हर देश के लिए गोल्ड रिजर्व (Gold reserve) रखना काफी जरूरी होता है. ताकि किसी मुश्किल वक्त में उसका इस्तेमाल किया जा सके. मुश्किल वक्त जैसे कि आर्थिक संकट. कोविड महामारी के बाद से दुनियाभर की अर्थव्यवस्था में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहे हैं. ऐसे में गोल्ड रिजर्व यानी सोने के भंडारण की जरूरत बढ़ती जा रही है. इसलिए, कई देश अपने सेंट्रल बैंक में गोल्ड रिजर्व को काफी महत्व दे रहे हैं.
हाल में गोल्ड रिजर्व को लेकर अलग-अलग देशों का एक डेटा सामने आया है. वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (World gold council) की रिपोर्ट के मुताबिक, इस लिस्ट में अमेरिका टॉप पर है. अमेरिका के पास 8,133.46 टन सोने का भंडार का है. जबकि इस लिस्ट में जर्मनी दूसरे नंबर पर है. वहीं इटली तीसरे, फ्रांस चौथे और रूस पांचवें नंबर पर है. बात अगर भारत की करें तो ये आठवें नंबर पर है. भारत के पास लगभग 841 टन रिजर्व सोना है.
भारत के पास कितना सोना है? गोल्ड रिजर्व के मामले में अमेरिका टॉप पर
अमेरिका के पास 8,133.46 टन सोने का भंडार का है. जबकि इस लिस्ट में जर्मनी दूसरे नंबर पर है.
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दुनिया में सबसे ज्यादा गोल्ड रिजर्व वाले देशदेश | गोल्ड रिजर्व ( टन में) |
---|---|
अमेरिका | 8,133.46 |
जर्मनी | 3,351.53 |
इटली | 2,451.84 |
फ्रांस | 2,436.97 |
रूस | 2,335.85 |
चीन | 2,264.32 |
जापान | 845.97 |
भारत | 840.76 |
नीदरलैंड्स | 612.45 |
तुर्की | 584.93 |
अब गोल्ड रिजर्व क्या होता है, ये भी जान लेते हैं. गोल्ड रिजर्व सरकार या सरकारी बैंक के पास जमा किया गया सोना होता है. इसके रखने का मतलब ये सुनिश्चित करना है कि उनका पैसा लंबे समय तक स्थिर रहे और मजबूत बना रहे. इसके जरिए किसी देश की इंटरनेशनल लेवल पर व्यापार करने की क्षमता में सुधार होता है.
गोल्ड रिजर्व ये भी बताता है कि आपके देश की अर्थव्यवस्था कितनी मजबूत है. ये काफी हद तक ये भी दर्शाता है कि ग्लोबल फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन की तरफ से उस देश पर कितना भरोसा किया जाए. ये भी कि कोई देश अपने धन का प्रबंधन किस तरीके से करता है और लंबी अवधि के लिए अपने फाइनेंस की योजना किस तरीके से बनाता है.
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