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ट्रंप सरकार ने हजारों प्रवासियों को जीते जी 'मुर्दा' घोषित किया

जिन्हें मृत घोषित किया गया है वो ऐसे प्रवासी हैं जो पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन के कार्यकाल में वैध रूप से अमेरिका आए थे.

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कहा जा रहा है कि ट्रंप प्रशासन उन लोगों को निशाना बना रहा है जो उनके पहले की सरकार में अमेरिका आए हैं. (India Today)

अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के एक और फैसले पर सवाल उठ रहे हैं. ट्रंप प्रशासन ने प्रवासियों के खिलाफ सख्त कदम उठाते हुए हजारों प्रवासियों को आधिकारिक सोशल सिक्योरिटी रजिस्ट्री में ‘मृत’ घोषित करने का फैसला किया है. इसका मतलब यह है कि इन लोगों को न तो काम मिल सकेगा और न ही उन्हें किसी सरकारी योजना का लाभ मिलेगा.

इस फैसले से जुड़ी डिटेल्स बताती हैं कि ट्रंप सरकार ने प्रवासियों को चुन-चुन कर 'मृत' घोषित किया है. समाचार एजेंसियों रॉयटर्स और एपी के हवाले छपी रिपोर्ट्स के मुताबिक, ये वे 6,000 प्रवासी हैं जो पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन के कार्यकाल में वैध रूप से अमेरिका आए थे, वे इस लिस्ट में शामिल हैं. यह कार्रवाई मुख्य रूप से उन प्रवासियों के खिलाफ है जिन्हें ट्रंप से पहले की सरकार ने अमेरिका में अस्थायी रूप से रहने और काम करने की इजाजत दी गई थी.

सोशल सिक्योरिटी खत्म होने का मतलब?
माना जाता है कि अगर किसी प्रवासी का सोशल सिक्योरिटी नंबर (Social Security Number - SSN) रद्द कर दिया जाए और उसे ‘मृत’ घोषित कर दिया जाए, तो उसका अमेरिका में जीवन बेहद मुश्किल हो जाता है. ऐसा जिसके साथ होगा वह न तो बैंक से जुड़े किसी भी सर्विस का इस्तेमाल कर सकता है, न घर किराए पर ले सकता है और न ही कानूनी रूप से नौकरी कर सकता है. सोशल सिक्योरिटी नंबर को रद्द करना अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की उस बड़ी योजना का हिस्सा माना जा रहा है, जिसमें प्रवासियों को इस हद तक परेशान किया जाए कि वे खुद ही अपने देश लौटने के लिए मजबूर हो जाएं.

खबरों के मुताबिक, ट्रंप प्रशासन कुछ जीवित प्रवासियों के नाम और उनके वैध सोशल सिक्योरिटी नंबर को उस डेटाबेस में डाल रहा है, जिसका इस्तेमाल अमेरिका में वास्तव में मर चुके लोगों की जानकारी रखने के लिए किया जाता है. जब किसी का नाम इस लिस्ट में आता है, तो उसे 'मृत' मान लिया जाता है और उसका सोशल सिक्योरिटी नंबर हटा दिया जाता है. इससे वह बहुत सी सरकारी और वित्तीय योजनाओं से बाहर हो जाता है. इसलिए यह कदम प्रवासियों को खुद अमेरिका छोड़ने के लिए बाध्य करने की एक रणनीति का हिस्सा बताया जा रहा है.

इस नई नीति के तहत, 6,000 से अधिक जीवित प्रवासियों को 'मृत' घोषित कर इस डेटाबेस में डाल दिया गया है. हालांकि, अभी तक यह साफ नहीं है कि इन्हें किस आधार पर चुना गया है. लेकिन जानकारी के मुताबिक ये सभी लोग बाइडेन सरकार के कार्यकाल के दौरान अस्थायी प्रवासी दर्जा (Temporary Migration Status) के तहत अमेरिका आए थे.

AP और रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक ट्रंप प्रशासन की नज़र उन 9 लाख से ज्यादा प्रवासियों पर भी है, जो पिछली सरकार के "CBP One" ऐप का उपयोग कर अमेरिका में दाखिल हुए थे. अमेरिकी गृह सुरक्षा विभाग ने इन प्रवासियों के लीगल स्टेटस को रद्द कर दिया. बाइडेन प्रशासन के दौरान इन लोगों को राष्ट्रपति के विशेष अधिकार के तहत दो साल तक अमेरिका में रहने और काम करने की अनुमति दी गई थी. लेकिन अब उनसे उम्मीद की जा रही है कि वे अमेरिका खुद छोड़ दें.

हालांकि माना जा रहा है कि यह कदम कानूनी रूप से चुनौती का सामना कर सकता है. अमेरिका का "Privacy Act" (गोपनीयता अधिनियम) सोशल सिक्योरिटी प्रशासन को सीमित परिस्थितियों में ही कानून की रक्षा करने वाली एजेंसियों को जानकारी साझा करने की इजाज़त देता है. ऐसे में जीवित लोगों को 'मृत' घोषित करना और उनका डेटा गलत तरीके से उपयोग करना कानूनी तौर पर संदिग्ध हो सकता है.

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