डेटिंग को लेकर जमाने के साथ तकनीक भी लगातार 'अपडेट' हो रही है. जब तक आप इसके एक टर्म को समझते हैं, तब तक कोई दूसरा टर्म सामने आ जाता है. रिलेशनशिप, सिचुएशनशिप और टेक्स्टेशनशिप, यानी डेटिंग के सुपरमार्केट वाले गलियारे में हम टहल ही रहे थे कि अब इनका एक और छोटा भाई मार्केट में आ गया है. नाम है, नैनोशिप (Nanoship). जी हां, डेटिंग की लगातार बढ़ रही दुनिया में नैनोशिप की ऑफिशियल एंट्री हो गई है.
मार्केट में आया नया रोमांस 'Nanoship' है क्या बला?
Tinder ने हाल ही में 2024 की अपनी सालाना 'ईयर इन स्वाइप' (Year In Swipe) रिपोर्ट जारी की है. ये 2024 में मॉडर्न डेटिंग पर बात करती है. इसी में नैनोशिप का भी ज़िक्र आया है.
नैनोशिप पैदा हुआ है डेटिंग ऐप टिंडर की एक रिपोर्ट से. टिंडर ने हाल ही में 2024 की अपनी सालाना 'ईयर इन स्वाइप' रिपोर्ट जारी की है, जो इस साल की मॉडर्न डेटिंग पर बात करती है. रिपोर्ट में बताया गया कि इस साल सिंगल्स ने किस तरह रोमांस और कनेक्शन को नए तरीक़े से देखा है. साथ ही ये रिपोर्ट 2025 में डेटिंग की दुनिया को प्रभावित करने वाली वजहों पर भी चर्चा करती है.
इस रिपोर्ट के लिए 3 मार्च से 18 मार्च, 2024 के बीच 18-34 साल की उम्र के 8,000 लोगों (सिंगल्स और डेटिंग कर रहे) का सर्वे किया गया. इन 8,000 में ब्रिटेन, अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया से दो-दो हजार लोगों को सेलेक्ट किया गया. बातचीत में पाया गया कि कोई भी रोमांटिक कनेक्शन इतना छोटा नहीं होता कि वो मैटर ही ना करे. जो लोग सिंगल हैं, वो छोटी से छोटी बातचीत में मतलब ढूंढते हैं. चाहे वो गंभीर बात हो या सिर्फ मौज-मस्ती के लिए. वो छोटी सी मूवमेंट पर भी संभावनाएं देखते हैं.
रोमांस की एक छोटी सी चिंगारी, जो आपके दिन को रोशन करती है और आपको मुस्कुराहट के साथ छोड़ देती है. यानी मुस्कुराहट देती तो है, लेकिन छोड़ जाती है. अगर परिभाषा से कम समझ आ रहा हो, तो उदाहरण से समझिए.
मान लीजिए, आप किसी फंक्शन में किसी से मिलते हैं, जिससे कुछ पलों की डेटिंग होती है. मुलाक़ात भी कैसी? ऐसी कि सिर्फ़ नज़रें मिलीं और शर्मीली सी हंसी का छोटा एक्सचेंज हो गया. रोमांटिक मूवमेंट का बुलबुला, जो बस कुछ पल के लिए होता है. और ये कनेक्शन बस कुछ सेकेंड्स या मिनट्स का हो. उसके बाद कोई कनेक्शन नहीं, कोई मेल मुलाक़ात नहीं. इस स्माइल एक्सचेंज का कोई फॉलोअप नहीं. इस स्थिति को नैनोशिप का स्टैंडर्ड उदाहरण मान सकते हैं.
मेट्रो में किसी के साथ हुआ आई कॉन्टैक्ट, रोज़ भेजे जाने वाला गुड मॉर्निंग का मैसेज या रील्स. ये छोटी-छोटी चीज़ें आपको क्षणिक आनंद देती हैं. इसे एक तरह का 'सिचुएशनशिप' कहा जा सकता है. लेकिन कुछ घंटों, दिनों या सिंगल बातचीत तक ही. नैनोशिप में अक्सर बहुत ज़्यादा इमोशनल गहराई या लॉन्ग टर्म इंटेंशन नहीं होते. ये जितनी जल्दी शुरू होता है, उतनी ही जल्दी ख़त्म भी हो जाता है.
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नैनोशिप आजकल इतनी चर्चा में क्यों?इसे लेकर इंडिया टुडे ने मुंबई स्थित रिलेशनशिप एक्सपर्ट और ऑथर शाहज़ीन शिवदासानी से बात की. उनका कहना है कि बहुत से लोग इस तरह के इंटरैक्शन्स से ख़ुश होते हैं. उन्होंने बताया,
"ये छोटे-छोटे पल महत्वपूर्ण होते हैं. क्योंकि प्यार पाने, डेटिंग करने और घर बसाने की प्रक्रिया में ऐसे समय आते हैं, जब आप पूरी तरह अकेले होते हैं. वो पल आपके लिए ज़रूरी हो जाते हैं. उसके जरिये आप ये जान पाते हैं कि आप कौन हैं. आप में समझ विकसित होती रहती है और बदलती रहती है."
शाहज़ीन शिवदासानी आगे बताती हैं,
“कभी-कभी अकेलापन महसूस करना और किसी से जुड़ने की चाहत होना इंसानी स्वभाव है. असल में, दुनियाभर के डेटा बताते हैं कि पूरी दुनिया में हर पांच में से एक व्यक्ति अकेला है. ये क्षणिक बातचीत अकेले लोगों को उम्मीद की किरण देती है. वो आपकी कोशिशों में जोश और उत्साह भर देते हैं और याद दिलाते हैं कि कुछ बढ़िया होने वाला है.”
शिवदासानी ने आगे कहा कि संभावनाओं और नए मौक़ों की यही भावना, इन छोटे-छोटे पलों को मज़ेदार बनाती है. वो उम्मीद से भरे होते हैं और यही उम्मीद, हमारे आगे बढ़ने के लिए काफ़ी है.
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