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उत्तरकाशी की इस मस्जिद को लेकर भयंकर बवाल, गिराने की बात क्यों कर रहे हिंदू कार्यकर्ता?

बीती 21 अक्टूबर को उत्तरकाशी जिला प्रशासन ने मस्जिद को लेकर एक रिपोर्ट जारी की थी. इसमें कहा गया था कि मस्जिद निजी जमीन पर वैध तरीके से बनी है. इसके बावजूद हिंदू संगठन विरोध कर रहे हैं.

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उत्तरकाशी में प्रदर्शन के दौरान हिंदू संगठनों के कार्यकर्ता. (फोटो- वीडियो स्क्रीनशॉट)

उत्तराखंड के उत्तरकाशी में हिंदू संगठनों ने एक मस्जिद को "अवैध" बताते हुए प्रदर्शन किया, जो कि हिंसक हो गया. 24 अक्टूबर को 'संयुक्त सनातन रक्षक संघ' के बैनर तले संगठनों ने मस्जिद के खिलाफ मार्च निकाला. भीड़ मस्जिद की तरफ बढ़ना चाह रही थी. लेकिन पुलिस ने रोकने की कोशिश की तो झड़प हो गई. इसके बाद भीड़ ने पत्थरबाजी की. फिर पुलिस ने लाठीचार्ज किया. इस दौरान कुछ पुलिसकर्मी समेत प्रदर्शनकारी भी घायल हुए.

इंडिया टुडे से जुड़े ओंकार बहुगुणा की रिपोर्ट के मुताबिक, बीती 21 अक्टूबर को उत्तरकाशी जिला प्रशासन ने मस्जिद को लेकर एक रिपोर्ट जारी की थी. इसमें कहा गया था कि मस्जिद निजी जमीन पर वैध तरीके से बनी है. ये मस्जिद जिला मुख्यालय के पास बनी है.

जिला प्रशासन की रिपोर्ट के बाद भी हिंदू संगठन मस्जिद को गिराने की मांग कर रहे हैं. 24 अक्टूबर को जब पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को मस्जिद की तरफ बढ़ने से रोका, तो वे गंगोत्री हाइवे पर ही बैठ गए. करीब 2-3 घंटे तक प्रदर्शनकारी सड़क पर बैठे रहे.

उत्तरकाशी पुलिस ने बताया है कि हिंदू संगठनों की रैली में पथराव के कारण 7 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं. इनमें 2 गंभीर रूप से घायल हैं, जिन्हें एंबुलेंस से हायर सेंटर देहरादून रेफर किया गया है.

झड़प और पत्थरबाजी के बाद शहर में स्थिति तनावपूर्ण है. इस तनाव के कारण प्रशासन ने उत्तरकाशी में भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा-163 लागू की है. इसके तहत, पांच या उससे अधिक लोग एक साथ कहीं इकट्ठा नहीं हो सकते हैं. इसके अलावा जनसभा, नुक्कड़ सभा, जुलूस या प्रदर्शन बिना अनुमति नहीं होती है.

उत्तरकाशी के पुलिस अधीक्षक (SP) अमित श्रीवास्तव ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि पुलिस के साथ झड़प दोपहर करीब ढाई बजे हुई. अमित ने कहा, 

"प्रदर्शनकारियों के लिए रूट पहले से तय था और बैरिकेडिंग किए गए थे. लेकिन, प्रदर्शनकारी मस्जिद की तरफ जाने की मांग करने लगे. उन्होंने मांग की थी कि हम बैरिकेडिंग हटाएं. जब ये नहीं हुआ तो वे उग्र हो गए. झड़प हुई तो उन्होंने पत्थरबाजी शुरू की. फिर हमने भीड़ को भगाने की कोशिश की."

कहां से शुरू हुआ विवाद?

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल मस्जिद की वैधता को लेकर एक RTI फाइल की गई थी. जवाब में प्रशासन ने बताया था कि उसके पास जरूरी कागजात नहीं हैं. इसके बाद मस्जिद गिराने की मांग के साथ उत्तरकाशी के डीएम को एक ज्ञापन सौंपा गया था.

6 सितंबर को हिंदूवादी संगठन के सदस्य मस्जिद गिराने की मांग को लेकर डीएम कार्यालय के बाहर धरने पर बैठे थे. उन्होंने प्रशासन को तीन दिन का अल्टीमेटम दिया था कि अगर उनकी मांग नहीं मानी गई तो वे खुद से मस्जिद गिरा देंगे.

इसके बाद डीएम ने मामले की जांच के लिए कमिटी गठित की. इस कमिटी ने बताया कि मस्जिद वैध और यह सरकारी जमीन पर नहीं है. SP अमित श्रीवास्तव ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, 

"हमारे रिकॉर्ड के मुताबिक, ये मस्जिद एक रजिस्टर्ड जमीन पर बनी है. ये चार लोगों के नाम पर रजिस्टर्ड है. प्रशासन ने इन संगठनों को ये जानकारी भी दी."

रिपोर्ट के मुताबिक, 'संयुक्त सनातन रक्षक संघ' ने कमिटी की रिपोर्ट को खारिज कर दिया. और अपनी बात पर अड़ गए कि मस्जिद अवैध है. इसी के खिलाफ उन्होंने प्रदर्शन की अनुमति ली थी.

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