उत्तरकाशी सुरंग हादसे (Uttarkashi Tunnel Accident) में अब भी 41 मजदूर फंसे हुए हैं. मजदूरों को बचाने की हर रोज की उम्मीद, समय बीतने के साथ आगे खिसकती जा रही है. आज 9वां दिन है जब इन मजदूरों के परिवार वाले इस आस में हैं कि बचाव दल को सफलता मिलेगी. 12 नवंबर को उत्तराखंड की निर्माणाधीन सिल्क्यारा सुरंग ढह गई थी. सुरंग में फंसे लोगों को बचाने के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है. लेकिन अभी तक कोई सफलता नहीं मिली है. मजदूरों के स्वास्थ्य को लेकर भी चिंता बढ़ती जा रही है.
"जल्दी निकालिए, हालत खराब..."- उत्तरकाशी सुरंग में फंसे मजदूरों ने लगाई आवाज, और क्या कहा?
उत्तरकाशी सुरंग हादसे के 9वें दिन मजदूरों और उनके परिजनो में रोष बढ़ता जा रहा है. टनल के अंदर फंसे 6 मजदूरों से बात हुई और सबने लगभग एक ही बात दुहराई, बाहर निकालिए, हालत खराब है. टनल के अंदर फंसे लोगों के परिजन घटनास्थल के बाहर ही रूके हुए हैं.
इंडिया टुडे से जुड़े पंकज वर्मा की एक रिपोर्ट के मुताबिक, टनल में श्रावस्ती के 6 मजदूर फंसे हुए हैं. ये मजदूर जनपद के इंडो नेपाल बॉर्डर पर बसे थारू बाहुल्य गांव मोतीपुर कला के रहने वाले हैं. रिपोर्ट के अनुसार, मजदूरों से श्रावस्ती के आपदा विशेषज्ञ अरुण कुमार मिश्रा की बात हुई है. जो बातचीत हुई, वो चिंताजनक है. मजदूरों ने कहा कि टनल के अंदर सबकी हालत खराब है, सबको जल्दी बाहर निकाला जाए.
टनल में फंसे रामसुंदर से अरुण मिश्रा ने कहा कि घर वालों के लिए कुछ बोल दो भाई. जवाब मिला, बाहर निकालो तभी तो. इसी तरह जब अंकित नाम के एक व्यक्ति से बात की गई तो सबसे पहले उसने अपने घरवालों का हाल पूछा. फिर उसने कहा कि यहां पर सब खाना-वाना मिल रहा है लेकिन सबकी हालत खराब है. एक दूसरे मजदूर राममिलन ने भी कहा कि जल्दी निकालिए अंदर हैं हम लोग. एक अन्य मजदूर से मिश्रा ने हिम्मत रखने की बात कही तो जवाब मिला, हिम्मत बनाकर रखे हैं तभी जिंदा हैं. इस तरह 6 मजदूरों से बात हुई और सबने लगभग एक ही बात दोहराई, बाहर निकालिए, हालत खराब है.
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इस बातचीत के लिए सुरंग में एक पाइप डाला गया था. फिर उस पाइप के जरिए मजदूरों से संपर्क किया गया. मजदूरों तक पाइप के ही जरिए टनल के अंदर खाना पहुंचाया जा रहा है. वहीं कई अन्य मीडिया रिपोर्ट्स से भी पता चलता है कि मजदूरों और उनके परिजनो की नाराजगी बढ़ती जा रही है.
जान बचने की उम्मीद
टनल के अंदर फंसे लोगों के परिजन घटनास्थल के बाहर ही रूके हुए हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, लगभग सभी मजदूरों के परिवार वाले घटनास्थल पर पहुंच गए हैं.
इससे पहले 17 नवंबर को बचाव कार्य के दौरान सुरंग के अंदर से जोरदार आवाज सुनाई दी थी. आशंका जताई गई कि अंदर और मलबा गिरा है जिसके चलते ऑपरेशन को रोकना पड़ गया. फिर एक नए प्लान पर काम शुरू हुआ. फंसे मजदूरों के घरवाले ने प्रशासन पर लापरवाही और ऑपरेशन में देरी का आरोप भी लगाया.
टनल में बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के मजदूर फंसे हुए हैं.
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