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कौन हैं चंद्रभान पासवान, जिन्हें BJP ने मिल्कीपुर उपचुनाव के लिए टिकट दिया है?

सपा ने मिल्कीपुर से फैजाबाद के सांसद अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद को टिकट दिया है. 5 फरवरी को इस सीट पर उपचुनाव होगा.

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चंद्रभान प्रसाद भाजपा की जिला इकाई के सदस्य हैं. (फोटो - X/@BJP4UP)

उत्तर प्रदेश की मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने चंद्रभान पासवान को उम्मीदवार बनाया है. अयोध्या जिले की इस सीट पर हो रहा उपचुनाव BJP के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि लोकसभा चुनाव में बीजेपी यहां की संसदीय सीट हार गई थी. ये विधानसभा सीट समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक अवधेश प्रसाद के सांसद बनने के बाद खाली हुई थी. सपा ने यहां से फैजाबाद के सांसद अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद को टिकट दिया है. 5 फरवरी को दिल्ली विधानसभा चुनाव के साथ यहां भी उपचुनाव के लिए वोटिंग होगी.

14 जनवरी को बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह की ओर से जारी प्रेस रिलीज के मुताबिक, पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति ने चंद्रभान पासवान को सीट से उम्मीदवार बनाने का फैसला किया है.

कौन हैं चंद्रभान पासवान?

चंद्रभान पासवान रुदौली से दो बार जिला पंचायत सदस्य रह चुके हैं. वे भी पासी समुदाय से आते हैं. इंडिया टुडे से जुड़े समर्थ श्रीवास्तव की रिपोर्ट के मुताबिक, चंद्रभान पेशे से वकील हैं. भाजपा की जिला इकाई में कार्य समिति के सदस्य चंद्रभान की पत्नी भी जिला पंचायत सदस्य हैं.

रिपोर्ट बताती है कि चंद्रभान पिछले दो सालों से मिल्कीपुर विधानसभा में सक्रिय थे. उनका परिवार मूल रूप से सूरत में साड़ी का कारोबार करता है. रुदौली में भी वे इस कारोबार से जुड़े हुए हैं. उनके पिता राम लखन दास ग्राम प्रधान हैं.

इससे पहले, 2022 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने यहां से पूर्व विधायक गोरखनाथ को चुनाव में उतारा था. लेकिन उन्हें हार मिली थी. सपा के अवधेश प्रसाद ने 13 हजार से ज्यादा वोटों से चुनाव जीता था. लेकिन पिछले साल लोकसभा के लिए चुने जाने के बाद उन्होंने इस सीट से इस्तीफा दे दिया था. उपचुनाव में कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार न उतारकर सपा उम्मीदवार अजीत प्रसाद को समर्थन देने का एलान किया है.

रिपोर्ट के मुताबिक, पूर्व विधायक गोरखनाथ भी टिकट के लिए जोर लगा रहे थे. कई और नेता भी रेस में थे. लेकिन लंबे मंथन के बाद पार्टी ने चंद्रभान पर भरोसा जताया.

पहले क्यों नहीं हुआ उपचुनाव?

मिल्कीपुर अनुसूचित जातियों के लिए एक आरक्षित विधानसभा सीट है. पिछले साल 20 नवंबर को उत्तर प्रदेश की 9 सीटों पर उपचुनाव हुए थे. लेकिन कोर्ट में चल रही एक सुनवाई के कारण मिल्कीपुर में उपचुनाव नहीं हो पाया था. तब उपचुनाव के दौरान 9 सीटों में से 7 सीटों पर बीजेपी ने जीत दर्ज की थी और बाकी दो सीटें सपा के खाते में गई थीं.

मिल्कीपुर विधानसभा को लेकर पूर्व विधायक गोरखनाथ बाबा ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में एक याचिका डाली थी. उन्होंने यहां से विधायक रहे और अब सांसद अवधेश प्रसाद के चुनाव जीतने पर सवाल उठाए थे.

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अवधेश प्रसाद पहले सोहावल (SC) से सात बार और फिर मिल्कीपुर से दो बार विधायक रहे थे. साल 2017 में उन्हें बीजेपी के गोरखनाथ से हार मिली थी. 2024 के लोकसभा चुनाव में फैजाबाद से हुई उनकी जीत की खूब चर्चा हुई. क्योंकि आम चुनाव से कुछ महीने पहले ही अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन किया गया था, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत बीजेपी के कई नेता शामिल हुए थे. विपक्ष ने यह कहकर BJP पर निशाना साधा कि राम मंदिर का 'राजनीतिकरण’ करने के बाद भी BJP अयोध्या हार गई.

इसी पृष्ठभूमि में मिल्कीपुर सीट पर उपचुनाव को लेकर सरगर्मी बढ़ी हुई थी. उपचुनाव का रिजल्ट आठ फरवरी को जारी होगा.

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