उत्तरप्रदेश के मुज़फ्फरनगर ज़िले के श्रीराम कॉलेज में एक फैशन शो हुआ. शो में छात्राओं ने कैटवॉक किया. मॉडल बनीं छात्राओं ने बुर्क़ा पहना था. छात्राओं का कहना था कि फैशन शो के जरिये समाज को संदेश देना चाहती हैं. लेकिन जब इस शो का वीडियो वायरल हुआ तो जमीयत ए उलेमा के मुज़फ्फरनगर जिला कन्वीनर ने कहा कि फैशन शो में बुर्क़े का इस्तेमाल करके एक मज़हब का टारगेट किया है. और लोगों की धार्मिक भावनाओं को भड़काया गया है. इस फैशन शो में बॉलीवुड एक्ट्रेस मंदाकिनी भी मौजूद थीं. उन्होंने छात्राओं को अवार्ड दिए थे.
फैशन शो में छात्राओं ने बुर्का पहनकर कैटवॉक किया तो मौलाना खफ़ा हो गए
छात्राओं का कहना था कि फैशन शो के जरिये समाज को संदेश देना चाहती हैं. जमीयत के मौलाना कह रहे हैं कि धार्मिक भावनाओं को भड़काया गया है!
आजतक से जुड़े संदीप सैनी की रिपोर्ट के मुताबिक श्री राम कॉलेज में पिछले तीन दिनों से फैशन शो चल रहा था. इसी कार्यक्रम के समापन पर 26 नवंबर की शाम कुछ छात्राओं ने बुर्क़ा पहनकर रैंप पर कैटवॉक किया. बुर्क़ा पहनकर रैंप पर कैटवॉक करने वाली अलीना नाम की एक छात्रा ने आजतक से कहा,
"हमारे प्रोफेसर रोज़ नई-नई क्रिएटिविटी करने की बात करते हैं. इसलिए हमने फैसला किया कि इस बार हम कुछ अलग ही तरह का शो करेंगे. हमने इस फैशन शो के पहले बहुत कुछ सोचा. हम पहले इंडो-वेस्टर्न और शॉर्ट ड्रेसेस को फैशन शो में शामिल कर रहे थे. लेकिन, बाद में हमने सोचा कि क्यों न इस बार मुस्लिम लड़कियों का सोचकर कुछ अलग किया जाए. इसके बाद हम सभी ने हिजाब और बुर्के़ की थीम पर रैम्प वॉक किया. हम इस फैशन शो के जरिये समाज को भी संदेश देना चाहते हैं. हम बताना चाहते हैं कि बुर्क़ा और हिज़ाब केवल घर में ही नहीं पहना जा सकता, बल्कि इसे फैशन में भी शामिल किया जा सकता है. हमें आशा है कि हमारे संदेश का समाज पर कुछ न कुछ तो असर होगा."
जमीयत ए उलेमा मुज़फ्फरनगर के जिला कन्वेनर मौलाना मुकर्रम कासमी ने आजतक से कहा कि छात्राओं ने बुर्के़ को फैशन शो में इस्तेमाल किया है. जबकि उनका मानना है कि बुर्क़ा फैशन का हिस्सा नहीं है. उन्होंने कहा,
“बच्चों से यह प्रोग्राम इसलिए कराया गया है ताकि एक मज़हब को टारगेट किया जा सके. कहीं ना कहीं मुसलमान मज़हब की धार्मिक भावनाओं को भड़काया गया है, इसलिए जब फैशन शो का हिस्सा बुर्क़ा नहीं है तो इसको फैशन शो में इस्तेमाल क्यों किया गया है?
जब महिला घर से बाहर निकलती है तो बुर्का पहन कर निकलती है. ताकि उसकी अज़ा, उसका चेहरा, उसका बदन कोई और आदमी ना देख सके. बुर्क़े को पर्दे के लिहाज़ से इस्तेमाल किया जाता है. लेकिन यहां उसका इस्तेमाल गलत तरीके से किया गया है. हम कॉलेज प्रशासन से अपील करते हैं कि वो ऐसे प्रोग्राम से दूर रहें. किसी को भी हक़ नहीं है कि वो किसी की धार्मिक भावनाओं को भड़काए.”
उन्होंने आगे कहा कि ऐसा प्रोग्राम आगे होगा तो जमीयत उलेमा कॉलेज के ख़िलाफ़ कानूनी कार्रवाई करेगा. दूसरी तरफ़ कॉलेज का कहना है कि वहां हिंदू, मुस्लिम या इसाई सभी को बराबर शिक्षा दी जाती है.
इस फैशन शो में मॉडल्स ने अलग-अलग कलर के बुर्क़े पहने थे. उनके डिजाइन इंडो-वेस्टर्न और ट्रेडिशनल दोनों थे. ये बुर्क़े इस तरह डिजाइन किए गए थे, जिन्हें किसी भी उम्र की लड़कियां या महिलाएं पहन सकती थीं. मॉडल्स ने इन बुर्कों के साथ चश्मे और डिजाइनर जूलरी भी पहनी हुई थी.
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