार.
ईमेल भेजने का मतलब होता है आप टेक्स्ट फॉरमैट में कैरेक्टर्स का एक ग्रुप एक कंप्यूटर  सिस्टम से दूसरे सिस्टम पर भेज रहे होते हैं. ऐसे में आप न सिर्फ दो अलग कम्प्यूटर सिस्टम की बात कर रहे होते हैं बल्कि उन दोनों कम्पूटरों के अलग-अलग components की बात कर रहे होते हैं. इसके साथ ही कम्प्यूटर नेटवर्क की अलग-अलग layers भी शामिल होती हैं. आज हम जो इन्टरनेट इस्तेमाल कर रहे हैं उसमें सात लेयर होती हैं और हर लेयर में अलग कार्यक्रम चल रहे होते हैं. एक लेयर बैठ जाये तो पूरा इन्टरनेट ध्वस्त हो जाता है. इन हालातों में सिर्फ एक इंसान का ये सब कुछ कर डालना संभव ही नहीं है. साथ ही नेटवर्क ऐसी चीज है जो लगातार बदलती जा रही है. ऐसे में हर कदम पर इस ईमेल के सिस्टम में बदलाव आते रहे हैं और रहेंगे. इस लिहाज़ से भी ईमेल के सिस्टम के जनक में सिर्फ एक ही किसी का नाम आना पॉसिबल नहीं है.
2. हम रेमंड को ईमेल की शुरुआत के लिए इसलिए भी ज़िम्मेदार मानते हैं क्यूंकि रेमंड ने ईमेल ऐड्रेस में @ साइन ठेला था. इस साइन की ही वजह से अलग-अलग प्लेटफॉर्म्स और सिस्टम्स पर ईमेल भेजना और उनसे ईमेल पाना संभव हो सका.
3. अय्यादुरई के पास ईमेल के कम्प्यूटर प्रोग्राम का कॉपीराइट है. लेकिन उनके इस ईमेल के प्रोग्राम की नीव जिस इलेक्ट्रॉनिक मेसेजिंग पर रक्खी गयी है वो रेमंड की ही देन है.
कुल मिलाके मुद्दा ये है कि अय्यादुरई ने हलुआ तो बना लिया लेकिन वो कहने लगे हैं कि जिस खेत में वो गेंहू उगा था जिससे ये सूजी बनी है, वो भी इन्हीं का था.