देश में पिछले दो सालों में 4484 लोगों की मौत पुलिस हिरासत में हुई है. इसमें सबसे ज्यादा मौतें उत्तर प्रदेश में दर्ज की गई हैं. यूपी में पिछले साल पुलिस हिरासत में 501 मौतें हुईं. वहीं साल 2020-21 में यहां 451 लोगों ने हिरासत में रहने के दौरान अपनी जान गंवाई. साल 2020-21 के मुकाबले 2021-22 में पुलिस हिरासत में मौत के मामले देश भर में बढ़े हैं. ये जानकारी केंद्र सरकार ने मंगलवार 26 जुलाई को लोकसभा में दी है. सरकार ने जो आंकड़ा उपलब्ध कराया है, वो 1 अप्रैल 2020 से 31 मार्च 2022 तक का है.
पुलिस हिरासत में सबसे ज्यादा मौतें कहां हुईं? केंद्र ने लोकसभा में बताया- 'यूपी में'
ये जानकारी केंद्र सरकार ने मंगलवार 26 जुलाई को लोकसभा में दी है.
हिरासत में मौतों के मामले में उत्तर प्रदेश के बाद पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश का नंबर आता है. लोकसभा में हिरासत में और मुठभेड़ में मौत को लेकर किए गए सवालों के जवाब में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने जवाब दिया,
"राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा दी गई सूचना के मुताबिक साल 2020-21 में हिरासत में मौत से जुड़े 1940 केस दर्ज किए गए. वहीं साल 2021-22 में ऐसे 2544 मामले दर्ज किए गए."
सरकार ने यह आंकड़ा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से दी गई जानकारी के आधार पर जारी किया है. गृह राज्य मंत्री ने कहा कि 'पुलिस' और 'पब्लिक ऑर्डर' राज्य के विषय हैं. उन्होंने बताया कि लोगों के मानवाधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार प्राथमिक रूप से जिम्मेदार है. हालांकि केंद्र सरकार भी समय-समय पर एडवाइजरी जारी करती है.
अंडरट्रायल कैदियों पर SC की सख्त टिप्पणीहिरासत में मौत के बढ़ रहे आंकड़े तब सामने आए हैं जब एक दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने अंडरट्रायल कैदियों को लेकर यूपी सरकार को फटकार लगाई है. 25 जुलाई को कोर्ट ने सरकार से कहा कि अगर वह अंडरट्रायल कैदियों की रिहाई पर फैसला नहीं लेती है तो वह एक साथ बेल ऑर्डर जारी कर देगा. सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी हिरासत में बंद उन 853 कैदियों को लेकर की जो पिछले 10 सालों से जेल में बंद हैं. कोर्ट ने सरकार से इन कैदियों का ब्यौरा मांगा और जवाब दाखिल करने के लिए दो हफ्ते का समय दिया.
जब यूपी में हिरासत में मौत पर उठे सवालपुलिस हिरासत में मौत के मामले में उत्तर प्रदेश सरकार और राज्य की पुलिस लगातार सवालों के घेरे में रही है. नवंबर 2021 में कासगंज में अल्ताफ नाम के शख्स की हिरासत में मौत हुई थी. पुलिस ने दावा किया था कि अल्ताफ ने नल के पाइप से डोरी बांधकर आत्महत्या कर ली. पुलिस की इस थ्योरी पर हर किसी ने सवाल उठाया था. अल्ताफ के परिवार ने कासंगज पुलिस पर हत्या का आरोप लगाया था. आनन-फानन में कासगंज सदर थाने के 5 पुलिसकर्मियों को सस्पेंड किया गया था. मामले की जांच अब भी जारी है.
इसी तरह दिसंबर 2020 में बुलंदशहर में सोमदत्त नाम के व्यक्ति की पुलिस हिरासत में मौत हुई थी. बुलंदशहर के खुर्जा नगर पुलिस ने उसे किडनैपिंग के आरोप में गिरफ्तार किया था. सोमदत्त के परिवार ने पुलिस पर हत्या का आरोप लगाया था. मृतक की मां ने 2020 में ही FIR दर्ज कराई थी. मामले में कोई कार्रवाई ना होने पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने यूपी पुलिस को फटकार लगाई. इसके बाद युपी पुलिस ने तीन पुलिसकर्मियों के खिलाफ केस दर्ज किया था, जिसमें खुर्जा नगर थाने के एसएचओ का नाम भी शामिल था.
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