उत्तर प्रदेश में जयप्रकाश नारायण की जयंती को लेकर सियासी टेम्पो हाई हो गया है. अखिलेश यादव जय प्रकाश नारायण इंटरनेशनल सेंटर (JPNIC)सेंटर में श्रद्धांजलि देने की जिद पर अड़े हुए थे. लेकिन यूपी सरकार ने उनके आवास के बाहर भारी सुरक्षा बल तैनात कर बैरिकेडिंग लगा दी. ताकि वे JPNIC के कैंपस तक नहीं पहुंच सकें. इसके बाद अखिलेश यादव अपने घर से बाहर निकले. जहां उनके कार्यकर्ता जेपी की प्रतिमा लेकर वहां पहुंचे. और अखिलेश यादव ने बीच सड़क पर ही जेपी की मूर्ति पर माल्यार्पण किया.
सपा वाले ले आए प्रतिमा, बीच सड़क अखिलेश ने किया माल्यार्पण, लखनऊ में इस हंगामे की असली कहानी क्या है?
Uttar Pradesh में जयप्रकाश नारायण की मूर्ति पर माल्यार्पण को लेकर राजनीतिक घमासान छिड़ गया है. Akhilesh Yadav के JPNIC बिल्डिंग स्थित जेपी की मूर्ति पर माल्यार्पण करने के एलान के बाद उनके घर के बाहर बैरिकेडिंग के साथ है भारी फोर्स तैनात की गई है.
इसके बाद अखिलेश यादव ने वहां मौजूद सपा कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा,
ये जब भी बैरिकेडिंग हटाएंगे. हम JPNIC जाएंगे. ये कब तक हमें रोकेंगे. हम जेपी की जयंती मना कर रहेंगे. अगर इन्होंने JPNIC नहीं जाने देने का इंतजाम किया है, तो हमने भी जेपी की जयंती मनाने का इंतजाम किया है.
अखिलेश यादव ने आगे कहा,
ये विनाशकारी सरकार है. ये लोग JPNIC को बेचना चाहते हैं. हम हर साल जेपी जयंती मनाएंगे. ये सरकार गूंगी बहरी सरकार है. ये सरकार समाजवादियों को जेपी जयंती नहीं मनाने दे रही है. आज नवमी है. और ये लोग हमें त्योहार नहीं मनाने दे रहे हैं.
दरअसल, 10 अक्टूबर की शाम को अखिलेश यादव JPNIC पहुंचे थे. और बिल्डिंग को टीन शीट से सील करने पर भड़क गए. क्योंकि वहां टीन शेड लगे होने के कारण वह जेपी की मूर्ति के करीब नहीं जा सके. अखिलेश यादव ने इस कदम का विरोध करते हुए यूपी सरकार पर जमकर निशाना साधा. अखिलेश यादव ने सेंटर के बाहर मीडिया से बातचीत में कहा,
पहले भी अखिलेश यादव को रोका गया थामुझे अंदर जाने से रोकने के लिए मेन गेट को टीन की चादरों से ढंक दिया गया. यह JPNIC समाजवादियों का संग्रहालय है. जयप्रकाश नारायण की प्रतिमा और इसके अंदर ऐसी चीजें हैं, जिनसे हम समाजवाद को समझ सकते हैं. ये टीन शेड लगाकर सरकार क्या छिपा रही है? यह संभव है कि वे इसे बेचने की तैयारी कर रहे हैं या किसी को देना चाहते हैं?
ऑनलाइन शेयर किए गए एक वीडियो के मुताबिक, यहां पहुंचने पर अखिलेश ने एक चित्रकार से टीन की चादरों पर 'समाजवादी पार्टी जिंदाबाद' लिखने को कहा. यह पहला मौका नहीं है जब JPNIC बिल्डिंग को लेकर बवाल मचा है. पिछली बार भी जेपी की जयंती पर माल्यार्पण को लेकर हाईवोल्टेज ड्रामा देखने को मिला था. अखिलेश यादव तब 8 फीट ऊंची दीवार फांदकर माल्यार्पण करने पहुंच गए थे. आखिर उत्तर प्रदेश प्रशासन से अनुमति नहीं मिलने के बावजूद अखिलेश यादव वहां जाने के जिद पर क्यों अड़े हैं. क्या अखिलेश यादव राज्य में होने वाले उपचुनाव को लेकर माहौल बनाना चाहते हैं. इस सवाल पर सीनियर पत्रकार परवेज अहमद बताते हैं,
लखनऊ प्राधिकरण का बयानराजनीति में तो विपक्ष हमेशा शक्ति प्रदर्शन के मौके की तलाश करता ही रहता है. लेकिन जेपी और लोहिया को उनकी पार्टी अपने आदर्श के रूप में देखती है. और अखिलेश यादव पिछले साल भी JPNIC बिल्डिंग गए थे माल्यार्पण करने. तो ये नहीं कहा जा सकता है कि ये रैंडमली किया है. लेकिन ये बात तो हैं कि वो इसका राजनीतिक लाभ लेना चाहते हैं. इसमें कोई इफ या बट नहीं है. अखिलेश यादव को इसका सीधा फायदा भले ना हो लेकिन इन कदमों के चलते वे अचानक भारतीय जनता पार्टी से लड़ते हुए दिखाई देने लगते हैं. और जब दिखाई देने लगते हैं, तो जाहिर सी बात है जो भाजपा के विरोधी हैं उनके साथ होने लगते हैं.
लखनऊ विकास प्राधिकरण ने अखिलेश यादव के कार्यक्रम को लेकर एक पत्र जारी किया है. इसमें लिखा गया है कि JPNIC एक निर्माण स्थल है. जहा निर्माण सामग्री बेतरतीब ढंग से फैली हुई है. और बारिश के कारण कई कीड़े होने की संभावना है. सपा प्रमुख अखिलेश यादव को जेड प्लस श्रेणी की सुरक्षा प्राप्त है. सुरक्षा कारणों से उनका प्रतिमा पर माल्यार्पण करना और JPNIC का दौरा करना सुरक्षित और उचित नहीं है.
लखनऊ प्राधिकरण के इस फैसले को राजनीति से प्रेरित बताया जा रहा है. आखिर यूपी सरकार या उनसे जुड़े अधिकारी अखिलेश यादव को क्यों जेपी की मूर्ति पर माल्यार्पण करने से रोकना चाहते हैं, इस सवाल के जवाब में परवेज अहमद ने बताया,
मुझे नहीं लगता है कि इसके पीछे यूपी सरकार की कोई राजनीतिक मंशा है. ये अफसरों की बेवकूफियां हैं. जिसकी वजह से ये सब स्थितियां पैदा हो रही हैं. इसे करने की कोई आवश्यकता नहीं थी. इससे तो अखिलेश यादव को ही फायदा हो रहा है. आज जेपी की जयंती और सरकार ने उन्हें नहीं जाने दिया ये उनकी राजनैतिक नासमझी है. इसे दूरदर्शिता नहीं माना जा सकता. इसका लाभ अप्रत्य़क्ष रूप से सपा को ही होने वाला है.
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JPNIC के बनने की कहानी और इससे जुड़ा विवादजय प्रकाश नारायण इंटरनेशनल सेंटर (JPNIC) इस बिल्डिंग का मालिकाना हक लखनऊ विकास प्राधिकरण के पास है. इस 18 मंजिला बिल्डिंग का निर्माण साल 2013 से 2016 के बीच हुआ था. दरअसल ये अखिलेश यादव नहीं बल्कि उनके पिता और यूपी के पूर्व सीएम मुुलायम सिंह यादव का ड्रीम प्रोजेक्ट था. मुलायम सिंह की हसरत थी कि लखनऊ के बीचोंबीच समाजवादी नेता लोकनायक जयप्रकाश नारायण के नाम पर एक सेंटरनुमा स्मारक बनाया जाए.
उनके इस सपने को पूरा किया उनके बेटे अखिलेश यादव ने. जब बिल्डिंग रेडी हुई, तो ओलंपिक साइज का टेनिस कोर्ट, मल्टीपरपज कोर्ट, बैडमिंटन कोर्ट, एक हजार लोगों की क्षमता वाला कॉन्फ्रेंस हॉल, दो हजार लोगों की क्षमता वाला कन्वेंशन सेंटर, गेस्ट हाउस, ओपन एयर रेस्तरां, कैफे, जिम, स्विमिंग पूल और हेलीपैड जैसी सुविधाओं से सुसज्जित थी. साल 2016 में इसका उद्घाटन हुआ. इसमें कुछ काम बचा हुआ था. लेकिन अगले साल विधानसभा चुनाव होने थे. इसलिए जल्दीबाजी में उद्घाटन कर दिया गया.
साल 2017 में चुनाव हुए. और सत्ता की सदारत योगी आदित्यनाथ के पास आ गई. और इसके साथ ही आई Comptroller and Auditors General of India यानी CAG की रिपोर्ट. इस रिपोर्ट में बताया गया कि इस सेंटर को बनवाने में बहुत सारे काम बिना टेंडर के करवाए गए. CAG रिपोर्ट में भ्रष्टाचार के संकेत मिले. CAG ने दावा किया कि इस सेंटर में लगने वाले एयर कंडीशनर को बस देखने भर के लिए अधिकारी चीन की यात्रा पर चले गए. इस रिपोर्ट में इस सेंटर का काम करवाने वाली एलडीए को कटघरे में खड़ा किया गया.
JPNIC के निर्माण में भ्रष्टाचार के शिकायतों के चलते योगी आदित्यनाथ सरकार ने इसका काम पूरा नहीं कराया. उन्होंने इस परियोजना को बंद कर दिया. और इस पर जांच बिठा दी. मामला हाईकोर्ट में गया. लेकिन रोक बरकरार रही.
वीडियो: अखिलेश यादव को JPNIC जाने से रोका गया, टिन शेड देख क्यों भड़के SP मुखिया?