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चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर ने क्या किया जो अंतरिक्ष यात्री चांद पर जाकर वापस आ सकेंगे?

Chandrayaan-3 मिशन को लेकर बड़ी अपडेट आई है. विक्रम लैंडर ने हॉप एक्सपेरिमेंट पूरा किया है.

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चंद्रमा पर तैनात लैंडर विक्रम और चंद्र मुसाफिर की एक सांकेतिक फोटो. (फोटो: ISRO)

चंद्रयान-3 का विक्रम लैंडर (Vikram Lander) फिर से लैंड कर गया है. कहां? चांद पर ही. असल में लैंड नहीं किया है, फुदक गया है. लेकिन ISRO और चांद पर आदमी के भेजने के लिए ये एक बहुत बड़ा क़दम है. ISRO से आई हालिया जानकारी के मुताबिक़,

"विक्रम लैंडर ने अपने मिशन के उद्देश्यों को पार कर लिया है. यह एक सफल 'हॉप एक्सपेरिमेंट' है. सभी प्रणालियां बराबर हैं. स्वस्थ हैं. प्रयोग के बाद तैनात रैंप, मुड़े और सफलतापूर्वक फिर से लग गए.

यह 'किक-स्टार्ट' भविष्य के मानव मिशनों क रास्ता प्रश्सत करेगा."

हॉप एक्सपेरिमेंट क्या है?

इससे पहले ISRO ने कभी भी हॉप एक्सपेरिमेंट के बारे में जानकारी नहीं दी थी. इसीलिए कहा जा रहा है कि विक्रम लैंडर ने अपने उद्देश्यों से ज़्यादा पा लिया है.

हुआ कैसे? लैंडर को एक कमांड भेजा गया. कमांड पर, इंजन चालू हुआ. लैंडर ने ख़ुद को सतह से लगभग 40 सेंटीमीटर ऊपर उठाया और 30-40 सेमी की दूरी पर सुरक्षित रूप से फिर उतर गया. इसे हॉप एक्सपेरिमेंट कहा जाता है.

इससे होगा क्या? अगर कमांड पर लैंडर हरकत कर सकता है, तो चांद की सतह को और क़ायदे से टोहा जा सकता है. चांद की सतह को नैविगेट किया जा सकता है. यहां तक कि यान को वापस बुलाने का रास्ता भी इसी छोटी छलांग से खुलता है. अंतरिक्ष यान से नमूना वापस लाने या मानव लैंडिंग मिशन के लिए हॉप एक्सपेरिमेंट बहुत महत्वपूर्ण होने वाला है.

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इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक़, वैज्ञानिकों का यही मानना है कि अगला क़दम सैंपल रिटर्न मिशन ही होगा, जिसमें चांद की सतह से एक नमूने को यहां लाया जाएगा और यहां उसकी परख होगी. और अगर चंद्रयान-2 सफल होता, तो चंद्रयान-3 एक सैंपल रिटर्न मिशन ही होने वाला था. चीन का स्पेस प्रोग्राम भी इसी तर्ज पर आगे बढ़ा था. चीन ने 2007 में एक ऑर्बिटर भेजा और फिर उसके बाद एक लैंडर और अंततः 2020 में सैंपल रिटर्न मिशन भेजा.