भारतीय रेलवे (Indian Railway) की कुछ प्रीमियम ट्रेनों की रफ्तार कम किए जाने की बात कही जा रही है. इनमें गतिमान (Gatiman) और वंदे भारत (Vande Bharat Speed) जैसी ट्रेन्स शामिल हैं. कहा जा रहा है कि इनकी रफ्तार, 160 किलोमीटर प्रति घंटा से घटाकर 130 किलोमीटर प्रति घंटा तक की जा सकती है.
Vande Bharat ट्रेनों की स्पीड घटाई जाएगी, रेलवे के बड़े अधिकारियों ने ऐसी क्या चिंता जता दी?
बताया जा रहा है कि दिल्ली-आगरा-झांसी रूट पर ट्रेन प्रोटेक्शन वार्निंग सिस्टम (TPWS) के 'फेल' होने की वजह से ट्रेन्स की रफ्तार धीरे की जा रही है. रिपोर्ट के मुताबिक 6 नवंबर, 2023 से उत्तरी रेलवे स्पीड 130 किलोमीटर प्रति घंटा करने का प्रस्ताव रेलवे बोर्ड के पास पेंडिग था. लेकिन अब 25 जून, 2024 फिर से स्पीड कम करने का प्रस्ताव दिया गया है.
द हिंदू की खबर के मुताबिक, रेलवे के सूत्रों ने यह जानकारी दी है. कहा जा रहा है कि उत्तर मध्य रेलवे ने रेलवे बोर्ड को पत्र लिखा है. लिखा कि ट्रेन नंबर 12050/12049 दिल्ली-झांसी-दिल्ली गतिमान एक्सप्रेस, ट्रेन नंबर 22470/22469 दिल्ली-खजुराहो-दिल्ली वंदे भारत एक्सप्रेस, ट्रेन नंबर 20172/20171 दिल्ली-रानी कमलापति-दिल्ली वंदेभारत एक्सप्रेस और ट्रेन नंबर 12002/12001 दिल्ली-रानी कमलापति-दिल्ली शताब्दी एक्सप्रेस की रफ्तार कम की जानी चाहिए.
कहा जा रहा है कि प्रस्ताव सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए रखा गया है. जिसमें वंदे भारत ट्रेन की रफ्तार 160 किलोमीटर प्रति घंटा से 130 किलोमीटर प्रति घंटा, तो शताब्दी एक्सप्रेस की रफ्तार 150 किलोमीटर प्रति घंटा से 130 किलोमीटर प्रति घंटा करने का सुझाव दिया गया है. बताया जा रहा है कि इन ट्रेन्स की रफ्तार में इस कमी की वजह से इनकी यात्रा 25-30 मिनट तक लंबी हो सकती है.
द हिंदू की खबर के मुताबिक, ये भी कहा जा रहा है कि इन बदलावों की वजह से कम से कम 10 प्रीमियम ट्रेन्स की टाइमिंग बदलनी पड़ेगी.
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कंजनजंगा एक्सप्रेस हादसे के बाद दिया गया प्रस्तावबताया जा रहा है कि दिल्ली-आगरा-झांसी रूट पर ट्रेन प्रोटेक्शन वार्निंग सिस्टम (TPWS) के 'फेल' होने की वजह से ट्रेन्स की रफ्तार धीरे की जा रही है. रिपोर्ट के मुताबिक 6 नवंबर, 2023 से उत्तरी रेलवे स्पीड 130 किलोमीटर प्रति घंटा करने का प्रस्ताव रेलवे बोर्ड के पास पेंडिग था. लेकिन अब 25 जून, 2024 फिर से स्पीड कम करने का प्रस्ताव दिया गया है.
रिपोर्ट में लिखा है कि TPWS सिस्टम को रिपेयर न कर पाने के चलते, डिविजिनल रेलवे मैनेजर की रिपोर्ट को मद्देनजर रखते हुए बोर्ड ने प्रीमियम ट्रेनों की स्पीड कम करने का सुझाव दिया है.
ये भी बताया जा रहा कि चूंकि दो जोनल रेलवे ने प्रीमियम ट्रेनों की रफ्तार कम करने के बारे में लिखित प्रस्ताव दिया है, इसलिए रेलवे बोर्ड के पास ट्रेनों की रफ्तार कम करने के अलावा कोई चारा नहीं रहेगा.
इस पूरे मामले पर वंदे भारत एक्सप्रेस से जुड़े रहे, इंटेग्रल कोच फैक्ट्री के पूर्व प्रिंसिपल चीफ मेकैनिकल इंजीनियर शुभ्रांशु ने भी द हिंदू से अपनी बात साझा की. कहा कि प्रीमियम ट्रेनों की रफ्तार कम करने से इन ट्रेनों का मूल मकसद पूरा नहीं होगा.
कंजनजंगा हादसे का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि जो मालगाड़ी एक्सप्रेस से टकराई थी, उसकी रफ्तार महज 45 किलोमीटर प्रति घंटा थी. उन्होंने ये भी कहा कि ये सेमी हाई स्पीड ट्रेनें बहुत सारी उम्मीदों के साथ बनाई गई थीं. बिना समस्या की जड़ तक पहुंचे इनकी रफ्तार कम करना इनका उद्देश्य पूरा नहीं करेगा.
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