उत्तराखंड की विधानसभा में यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) का ड्राफ्ट रख दिया गया है. इसे कॉमन सिविल कोड का नाम दिया गया है. इस ड्राफ्ट में लिव-इन रिलेशनशिप को लेकर भी प्रावधान हैं. UCC ड्राफ्ट कहता है कि जो भी 2 लोग लिव-इन रिलेशनशिप में रहना चाहते हैं, उन्हें रजिस्ट्रार के यहां रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होगा. रजिस्ट्रेशन कराये बिना लिव-इन में रहने लगे और पकड़े गए तो 3 से 6 महीने की जेल, 25 हज़ार रुपये का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं.
UCC Draft: लिव-इन में रहने के लिए रजिस्ट्रेशन, लेकिन छोड़ना हो तो क्या करना पड़ेगा?
Uttarakhand Common Civil Code में Live in Relationship को लेकर भी प्रावधान रखे गए हैं. ऐसा सिविल कोड लाने वाला पहला राज्य बन गया है उत्तराखंड.

वहीं, अगर लिव-इन-रिलेशन से निकलना चाहते हैं यानी इसे टर्मिनेट करना चाहते हैं तो इसका भी रजिस्ट्रेशन कराना होगा. ये भी रजिस्ट्रार के ऑफिस में ही होगा. यानी लिव-इन के टर्मिनेशन का भी रजिस्ट्रेशन होगा. लिव-इन रिलेशनशिप के दौरान अगर कोई संतान पैदा होती है, तो उसके हितों का संरक्षण करना होगा और उसे माता-पिता का नाम भी देना होगा. और लिव-इन-रिलेशन ख़त्म करने के लिए सिर्फ़ रजिस्ट्रार ही नहीं, बल्कि अपने साथी को भी स्टेटमेंट ऑफ टर्मिनेशन यानी एक किस्म का नोटिस भेजना होगा, पहले से जानकारी देनी होगी.
रजिस्ट्रार को लिव-इन रिलेशन के रजिस्ट्रेशन और टर्मिनेशन का रजिस्टर मेंटेन करना होगा. लिव-इन में रहना चाह रहे दोनों पार्टनर में से किसी एक की भी उम्र अगर 21 साल से कम है तो रजिस्ट्रार उसके परिवार को भी जानकारी देगा.
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सिविल कोड के बारे मेंदेश की आज़ादी के बाद से UCC पर ड्राफ्ट लाने वाला उत्तराखंड पहला राज्य है. एक्सपर्ट कमिटी ने जो बिल तैयार किया है, उसमें लगभग 400 सेक्शन हैं. इस ड्राफ्ट में प्रदेश भर से ऑनलाइन और ऑफलाइन 2.31 लाख सुझावों को शामिल किया गया है. इस बिल को यूनिफॉर्म सिविल कोड की बजाय ‘कॉमन सिविल कोड’ का नाम दिया गया है. एक और ख़ास बात है, राज्य की जनजातियों पर कॉमन सिविल कोड लागू नहीं होगा.
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