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उत्तरकाशी सुरंग हादसा: मजदूरों को बाहर लाने में क्यों हो रही देर, अब क्या देख ड्रिलिंग रोक दी गई?

उत्तराखंड के उत्तरकाशी में हुए सुरंग हादसे में बचाव अभियान के सामने एक और चुनौती आ गई है. रिपोर्ट के मुताबिक, अब बचाव अभियान में ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है.

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उत्तरकाशी की टनल में बचाव अभियान के आखिरी चरण में चुनौतियोंं का सामना करना पड़ रहा है. (तस्वीर: इंडिया टुडे)

उत्तरकाशी सुरंग हादसे (Uttarkashi Tunnel Accident) के 12 दिन बीत चुके हैं. सुरंग के अंदर अभी भी 41 मजदूर फंसे हुए हैं. 23 नवंबर को अधिकारियों की तरफ से कहा गया कि कुछ ही घंटों में मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया जाएगा. लेकिन आखिरी वक्त में तकनीकी खराबी आने के कारण मजदूरों को बाहर नहीं निकाला जा सका. पूरा देश बचाव अभियान की सफलता का इंतजार कर रहा है. उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही सुरंग के अंदर फंसे लोगों को बाहर निकाल लिया जाएगा.

क्यों रोकनी पड़ी ड्रिलिंग?

न्यूज एजेंसी PTI की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जिस प्लेटफॉर्म पर ड्रिलिंग मशीन टिकी हुई है, उस पर दरारें दिखाई देने के बाद ड्रिलिंग रोकनी पड़ी. अधिकारियों की मानें तो जल्द ही ड्रिलिंग का काम शुरू हो जाएगा. इससे पहले मलबे में धातु की छड़ें आ गई थीं जिसके बाद ड्रिलिंग में 6 घंटे की देरी हुई थी. राज्य सरकार के नोडल अधिकारी की मानें तो 22 नवंबर के बाद से खबर लिखे जाने तक ड्रिलिंग के काम में 1.8 मीटर की प्रगति हुई है. इससे पहले ऑगर मशीन में कुछ तकनीकी दिक्कतें भी आई थीं. जिसके बाद मशीन को ठंडा होने के लिए कुछ समय दिया गया था.

बाहर निकलने के बाद पहले मजदूरों के साथ क्या होगा?

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक घटनास्थल पर 41 एंबुलेंस खड़ी की गई हैं. मजदूरों को बाहर निकालने के बाद उनके स्वास्थ्य की जांच की जाएगी. इसके लिए चिन्यालीसौड़ के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) में डॉक्टर्स की एक टीम तैयार की गई है. 

बचाव अभियान में ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है. न्यूज एजेंसी ANI ने स्क्वाड्रन इंफ्रा माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड के एमडी और सीईओ सिरिएक जोसेफ से इस तकनीक के बारे में बात की. उन्होंने बताया कि ये ड्रोन तकनीक नवीनतम तकनीकों में से एक है जो सुरंग के अंदर जा सकता है. ये GPS प्रतिबंधित क्षेत्रों में जाकर भी लोगों का पता लगा सकता है.

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मजदूरों के लिए मुआवजा

इस बीच कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने उत्तराखंड की सिल्कयारा सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को उचित मुआवजा देने का आग्रह किया. उन्होंने सोशल मीडिया X (ट्विटर) पर लिखा,

“सरकार से आग्रह है कि प्राणों की बाजी लगाकर दिन-रात राष्ट्र की सेवा में लगे इन मजदूर भाइयों को उचित मुआवजा और मदद दी जाए.”

घटनास्थल पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी मौजूद हैं. इससे पहले उन्होंने सुरंग में फंसे मजदूरों से बात भी की. उन्होंने मजदूरों से कहा कि आप लोग बहुत हिम्मती हैं. हम आपके बहुत ही पास पहुंच गए हैं. उन्होंने बातचीत का एक वीडियो सोशल मीडिया पर भी पोस्ट किया है.

इससे पहले, 12 नवंबर को उत्तराखंड की निर्माणाधीन सिल्क्यारा सुरंग का कुछ हिस्सा ढह गया था. टनल में बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के मजदूर फंसे हुए हैं.

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वीडियो: उत्तरकाशी की सिल्कयारा टनल में फंसे मजदूरों के पहले CCTV फुटेज में क्या नज़र आया?