इन दिनों भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (CAG) के हवाले से कई मीडिया रिपोर्ट्स में सरकारी कामकाज की बड़ी खामियां सामने आ रही हैं. कुछ दिन पहले CAG की ऑडिट रिपोर्ट के आधार पर पेंशन योजना के फंड में ‘हेराफेरी’ का दावा किया गया. फिर आयुष्मान भारत योजना की ‘खामियां’ सामने आईं. अयोध्या डेवलपमेंट प्रोजेक्ट में ‘अनियमितताएं’ निकलीं. लेकिन क्या आपको पता है इस समय देश के CAG गिरीश मुर्मू कौन हैं, जिनकी ऑडिट रिपोर्ट से आए दिन सरकारी कामों की पोल खुल रही है.
कौन हैं CAG गिरीश चंद्र मुर्मू जिनकी रिपोर्ट ने सरकार में बवाल मचा रखा है?
गुजरात दंगों, इशरत जहां एनकाउंटर की जांच में सामने आया था नाम.

गिरीश चंद्र मुर्मू 1985 बैच के IAS अधिकारी हैं. गुजरात कैडर से आते हैं. लेकिन पैदाइश ओडिशा की है. 21 नवंबर 1959 को मयूरभंज जिले में उनका जन्म हुआ. पढ़ाई-लिखाई भी यहीं हुई. राज्य की उत्कल यूनिवर्सिटी से पॉलिटिकल साइंस की डिग्री ली. बाद में चले गए इंग्लैंड. वहां की बर्मिंघम यूनिवर्सिटी से MBA की डिग्री ली. फिर 26 साल की उम्र में IAS बने.
CAG की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक गिरीश चंद्र मुर्मू के पास प्रशासनिक, आर्थिक और इंफ्रास्ट्रक्टर के क्षेत्रों का काफी ज्यादा अनुभव है. वो भारत सरकार में कई बड़े पदों पर जिम्मेदारी संभाल चुके हैं. उन्होंने व्यय विभाग में अलग-अलग वक्त में सचिव और संयुक्त सचिव का पदभार संभाला.वित्तीय सेवा विभाग और राजस्व विभाग में विशेष और अतिरिक्त सचिव भी रहे हैं.
केंद्र की जिम्मेदारियों से पहले गिरीश ने गुजरात में नरेंद्र मोदी के CM कार्यकाल के दौरान स्पेशल ड्यूटी ऑफिसर और CM कार्यालय के प्रधान सचिव के तौर पर काम किया था. तीन साल पहले 8 अगस्त, 2020 को उन्हें देश का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक बनाया गया.
किन विवादों में रहे मुर्मू?गुजरात सरकार में रहने के दौरान मुर्मू पर कुछ गंभीर आरोप भी लगे. 2002 के दंगों और तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की 'हत्या की साजिश' में शामिल होने के आरोपी इशरत जहां और तीन लोगों की विवादास्पद हत्याओं की जांच में उनका नाम सामने आया था. 2013 में CBI ने गिरीश चंद्र मुर्मू से इशरत जहां एनकाउंटर केस में पूछताछ की थी. आरोप थे कि बंद कमरे में हुई बैठक के दौरान उन्होंने और अन्य लोगों ने मुठभेड़ की जांच कर रहे पुलिस अधिकारियों को ‘प्रभावित करने की कोशिश’ की थी.
गुजरात पुलिस के पूर्व महानिदेशक आरबी श्रीकुमार ने आरोप लगाया था कि मुर्मू ने नानावटी कमीशन के सामने गवाही देने गए लोगों को भी ‘सिखाया-पढ़ाया’ था. मुर्मू ने कथित तौर पर श्रीकुमार के साथ तथ्य छिपाने को लेकर जबरदस्ती की. हालांकि मुर्मू सभी आरोपों को खारिज करते रहे हैं.
2014 में प्रधानमंत्री बनकर केंद्र में आए नरेंद्र मोदी ने मुर्मू को याद किया. इसके बाद उन्होंने व्यय विभाग में बतौर सचिव और संयुक्त सचिव, वित्तीय सेवा विभाग में विशेष सचिव और राजस्व विभाग में अतिरिक्त सचिव समेत कई पदों पर काम किया.
2015 में ED के प्रमुख पद के लिए भी उनका नाम सामने आया था. 2019 में वो केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर के पहले उपराज्यपाल बनाए गए. अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने घाटी में 4G इंटरनेट सर्विस को फिर से शुरू करने का समर्थन किया था. अगस्त 2019 में वो CAG बने तो मनोज सिन्हा ने मुर्मू की जगह ली.
इंटरनेशनल ऑडिट असाइनमेंटमार्च 2023 में मुर्मू को जिनेवा में अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के एक्सटर्नल ऑडिटर (2024-2027) के पद के लिए चुना गया. फिर मई में वो दूसरी बार WHO के एक्सटर्नल ऑडिटर के रूप में चुने गए. पहले 2019 से 2023 तक के लिए, फिर 2024 से 2027 तक.
CAG संयुक्त राष्ट्र के बाहरी लेखा परीक्षकों के पैनल के साथ-साथ INTOSAI (International Organization of Supreme Audit Institutions) और ASOSAI के गवर्निंग बोर्ड के भी सदस्य हैं. वो 2025 तक FAO (Food and Agriculture Organization), 2027 तक IAEA (International Atomic Energy Agency) के एक्सटर्नल ऑडिटर का पद भी संभाल रहे हैं.
गिरीश मुर्मू सरकारी विभागों में डिजिटलाइजेशन और AI प्रोमोट करते आए हैं. वो लंबे समय से ऑडिटिंग में पॉलिसी और टेक्नॉलोजी से जुड़े बदलावों के समर्थक रहे हैं.
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