उत्तर प्रदेश सरकार ने 18 नवंबर को राज्य में सभी हलाल-सर्टिफाइड प्रोडक्ट्स पर प्रतिबंध (UP bans Halal-certified products) लगाया था. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तर प्रदेश के फूड सेफ्टी और ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने प्रतिबंध की घोषणा के एक दिन बाद से ही हलाल-सर्टिफाइड चीजों पर कार्रवाई करना शुरू कर दिया. एडमिनिस्ट्रेशन के अधिकारियों ने बताया कि राज्य के सभी 75 जिलों में इन चीजों को पकड़ने के लिए कार्रवाई शुरू कर दी गई.
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18 नवंबर को राज्य में हलाल-सर्टिफाइड चीजों के उत्पादन, स्टोरेज, वितरण और बिक्री पर रोक लगाई गई थी. इसमें खाने-पीने की चीजें, दवाईयां, मेडिकल इक्वीपमेंट्स जैसी सभी हलाल-सर्टिफाइड चीजें शामिल हैं.
फूड सेफ्टी और ड्रग एड्मिनिस्ट्रेशन के राज्य मुख्यालय की तरफ ये छापेमारी की जा रही है. इसमें शॉपिंग मॉल, किराना दुकानों और बाकी खुदरा दुकानें भी शामिल हैं. एड्मिनिस्ट्रेशन के एडिशनल कमिश्नर दिव्यांशु पटेल ने बताया कि आदेश हलाल-सर्टिफाइड प्रोडक्ट्स को बेचने से रोकने के लिए है. इसे सभी फील्ड यूनिट्स में भेजा जा चुका है. सभी जगहों से आने वाली रिपोर्ट्स को इकट्ठा किया जा रहा है.
18 नवंबर को राज्य में हलाल-सर्टिफाइड चीजों के उत्पादन, स्टोरेज, वितरण और बिक्री पर रोक लगाई गई थी. इसमें खाने-पीने की चीजें, दवाईयां, मेडिकल इक्वीपमेंट्स जैसी सभी हलाल-सर्टिफाइड चीजें शामिल हैं.
अलग-अलग जिलों में छापेमारी के बाद चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है. फूड सेफ्टी अधिकारियों ने बताया कि अभी तक की छापेमारी में कोई भी हलाल-सर्टिफाइड प्रोडक्ट नहीं मिला है. कानपुर में छापेमारी करने वाले अधिकारियों ने 23 जगहों पर छापे मारे. लेकिन एक भी जगह हलाल-सर्टिफाइड प्रोडक्ट बरामद नहीं किए गए. वहीं, मुरादाबाद में 4 जगहों पर छापे मारे गए. यहां से भी कोई हलाल-सर्टिफाइड प्रोडक्ट जब्त नहीं किया गया है.
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दूसरी तरफ राज्य की स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने 21 नवंबर को हलाल-सर्टिफाइड प्रोडक्ट्स के जुड़े मामले में अपनी जांच शुरू कर दी है. यूपी में बेचे जाने वाले प्रोडक्ट्स को कथित तौर पर गैर-कानूनी तरीके से हलाल सर्टिफिकेट्स देने के लिए एक चेन्नई की कंपनी हलाल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और तीन संगठनों पर FIR दर्ज कराई गई थी. इसमें दिल्ली के जमीयत उलेमा-ए-हिंद हलाल ट्रस्ट, मुंबई के हलाल काउंसिल ऑफ इंडिया और जमीयत उलेमा भी शामिल हैं.
ये शिकायत 18 नवंबर को हजरतगंज थाने में लिखवाई गई. लेकिन बाद में मामला STF को ट्रांसफर कर दिया गया. इस मामले में और भी कई कंपनियों और उनके मालिकों के नाम शामिल हैं. इन पर देश विरोधी गतिविधियों में शामिल होने और आतंकवादी गतिविधियों को फंड करने के भी आरोप लगाए गए हैं. इधर, जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया है. उनका दावा है कि वे इस तरह की गलत आरोपों के खिलाफ जरूरी कानूनी कदम उठाएंगे.
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