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WHO ने कोरोना के JN.1 वेरिएंट को इस कैटेगरी में डाला, कितना खतरनाक है, ये भी बता दिया

भारत में अभी केरल में 1 और गोवा में करीब 15 लोग कोरोना के JN.1 सब-वेरिएंट से पीड़ित हैं. वहीं, दुनिया की बात की जाए तो अमेरिका, सिंगापुर, चीन और कुछ यूरोपीय देशों में भी इसके केस पाए गए हैं.

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कोविड-19 के JN.1 वेरिएंट के लिए एडवाइजरी जारी की गई है, इसमें फिर से मास्क पहनने की हिदायत भी है. (फोटो क्रेडिट - X)

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कोरोना के JN.1 स्ट्रेन को 'वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट'(Covid19 JN.1 Variant of Interest) घोषित कर दिया है. WHO ने 19 दिसंबर की देर रात सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर इसे लेकर एक पोस्ट भी किया. WHO ने बताया है कि फिलहाल के सबूतों को देखते हुए ये कहा जा सकता है कि इस स्ट्रेन से लोगों के स्वास्थ्य को कम खतरा है.

इसी पोस्ट में WHO ने ये भी बताया,

"इसके तेजी से बढ़ने के कारण WHO JN.1 को वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट की कैटेगरी में डाल रहा है. मौजूद साक्ष्यों के आधार पर कहा जा सकता है कि JN.1 से सार्वजनिक रूप से लोगों के स्वास्थ्य पर कम खतरा है. हालांकि, दुनिया के उत्तरी भाग में सर्दियां शुरू हो रही हैं. इसके चलते कई देशों में JN.1 सांस से जुड़े संक्रमणों के मामले बढ़ा सकता है."

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समाचार एजेंसी रॉयटर्स की एक रिपोर्ट में दो विशेषज्ञों के हवाले से बताया गया कि JN.1 स्ट्रेन पर हमारे इम्यून सिस्टम का असर नहीं होता है. ये बाकी वेरिएंट्स की तुलना में तेजी से फैलता भी है. लेकिन इससे ज्यादा गंभीर बीमारी होने का कोई संकेत दिखाई नहीं देता है.

भारत में JN.1 के कितने मरीज?

जॉन्स हॉपकिन्स ब्लूमबर्ग स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के एक वॉयरोलॉजिस्ट एंड्रयू पेकोज ने इस बारे में कहा,

"JN.1 लोगों में तेजी से फैल सकता है. लेकिन इससे ज्यादा जोखिम होने का खतरा नहीं है."

WHO ने ये भी कहा है कि कोविड-19 से बचने के लिए मौजूदा वैक्सीन, हमें JN.1 और कोविड-19 के बाकी वेरिएंट्स से होने वाली गंभीर बीमारियों और मौत से बचाने में सक्षम हैं. भारत में अभी केरल में 1 और गोवा में करीब 15 लोग कोरोना के JN.1 सब-वेरिएंट से पीड़ित हैं. वहीं, दुनिया की बात की जाए तो अमेरिका, सिंगापुर, चीन और कुछ यूरोपीय देशों में भी इसके केस पाए गए हैं.

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भारत के कई राज्यों ने JN.1 वेरिएंट को लेकर एडवाइजरी भी जारी की है. कहीं-कहीं तो फिर से मास्क पहनने की हिदायत भी दी गई है. JN.1 का पहला मामला जनवरी 2023 में यूरोपीय देश लक्ज़मबर्ग में सामने आया था. उसके बाद सितंबर महीने में अमेरिका में इसका एक केस सामने आया. JN.1 कोरोना वायरस के BA.2.86 वैरिएंट का सब-वेरिएंट बताया जाता है.

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