(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
कोविड के बाद आया वेस्ट नाइल फीवर क्या है?
वेस्ट नाइल फीवर क्यूलेक्स नाम के मच्छर के काटने से होता है.
केरल सरकार के हेल्थ डिपार्टमेंट ने मंगलवार (7 मई) को राज्य में वेस्ट नाइल फीवर को लेकर अलर्ट जारी किया है. ऐसा तीन डिस्ट्रिक्ट में वेस्ट नाइल फीवर के मामले सामने आने के बाद हुआ है.
साल 2022. केरल में वेस्ट नाइल फीवर से एक 47 साल के आदमी की मौत हो गई थी. इसके बाद राज्य स्वास्थ्य विभाग ने अलर्ट जारी कर दिया था. साल 2019 में भी वेस्ट नाइल फीवर के कारण एक आदमी की मौत हो गई थी. वेस्ट नाइल फीवर एक तरह के मच्छर के काटने से होता है. जैसे मलेरिया. पर दोनों में थोड़ा फ़र्क है. सबसे पहले ये समझ लेते हैं कि वेस्ट नाइल फीवर क्या होता है.
ये हमें बताया डॉक्टर मीनाक्षी जैन ने.
-वेस्ट नाइल फीवर एक वायरल इन्फेक्शन है.
-जो मच्छर के काटने से होता है.
-जैसे मलेरिया या डेंगू का बुखार होता है मच्छर के काटने से.
-वैसे ही वेस्ट नाइल फीवर एक वायरल बीमारी है.
-जो क्यूलेक्स नाम के मच्छर के काटने से हो जाती है.
वेस्ट नाइल फीवर मलेरिया या डेंगू से कैसे अलग है?-मलेरिया एनोफ़िलेज़ मच्छर के काटने से होता है.
-डेंगू एडीज़ मच्छर के काटने से होता है.
-वेस्ट नाइल फीवर क्यूलेक्स नाम के मच्छर के काटने से होता है.
कारण-वेस्ट नाइल फीवर एक ऐसा इन्फेक्शन है जो पक्षियों में देखा जाता है.
-ये वायरस चिड़ियों में फैलता है.
-अगर क्यूलेक्स मच्छर चिड़ियां को काटे और फिर इंसान को काट ले तो वो वायरस पक्षी से इंसान में आ जाता है.
-ये वायरस कुछ और जानवरों में भी बीमारी फैला सकता है.
-जैसे घोड़े.
-जो लोग इन जानवरों के संपर्क में आते हैं, उनको ये वायरस होने का ज़्यादा चांस होता है.
लक्षण-वेस्ट नाइल फीवर एक वायरल इन्फेक्शन है.
-हर वायरल इन्फेक्शन की तरह इसमें बुखार होता है.
-सिर में दर्द होता है.
-उल्टियां होती हैं.
-पर बाकी वायरल बुखार से अलग एक लक्षण और भी है.
-हमारे गले में लिम्फ़ नोड्स होते हैं यानी एक तरह की ग्रंथी, उसमें लिम्फाडेनोपैथी हो जाती है यानी सूजन आ जाती है.
-दूसरी चीज़ शरीर पर रैशेज़ आ जाते हैं.
-स्किन पर लाल-लाल दाने हो जाते हैं.
-जो मलेरिया में नहीं देखे जाते.
-कुछ लक्षण ऐसे हैं जो बहुत आम नहीं हैं.
-150 लोगों में से किसी 1 को होता है.
-इनमें ये बीमारी जानलेवा हो सकती है.
-क्योंकि ब्रेन में इन्फेक्शन हो जाता है.
-मेनिन्जेस में इन्फेक्शन हो जाता है.
-पेशेंट बेहोश तक हो सकता है.
बचाव-क्योंकि वेस्ट नील फीवर मच्छर के काटने से होता है.
-इसलिए बचाव का सबसे आसान तरीका है कि मच्छरों से बचाव किया जाए.
-कहीं पर गंदगी न हो.
-कहीं पानी को जमा न होने दिया जाए.
-मॉस्किटो रिपेलेंट पैचेस पहनिए.
-मच्छरदानी लगाइए.
-पूरी बाज़ू के कपड़े पहनिए.
-जहां भी मच्छर के लार्वा हों, उन्हें नष्ट कर दीजिए.
-ख़ुद को मच्छरों से बचाकर रखिए.
-जो लोग जानवरों के संपर्क में आते हैं, उन्हें ध्यान देना चाहिए कि वहां मच्छर न हों.
हेल्थ रिस्क-वेस्ट नाइल फीवर एक ऐसी वायरल बीमारी है, जिसमें 80-90 प्रतिशत लोगों में कोई लक्षण दिखाई नहीं देते.
-10-15 प्रतिशत लोगों में जिनमें लक्षण दिखाई देते हैं उनमें बुखार, खांसी, लिम्फ ग्लैंड में सूजन, रैशेज़ होकर ठीक हो जाता है.
-पर 1% लोगों में दिमागी बुखार हो सकता है.
-दौरे पड़ सकते हैं.
-सिर में दर्द हो सकता है.
-उल्टियां आ सकती हैं.
-आदमी की जान भी जा सकती है.
-ऐसा कम लोगों में होता है.
-पर ये जानलेवा हो सकता है.
जैसा हम हमेशा कहते हैं. आज के समय में कोई भी बीमारी या वायरस एक एरिया तक सीमित होकर नहीं रहती. इसलिए उसके बारे में जागरूकता होना ज़रूरी है. घबराने की बात नहीं है, बस सतर्क रहिए. अगर डॉक्टर के बताए गए लक्षण कभी महसूस हों, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.
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