उत्तर प्रदेश के बरेली जिले के एक निजी अस्पताल में कथित रूप से एक बच्चे का 'खतना’ कर दिया गया. बच्चे के माता-पिता ने अस्पताल पर ये आरोप लगाया है. उनका कहना है कि वो बच्चे की जीभ का ऑपरेशन (तुतना भी कहते हैं) कराने के लिए उसे अस्पताल लाए थे. लेकिन डॉक्टर ने उसके लिंग का खतना कर दिया. वहीं आरोपी डॉक्टर का कहना है कि बच्चे के लिंग पर इन्फेक्शन था इसीलिए उसका ऑपरेशन करना पड़ा. मामले ने तूल पकड़ लिया है. यूपी के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक के निर्देश पर अस्पताल का लाइसेंस रद्द कर जांच शुरू कर दी गई है.
जीभ का ऑपरेशन कराने आए बच्चे का 'खतना' कर दिया? यूपी के अस्पताल का लाइसेंस रद्द
बरेली के एक निजी अस्पताल का ये मामला थोड़ा टेढ़ा है.
यहां फिर साफ कर दें कि ये बच्चे के मां-बाप का आरोप है जिसे शासन-प्रशासन ने गंभीरता से लेते हुए कार्रवाई की है. आजतक से जुड़े कृष्ण गोपाल राज की रिपोर्ट के मुताबिक आरोप के घेरे में आए अस्पताल का नाम है 'डॉ. एम खान हॉस्पिटल'. जिस डॉक्टर पर मां-बाप ने आरोप लगाया है उनका नाम है मोहम्मद जावेद खान.
रिपोर्ट के मुताबिक बच्चे का परिवार बरेली के संजयनगर इलाके में रहता है. माता-पिता ने बताया कि उनके ढाई साल के बेटे की जीभ में कुछ दिक्कत थी. उसी का ऑपरेशन कराने वो बच्चे को अस्पताल लाए थे. लेकिन डॉक्टर ने जीभ की जगह उसके लिंग का 'खतना' कर दिया
वहीं डॉ. एम जावेद खान इसे 'ऑपरेशन' बता रहे हैं. उनका कहना है कि बच्चे के लिंग पर इन्फेक्शन था इसलिए माता-पिता की सहमति से ऑपरेशन किया. लेकिन बच्चे के परिजनों का आरोप है कि डॉक्टर ने ऐसा जानबूझकर किया है. उनके मुताबिक ऑपरेशन के लिए सहमति देने वाले कागज पर लिखी अंग्रेजी उनके समझ में नहीं आई थी.
उधर मामला प्रशासन के संज्ञान में आया तो डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने जांच के आदेश दे दिए. रिपोर्ट के मुताबिक दो दिन की जांच के बाद पता चला कि हॉस्पिटल प्रशासन और बच्चे के माता-पिता के बीच मिस कम्युनिकेशन यानी ठीक से बातचीत नहीं हुई. फिलहाल जांच रिपोर्ट आने से पहले हॉस्पिटल के लाइसेंस को रद्द कर दिया है.
पीड़ित के पिता हरिमोहन ने आजतक को बताया,
डॉक्टर ने क्या कहा?"बच्चे का हम तुतना कटवाने आए और डॉक्टर ने खतना कर दिया. डॉक्टर ने हमसे कुछ पूछा भी नहीं. पेपर और दवाइयां सब अंग्रेजी में लिखी हुई थीं. हम हिंदी नहीं पढ़ सकते तो अंग्रेजी कैसे पढ़ते. डॉक्टर ने जानबूझकर ऐसा किया है."
वहीं डॉक्टर मोहम्मद जावेद खान ने बताया कि उनके हॉस्पिटल में एक वार्डन काम करती है, ये लोग उसके पड़ोसी हैं. वही उन्हें यहां हॉस्पिटल लाई थी. उन्होंने कहा,
"बच्चा मेरे पास पिछले संडे (18 जून) को दिखाने आया था. बच्चे के पिता उसके साथ थे. बच्चे को यूरीन में प्रॉब्लम थी. उसको पीनिस के ऊपर फाइमोसिस इन्फेक्शन था. उसका इलाज सर्कमसिजन (खतना) होता है, जो मैंने उनको बता दिया था. उन्होंने मुझसे इलाज के लिए 19 जून का टाइम लिया था लेकिन वो लोग 23 जून को आए. तब बच्चे के पिता साथ में नहीं थे. उसके ताऊ आए थे… सभी से कंसल्ट करके हमने सर्कमसिजन कर दिया. सर्कमसिजन होने के बाद परिजनों ने कहा कि वो लोग सर्कमसिजन कराने नहीं आए थे. लेकिन हमारे पास उन लोगों की सहमति के पेपर हैं."
डॉक्टर ने आगे कहा कि परिजनों के आरोप में कोई सच्चाई नहीं है. कोई भी डॉक्टर जानबूझकर ऐसा काम नहीं करेगा. इससे डॉक्टर को कोई फायदा नहीं होगा.
पुलिस का क्या कहना है?मामले पर बरेली सिटी एसपी राहुल भाटी ने आजतक को बताया,
डिप्टी सीएम के आदेश पर हो रही जांच"23 जून 2023 को थाना बारादरी क्षेत्र स्थित डॉ एम खान हॉस्पिटल में परिजन अपने ढाई साल के बच्चे के जीभ के ऑपरेशन के लिए गए थे. परिजनों का आरोप है कि डॉक्टर ने जीभ के ऑपरेशन की जगह बच्चे का सर्कमसिजन कर दिया. इस संबंध में एक प्रार्थना पत्र प्राप्त हुआ है. जांच के लिए कमिटी गठित कर दी गई है. कमिटी की रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी."
मामले की शिकायत पर डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने जांच के आदेश दिए हैं. उन्होंने कहा,
"जनपद बरेली के एम खान हॉस्पिटल में बच्चे की जीभ के ऑपरेशन की जगह खतना किए जाने संबंधी प्रकरण को गंभीरता से संज्ञान लेते हुए मेरे द्वारा ACMO के साथ स्वास्थ्य विभाग की एक टीम भेज कर संवंधित प्रकरण की जांच कराने के आदेश दिए गए हैं. शिकायत सही पाए जाने पर हॉस्पिटल प्रबंधन एवं दोषी चिकित्सक के विरुद्ध FIR दर्ज कराई गई है. और उक्त हॉस्पिटल का तत्काल प्रभाव से रजिस्ट्रेशन निरस्त किया गया है. पूरी कार्रवाई की रिपोर्ट 24 घंटे के अंदर उपलब्ध कराए जाने के आदेश CMO, बरेली को दिए गए हैं. उक्त चिकित्सालय को जांच की रिपोर्ट के आधार पर सील भी किया जाएगा."
वहीं मामले की जांच में शामिल चीफ मेडिकल ऑफिसर (CMO) बलबीर सिंह ने बताया कि कुछ पॉइंट के आधार पर जांच की जा रही है. फिलहाल अभी फाइनल रिपोर्ट नहीं दी गई है. कुछ समय के लिए जांच पूरी होने तक हॉस्पिटल का लाइसेंस को रद्द कर दिया गया है. इसके अलावा कुछ अहम बिंदु पर भी जांच की गई है. ये बिंदु हैं
- हॉस्पिटल में बच्चे के भर्ती होने के दस्तावेज में जीभ के ऑपरेशन की बात नहीं मिली है. लेकिन मरीज की फाइल में लिंग पर इन्फेक्शन के इलाज की बात लिखी है.
- ऑपरेशन से पहले माता-पिता के सहमति पत्र पर हस्ताक्षर हैं. ऐसे में कमेटी यह अनुमान लगा रही है कि हॉस्पिटल प्रबंधन ने ऑपरेशन से पहले सभी औपचारिकताएं पूरी की हैं. लेकिन परिजनों का कहना है कि अंग्रेजी में लिखे कागज उनकी समझ में ही नहीं आए हैं.
- यह भी कहा जा रहा है कि जांच रिपोर्ट में डॉक्टर और स्टाफ की तरफ से कोई अनियमितता नहीं मिली है, जिस कारण उनको सीधे तौर पर दोषी माना जाए.
- जांच कमेटी ने अनुमान लगाया है कि कहीं न कहीं हॉस्पिटल प्रबंधन और बच्चे के परिजनों के बीच संवादहीनता की स्थिति सामने आ रही है. दोनों के बीच बातचीत ठीक प्रकार से नहीं हुई.
ये जीभ और तलवे के बीच एक एक्स्ट्रा फाइबर होता है. जिसकी वजह से तुतलाने की समस्या होती है.
फाइमोसिस इन्फेक्शनफाइमोसिस या फिमोसिस एक ऐसी बीमारी है, जिसमें लिंग की ऊपरी स्किन (Foreskin) बहुत ज्यादा टाइट हो जाती है और नीचे करने पर पीछे की तरफ नहीं हट पाती है.
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