रविवार, 17 मार्च को उत्तर प्रदेश पुलिस ने एल्विश यादव (Elvish Yadav) को गिरफ़्तार कर 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है. आरोप हैं कि एल्विश अपने गैंग के साथ रेव पार्टी में सांपों के ज़हर (Snake Venom) का इस्तेमाल करते हैं, सांपों की तस्करी करते हैं. बीते साल, 3 नवंबर को इन्हीं आरोपों के साथ एल्विश के ख़िलाफ़ FIR दर्ज की गई थी. उन्होंने अपनी सफ़ाई का वीडियो भी जारी किया था, लेकिन वो पुलिस के सामने पेश नहीं हुए थे.
सांप तस्करी के आरोप में एल्विश यादव गिरफ़्तार, लेकिन सांप का नश्शा होता कैसा है?
वैज्ञानिक बताते हैं कि कुछ सांपों के ज़हर में न्यूरोटॉक्सिन होते हैं, जो शरीर को सुन्न कर सकते हैं.
पुलिस ने तब पांच आरोपियों को अरेस्ट भी किया था. उनके पास से नौ ज़हरीले सांप रेस्क्यू किए गए थे. ज़हर भी बरामद किया गया था. लेकिन इस ख़बर के पब्लिक डोमेन में आने के बाद चर्चा छिड़ी हुई है कि सांप के ज़हर से कोई नशा कैसे करता है? क्या ज़हर से वाक़ई नशा होता है? ज़हर से लोग मर नहीं जाते?
डिस्क्लेमर: हम किसी भी तरह के नशे को बढ़ावा नहीं देते. कोई भी नशा, बिना अगर-मगर के नुक़सानदेह ही है. सांप का ज़हर जानलेवा है. वाइल्ड-लाइफ़ प्रोटेक्शन ऐक्ट (1972) के मुताबिक़, सांप की किसी भी भारतीय प्रजाति को देश के अंदर पालतू जानवर के रूप में नहीं रखा जा सकता है. अपने विवेक का इस्तेमाल करें. ये लेख बस जानकारी के लिए है.
रहिमन इस संसार में भांति-भांति के लोग. इन्हीं लोगों में... इन्हीं लोगों में कुछ लोग दुपट्टा ले लेते हैं. कुछ नशा करते हैं. बाक़ी लोग काम करते हैं. और जैसे भांति-भांति के लोग, वैसे ही भांति-भांति के काम.. भांति-भांति के नशे.
गांव-शहरों में जिस सांप का भय प्रचलित है, वही सांप कुछेक पार्टियों में नशे की सामाग्री बने रेंग रहा है. लोग उसके फ़न से जबरन ज़हर निकाल कर उससे नशा करते हैं. कभी-कभी तो सीधे कटवा भी लेते हैं. इससे उन्हें ‘हाई’ मिलता है. हाई बोले तो एक उल्लासपूर्ण अवस्था. सादी भाषा में - कमहोशी.
शराब के नशे और सांप के नशे में अंतर क्या है?एक केस स्टडी से बात शुरू करते हैं. इंडियन जर्नल ऑफ़ फ़िज़ियोलॉजी एंड फ़ार्माकोलॉजी ने 19 साल के एक लड़के के स्नेक-बाइट एक्सपीरियंस का पूरा ब्योरा छापा है. केस राजस्थान का है. अपर-मिडल क्लास मारवाड़ी परिवार का लड़का. 11 साल की उम्र से ही सिगरेट पीता था. 19 तक दिन की 20-20 सिगरेट पीने लगा. बीते 6 साल से शराब के नशे का भी आदी था. एक दिन में तीन बार गांजा भी पीता था. 17 साल की उम्र में उसने हार्ड ड्रग्स का रुख किया. मसलन - कोकेन, अफ़ीम, ऐसिड, वग़ैरह. माने पूरी तरह से 'नशेड़ी' ही था. फिर उसके दोस्तों ने उसे सांप के नशे के बारे में बताया. जब उसे यक़ीन हो गया कि इससे मरेंगे नहीं, तब उसने तय किया कि वो स्नेक बाइट लेगा.
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दूसरे शहर से सांप मंगवाया. ज़हर का असर बढ़ाने के लिए उसके दोस्तों ने उसे एक केमिकल दिया. कहा कि सांप में ये केमिकल डाल दो. लेकिन वो केमिकल था क्या, इसकी जानकारी उसे नहीं थी. गांजा फूंकने के बाद उसने अपनी जीभ पर सांप से कटवाया. तुरंत बेहोश हो गया. कुछ घंटों बाद होश लौटा, तो पूरा नहीं. लड़के ने बताया कि उसे अत्यधिक ख़ुशी हो रही थी, हल्का-हल्का लग रहा था, नींद आ रही थी. और, ऐसा एक हफ़्ते चला. इस दौरान उसने कोई और नशा नहीं किया. 7 दिन बाद वो पूरी तरह नॉर्मल हो गया. आने वाले महीनों में उसने कई बार स्नेक बाइट लिया. सूचना परिवार को मिली, तो उसे अस्पताल ले जाया गया. सांप के काटने की जगह पर मांसपेशी में कोई डैमेज नहीं था.
शरीर पर कई टेस्ट हुए. सब नॉर्मल आया. बस उसे पसीना बहुत आ रहा था, हांथ कांप रहे थे और चाल में ढिलाई थी. शरीर में गांजा और अफ़ीम मिले, मगर नियमित जांच के सभी नतीजे सामान्य थे. मानसिक स्थिति के मूल्यांकन में नींद न आना, सिगरेट-शराब की लत, चिड़चिड़ा रवैया, नशीली दवाओं के सेवन के लिए पूर्व व्यस्तता और कमज़ोर आंखें. हालांकि, ये बताना मुश्किल था कि ये लक्षण उसे सांप के काटने की वजह से थे या सालों के नशों की लत की वजह से.
सांप के ज़हर लड़का मरा कैसे नहीं? इस केस में मरीज की ‘नशा-हिस्ट्री’ इसलिए बताई कि डॉक्टरों का कहना है कि व्यक्ति की हिस्ट्री का फ़र्क़ पड़ता है. साल-ओ-साल कड़े परिश्रम के साथ लड़के ने जो नशा किया था, उससे शरीर कुछ और ‘सहिष्णु’ हो गया था. मुमकिन है कि अगर वो नशे का फ़र्स्ट-टाइमर होता, तो वो बीमार… बहुत बीमार हो सकता था.
सांप से कटवाने पर शरीर में क्या होता है?सांप का ज़हर अफ़ीम या हार्ड ड्रग्स जैसे नशीले पदार्थों जैसा ही असर छोड़ता है. वैज्ञानिक बताते हैं कि कुछ सांपों के ज़हर में न्यूरोटॉक्सिन होते हैं, जो एनाल्जेसिया पैदा कर सकते हैं. न्यूरोटॉक्सिन मल्लब ऐसे पदार्थ, जो नर्वस सिस्टम का माहौल बदल-बिगाड़ दें. और, एनाल्जेसिया मतलब दर्द न महसूस होना. शरीर का सुन्न पड़ जाना.
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ज़हर को कन्ज़्यूम करने के कई तरीक़े हैं. नशा करने वाले ज़हर निकाल कर सीधा शरीर में सुई लगाते हैं, लिक्विड को पाउडर बना लेते हैं, ड्रिंक में मिलाकर पीते हैं और सीधे कटवाते भी हैं. इसमें से कुछ भी नहीं करना है. बस जानकारी के लिए बता रहे हैं.
द संडे गार्जिअन के लिए स्वाति ने 2016 में एक रिपोर्ट की थी. उन्होंने कुछ ऐसे लोगों से बात की, जिन्होंने सांप वाला नशा किया था. बताया कि ज़हर से शरीर में झनझनाहट बढ़ती है और ऊर्जा का पारा सातवें आसमान पर पहुंचता है. पार्टी-ड्रग है, तो लोग नशा कर के लंबे समय तक नाचते हैं. और, इसका प्रभाव अलग-अलग होता है. कभी छह-सात घंटे में उतर जाता है, कभी-कभी पांच-छह दिनों तक रहता है.
दिल्ली में एक ग्राम स्नेक-बाइट पाउडर की क़ीमत लगभग 20,000-25,000 रुपये है. नारकोटिक्स अधिकारियों का अनुमान है कि अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में आधा लीटर सांप का ज़हर लाखों रुपये में बिकता है.
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ख़ैर, ये तो नशा-पुराण भई. लेकिन नशा करने के लिए आपको लाखों रुपये या इतनी मेहनत करने की ज़रूरत नहीं है. दिल्ली की हवा आपके लिए पर्याप्त हानिकारक है.
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