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जाति जनगणना: बिहार सरकार ने लोगों से पूछा क्या-क्या था?

सर्वे पर सवाल उठे तो अधिकारी बोले, ‘’ये इल्ज़ाम गलत है. हमने खुद घर-घर जाकर सर्वे के फॉर्म भरवाए हैं.''

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बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने सर्वे पर सवाल उठाए थे. (फोटो-एक्स)

बिहार की नीतीश कुमार सरकार ने 2 अक्टूबर को जातिगत जनगणना (Bihar Caste Census) के आंकड़े जारी किए. लोकसभा चुनाव सिर पर हैं और जाति के विषय से पक्ष-विपक्ष सभी की राजनीति प्रभावित होती है. इसीलिए सारे दल इन आंकड़ों पर अपनी गोटियां फिट करने लगे हैं. बिहार में सत्ताधारी जदयू-राजद का कहना है कि ये सामाजिक न्याय की दिशा में उठाया गया कदम है. तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्ष पर ‘देश के हिंदुओं को बांटने’ का आरोप लगा दिया है. इस बीच एक सवाल ये भी खड़ा हुआ है कि बिहार में जातिगत जनगणना की प्रक्रिया थी क्या. 

बिहार भाजपा अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने कहा कि उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव खुद किसी और जाति के हैं और उनकी पत्नी का धर्म भी अलग है. ऐसे में उनकी गणना किस प्रक्रिया के तहत की गई है? उन्होंने सवाल किया कि बिहार में बड़े पैमाने पर अंतरजातीय और अंतर-धार्मिक शादियां हुई हैं, उनकी गणना कैसे की गई है? 

सर्वे में कौनसे सवाल पूछे गए?

जातिगत जनगणना के लिए ग्राउंड पर आंकड़े जुटाने वाले एक अधिकारी से दी लल्लनटॉप ने बात की. बिहार शिक्षा विभाग में कार्यरत इस अधिकारी ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर बताया,

“आंकड़ों को रियल टाइम में काउंट किया गया है. इसके लिए सरकार ने 17 सवालों की एक लिस्ट तैयार की थी. ये सवाल लोगों से किए गये. और इनके जवाब के आधार पर ही जातिगत जनगणना के आंकड़ों को तैयार किया गया.”

17 सवाल कौन-कौन से?

बिहार सरकार ने जिन 17 सवालों के आधार पर जातिगत जनगणना के आंकड़े तैयार किए हैं, वो ये थे - 

- परिवार के सदस्य का पूरा नाम.
- पिता/पति का नाम.
- परिवार के प्रधान से संबंध.
- आयु.
- लिंग.
- वैवाहिक स्थिति.
- धर्म.
- जाति का नाम एवं कोड.
- शैक्षणिक योग्यता.
- कार्यकलाप (पेशा).
- आवासीय स्थिति.
- अस्थाई प्रवासीय स्थिति (बिहार से बाहर रहने वाले बिहार के नागरिक).
- कंप्यूटर/लैपटॉप. 
- मोटरयान.
- कृषि भूमि.
- आवासीय भूमि.
- सभी स्रोतों से मासिक आय.

जातिगत जनगणना के लिए पूछे गए सवाल. 
पत्नी की जाति, पति की जाति के आधार पर

अंतरजातीय और अंतर-धार्मिक विवाह में जनगणना किस प्रकार हुई, इस पर अधिकारी ने बताया,

“शादिशुदा महिलाओं का धर्म और जाति उनके पति की जाति और धर्म के आधार पर दर्ज किया गया है. माने उनके पति की जो भी जाति है, वो पत्नी की जाति मानी गई है. जिन लोगों ने अपनी जाति छुपानी चाही है, वैसे भी लोग हैं. तो उन्हें अलग से काउंट किया गया है. 2 हजार 146 लोग ऐसे हैं जिन्होंने अपना धर्म नहीं जाहिर किया है.”

अधिकारी ने बताया कि सर्वे सामाजिक, धार्मिक और आर्थिक आधार पर किया गया है. अभी तो केवल जाति और धर्म के आंकड़ों को जारी किया गया है. सर्वे में शामिल लोगों की आर्थिक स्थिति से जुड़े आंकड़े जारी होंगे या नहीं, इसका फैसला बिहार सरकार लेगी. दी लल्लनटॉप से बातचीत में अधिकारी ने दावा किया कि सर्वे के नतीजों में राज्य लगभग 90 प्रतिशत लोग आर्थिक रूप से पिछड़े पाए गए हैं. उनके पास अपनी जमीन और रहने के लिए खुद का घर भी नहीं है.

कुछ लोगों ने दावा किया था कि इस सर्वे के लिए जानकारी ग्राउंड से ठीक तरीके से नहीं जुटाई गई थी. इस आरोप को नकारते हुए अधिकारी ने कहा,

‘’ये बात गलत है. हमने खुद घर-घर जाकर सर्वे के फॉर्म भरवाए हैं.''

जनगणना के आंकड़े

बिहार में जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक सबसे ज्यादा आबादी अति-पिछड़ा वर्ग की है - करीब 36 फीसदी. वहीं पिछड़ा वर्ग 27 फीसदी है, अनुसूचित जाति 19 फीसदी से ज्यादा, 15.52 फीसदी सवर्ण (अनारक्षित) और 1.68 फीसदी अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या है.

बिहार सरकार में विकास आयुक्त विवेक सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि, बिहार सरकार ने जातीय जनगणना का काम पूरा कर लिया है. बिहार सरकार ने राज्य में जनसंख्या 13 करोड़ से ज्यादा बताई है. अधिकारियों के मुताबिक जाति आधारित गणना में कुल आबादी 13 करोड़ 7 लाख 25 हजार 310 है. आंकड़ों के मुताबिक बिहार में यादव 14 फीसदी, ब्राह्मण 3.66 फीसदी, राजपूत 3.45 फीसदी, कुर्मी 2.87 फीसदी, मुसहर 3 फीसदी और भूमिहार 2.86 फीसदी हैं.

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