उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड ने राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग (NCPCR) की मांग खारिज कर दी है. बोर्ड ने कहा है की मदरसों में पढ़ने वाले गैर मुस्लिम बच्चों की जांच नहीं होगी और ना ही पढ़ रहे छात्रों का दाखिला कहीं और कराया जाएगा. बोर्ड के अध्यक्ष इफ्तिखार अहमद जावेद ने बुधवार, 18 जनवरी को लखनऊ में बोर्ड की एक बैठक में ये फैसला लिया. बीते हफ्ते राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने देश के सभी राज्यों को मदरसे में पढ़ने वाले गैर मुस्लिम बच्चों का सर्वे कराने और सामान्य स्कूलों में उनका दाखिला कराने का निर्देश दिया था.
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इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक इफ्तिखार अहमद जावेद ने कहा कि बोर्ड इस तरह के भेदभावपूर्ण आदेश के खिलाफ है, क्योंकि इससे छात्रों को उनके धर्म के आधार पर चिन्हित किया जाएगा.
उन्होंने आगे कहा,
'हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विचारधारा सबका साथ और सबका विकास का पालन करते हैं. और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में हम किसी ऐसी प्रथा में शामिल नहीं होंगे जहां गैर-मुस्लिम धर्म के छात्रों को मदरसों से निकालकर दूसरे स्कूलों में भेजा जाता है. शिक्षा के क्षेत्र में इस तरह की प्रथा को लागू नहीं किया जाना चाहिए.'
बीते हफ्ते इफ्तिखार अहमद जावेद ने आजतक से भी इस मुद्दे पर बात की थी. तब उन्होंने कहा था,
'उत्तर प्रदेश में मदरसों में बेहतर शिक्षा के लिए सरकार काम कर रही है. देश के प्रधानमंत्री मदरसे में पढ़ने वाले बच्चों के एक हाथ में कुरान और दूसरे हाथ में कंप्यूटर देना चाहते हैं. उत्तर प्रदेश के मदरसों में गैर मुस्लिम बच्चों का ये सर्वे ठीक नहीं है. इससे बच्चों में धार्मिक आधार पर भेदभाव को बढ़ावा मिलेगा. ऐसे संस्कृत विद्यालयों में भी तो कई गैर-हिंदू शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. मिशनरी स्कूलों में भी हर धर्म के बच्चे पढ़ रहे हैं.'
अहमद जावेद ने आगे कहा कि मदरसों में केवल धार्मिक शिक्षा नहीं दी जा रही है. मदरसों के बच्चों को मॉडर्न शिक्षा भी दी जा रही है.
राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग का पूरा आदेशराष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग की तरफ से 8 दिसंबर 2022 को एक पत्र लिखा गया था. इस पत्र के अनुसार मदरसा ऐसा शिक्षण संस्थान है जहां धार्मिक शिक्षा दी जाती है. आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो के अनुसार आयोग को शिकायतें मिली हैं कि गैर मुस्लिम छात्र भी सरकारी अनुदान वाले और मान्यता प्राप्त मदरसों में जा रहे हैं.
आयोग के अनुसार ये संविधान के आर्टिकल 28(3) का उल्लंघन है. ये आर्टिकल किसी शिक्षण संस्थान को किसी बच्चे को बिना अभिभावक की अनुमति के धार्मिक गतिविधि में शामिल होने से रोकता है. इसी वजह से आयोग ने ये निर्देश दिए कि मदरसों में जांच कराई जाए और जिनमें गैर मुस्लिम बच्चे पढ़ रहे हैं, उन्हें वहां से निकालकर शिक्षा का अधिकार कानून के तहत किसी अन्य सामान्य शिक्षण संस्थान में दाखिल कराया जाए.
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