बच्चों के मेधावी छात्र बनने का सपना हर मां-बाप देखते हैं. इसके लिए बच्चों को महंगे से महंगे स्कूल में पढ़ाने से लेकर उनके लिए भगवान से प्रार्थना करने तक तमाम प्रयास वे करते हैं. लेकिन कड़वा सच है कि ज्यादातर लोग मेधावी छात्र नहीं बन पाते. अब इसके पीछे अपने-अपने कारण हैं. कुछ जायज तो कुछ सिर्फ बहाने. ये सच बच्चों के साथ उनके मां-बाप में भी कुंठा भर देता है. हालांकि पढ़ाई में कमजोरी को सुधारा तो जा ही सकता है. और इस काम में भी माता-पिता का प्रयास बहुत जरूरी है. जैनब और उनकी मां इसका उदाहरण हैं.
बेटी गणित में लाई जीरो, मां ने कॉपी में ऐसी बात लिखी जो सबके लिए सबक बन गई!
मां के सपोर्ट से बेटी ने गणित से हार नहीं मानी और आगे चलकर बढ़िया स्कोर करके दिखा दिया.
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जैनब एक आम ट्विटर यूजर हैं. लेकिन उनका एक ट्वीट बहुत खास हो गया है. इसमें उन्होंने बताया है कि कैसे उनकी मां ने एग्जाम में कम नंबर आने के चलते उन्हें डांटा नहीं, बल्कि उनकी हिम्मत बढ़ाई.
कम नंबर आए तो मां ने डांटा नहींस्कूल एग्जाम में कम नंबर आएं तो परीक्षा कॉपी पर पापा-मम्मी के सिग्नेचर करवाने के लिए बोला जाता है. कॉपी देखकर पापा-मम्मी क्या करते हैं? आमतौर पर तो डांटते हैं. कुछ थपड़िया देते हैं. ज़ैनब ने X पर अपने गणित के एग्जाम की कॉपी की फ़ोटो शेयर की है. कॉपी देखकर पता चलता है कि उनके अच्छे मार्क्स नहीं आए थे. तो कॉपी उनके हाथ भेजी गई मम्मी के पास. और मम्मी ने पता है क्या किया? उन्होंने कॉपी पर सिग्नेचर तो किए, लेकिन उसके साथ एक ऐसी बात भी लिख दी जिसे देख अब सभी लोग उनकी तारीफ़ कर रहे हैं.
@zaibannn ने अपने X अकांउट पर अपनी कॉपी की फ़ोटोज 25 अगस्त को शेयर की थीं. उन्होंने पोस्ट पर लिखा,
“मेरी क्लास 6 की गणित की नोटबुक मिली और मुझे बहुत अच्छा लगा कि मां हर ख़राब एग्जाम पर मेरा उत्साह बढ़ाने के लिए एक नोट के साथ सिग्नेचर करती थीं!”
जै़नब को 15 में से ज़ीरो मार्क्स आए थे. उनकी मां ने लिखा था,
"प्रिय, इस रिजल्ट को स्वीकार करना बहुत हिम्मत वाली बात है."
इस पोस्ट के नीचे जै़नब ने एक और पोस्ट कर बताया,
“मैंने गणित को पढ़ना जारी रखा और एक लेवल पर आकर इसका आनंद भी लिया. मैंने भी अच्छा स्कोर किया! ऐसा तब होता है जब आप अपने बच्चे को असफल होने पर शर्मिंदा नहीं करते.”
इस पोस्ट पर लोगों ने ज़ैनब की मां की तारीफ़ तो की ही, साथ ही अपनी लाइफ के बारे में भी बताया. डॉ प्रियंका नाम की यूजर ने लिखा,
“वाह, मैं भी ऐसी मां पाकर आभारी हूं. वह मेरे संघर्षों में हमेशा साथ रही हैं और अब भी साथ हैं.”
एक यूजर ने लिखा,
“आपकी मां कितनी क्यूट हैं.”
दूसरे यूजर ने लिखा,
“इस पोस्ट से मुझे एक ही समय में दुःख भी हुआ और खुशी भी.”
तीसरे यूजर ने थोड़ा अपने बारे में सच लिखते हुए बताया,
“हम तो खुद ही सिग्नेचर कर देते थे, कहीं डांट ना पड़ जाए.”
किसी बच्चे के एग्जाम में पास या फेल होने पर मां-बाप को सबसे पहले बच्चे की मानसिक स्थिति के बारे में सोचना चाहिए. जैसे पांचों उंगलियां बराबर नहीं होती हैं, वैसे ही हर बच्चा टॉप नहीं कर सकता है.
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