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कोर्ट ऑर्डर, पुलिस कार्रवाई, पथराव, 4 की मौत, 100 घायल.. हल्द्वानी में तनाव का पूरा दिन

Haldwani में पुलिस वालों ने बताई आपबीती, कैसे घर में छिप कर बचाई जान?

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अभी स्थिति क़ाबू में है, मगर तनाव बना हुआ है.

उत्तराखंड के हल्द्वानी में गुरुवार, 8 फरवरी को एक कथित अवैध मदरसे और पास की मस्जिद तोड़ने के बाद जो हिंसा (Haldwani voilence) भड़की, उसमें अब तक चार लोगों की मौत हो गई है और 100 से ज़्यादा लोग घायल हैं. घायलों में ज़्यादातर पुलिस-कर्मी हैं. सूबे के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) ने हिंसा से निपटने और जांच के लिए एक हाई-लेवल मीटिंग बुलाई है. नैनीताल की ज़िलाधिकारी हिंसा-ग्रस्त इलाक़ों का मुआयना कर रही हैं. उन्होंने ये भी बताया कि कुछ लोगों को हिरासत में लिया गया है.

आख़िर क्यों भड़की हिंसा?

ये कार्रवाई 'मलिक का बगीचा' इलाक़े में की गई है. नगर निगम का कहना है कि मदरसा और नमाज स्थल अवैध तरीक़े से बना हुआ था. हाई कोर्ट ने भी मदरसे और नमाज स्थल को अवैध माना और मस्जिद गिराने के आदेश दिए.

8 फ़रवरी की दोपहर डेढ़-दो बजे के आसपास नगर आयुक्त पंकज उपाध्याय, सिटी मजिस्ट्रेट ऋचा सिंह, सहित कई अधिकारी मदरसे को गिराने के लिए पहुंचे. भारी पुलिस बल के साथ.

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक प्रह्लाद मीना के मुताबिक़, जैसे ही दोनों संरचनाओं को गिराने की कार्रवाई शुरू हुई, वहां मौजूद महिलाएं और रहवासी सड़क पर उतर आए और कार्रवाई का विरोध किया. बैरिकेड्स तोड़ने लगे, पुलिस कर्मियों के साथ बहस करने लगे. जैसे ही एक बुलडोजर ने मदरसे और मस्जिद को ढहा दिया, भीड़ ने पुलिस कर्मियों, नगर निगम कर्मियों और पत्रकारों पर पथराव शुरू कर दिया. पुलिस ने भीड़ को शांत करने के प्रयास किए, लेकिन पथराव और बढ़ गया. फ़ायर ब्रिगेड और पुलिस वैन को भी तोड़-फोड़ दिया गया.

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जवाब में पुलिस ने लाठीचार्ज किया. मगर नतीजा ये कि और ज़्यादा लोग इकट्ठे हो गए. पुलिस पर लगातार हमला करते रहे. ये सिलसिला शाम तक चला और क़रीब 5 बजे सरकारी अधिकारियों, पत्रकारों और पुलिस बल को भनभूलपुरा थाने में शरण लेनी पड़ी.

पुलिस वालों की स्थिति के बारे में एक महिला पुलिस-कर्मी ने मीडिया से बात की. उन्होंने बताया,

“हर तरफ़ से पथराव हो रहा था. छतों से भी, नीचे सड़कों से भी. हम 15-20 जन किसी तरह एक घर में घुसे. तो उन्होंने घर में आग लगाने की कोशिश की. बहुत जतन के बाद हम वहां से बचकर निकले.”

इतने ख़राब हालात के बाद रामनगर और नैनीताल की पुलिस से और टुकड़ियां बुलाई गईं और 7 बजे तक जाकर पुलिस ने स्थिति को क़ाबू में लिया. अधिकारियों का दावा है कि हिंसा पूर्व-नियोजित और अकारण थी. कथित तौर पर घरों में पहले से ही पत्थर जमा कर रखे गए थे.

राज्य सरकार ने कर्फ़्यू के आदेश दिए और देखते ही गोली मारने के भी आदेश जारी कर दिए. अर्धसैनिक बलों की चार कंपनियां हल्द्वानी भेजी गई हैं. साथ ही उधम सिंह नगर से प्रांतीय सशस्त्र कांस्टेबुलरी (पीएसी) की दो कंपनियां भी हल्द्वानी पहुंच गई हैं. अभी स्थिति क़ाबू में है, लेकिन तनावपूर्ण है.

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राज्य के एडीजी लॉ एंड ऑर्डर एपी अंशुमन ने बताया कि हिंसा में चार लोगों की मौत हो गई और 100 से ज़्यादा पुलिसकर्मी घायल हैं. हिंसा के बाद अस्पताल में भर्ती कराए गए ज्यादातर लोग पुलिसकर्मी थे. बाक़ी नगर निगम के कर्मचारी.

उत्तराखंड के CM पुष्कर सिंह धामी ने इलाक़े के लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है. साथ ही मामले की जांच और निपटारे के लिए उच्च-स्तरीय बैठक बुलाई है. मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक के साथ स्थिति की समीक्षा की और उन्हें अराजक तत्वों से सख़्ती से निपटने के निर्देश दिए हैं.

नैनीताल ज़िला प्रशासन ने इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दी हैं और शहर के सभी स्कूल-कॉलेज भी बंद करने के आदेश दिए हैं. DM वंदना सिंह के मुताबिक़, बनभूलपुरा की हिंसा को मुख्य शहर तक नहीं फैलने दिया गया. इस मामले में कुछ लोगों को हिरासत में भी लिया गया है.