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अमेरिका ने ईरान को 50 हज़ार करोड़ देकर किसे छुड़ा लिया?

अमेरिका ने कहा पैसा निगरानी में खर्च होगा, ईरान ने कहा, मेरी मर्ज़ी!!

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कैदियों का दोहा हवाईअड्डे में स्वागत किया गया (AFP)

ईरान ने 5 अमेरिकी कैदियों को रिहा किया है और वो अपने घर की ओर निकल चुके हैं. कुछ दिन पहले ईरान और अमेरिका के बीच एक सौदा हुआ था कि ईरान कैदियों को रिहा करेगा उसके बदले अमेरिका उसके पैसों पर लगे प्रतिबंध में कुछ छूट देगा. अब ये सौदा आगे बढ़ता दिख रहा है. ईरान की राजधानी तेहरान से आज़ाद हुए कैदी क़तर पहुंच चुके हैं. बदले में ईरान को 50 हज़ार करोड़ मिलेंगे.  

सौदा कैसे हुआ? 

दरअसल 2019 में डोनाल्ड ट्रंप की सरकार ने ईरान पर नए सिरे से प्रतिबंध लगा दिए थे. उस समय साउथ कोरिया पर ईरान का हज़ारों करोड़ का बकाया था. अमेरिका के प्रतिबंध के बाद साउथ कोरिया ने पैसा रोक लिया. ईरान अमेरिकी नागरिकों को इसी कीमत पर छोड़ने को राज़ी हुआ है कि इस रकम का एक हिस्सा डीफ्रीज़ किया जाएगा. माने ये पैसा ईरान के खाते में आ सकेगा और ईरान इसका इस्तेमाल भी कर सकेगा.

हालिया डील के तहत, पैसे को पहले यूरो में कन्वर्ट करके क़तर भेजा जाना था. ये काम हो चुका है. और अब रकम ईरान को ट्रांसफर की जाएगी. रिहा हुए अमेरिकी नागरिक भी तेहरान से उड़कर क़तर पहुंच चुके हैं जहां हवाई अड्डे पर वो अमेरिकी अधिकारियों और राजनयिकों से मिले. 

अमेरिका ने कहा था कि ईरान को मिलने वाले पैसे पर निगरानी रखी जाएगी. इसका इस्तेमाल सिर्फ़ दवा और खाने का सामान खरीदने में किया जा सकेगा. उस समय ईरान का भी जवाब आया था कि हमारे पैसे की कोई निगरानी नहीं होगी. हमारा पैसा है, हम जहां चाहें, इस्तेमाल करेंगे.

न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इस डील पर पिछले दो बरस से बातचीत चल रही थी. क़तर के अलावा ओमान और स्विट्ज़रलैंड ने भी मध्यस्थता की. तब जाकर बात बनी है.

कौन-कौन रिहा हुआ?

कुल पांच लोग रिहा हुए हैं, जिनमें से तीन की पहचान जाहिर हुई है -

1. सियामक नमाज़ी. 2015 में अरेस्ट हुए थे. जासूसी के आरोप में 10 बरस की सज़ा मिली.

2. इमाद सरग़ी. 2021 में 10 बरस की सज़ा सुनाई गई थी. आरोप जासूसी का था.

3. मुराद तहबाज़. 2018 में ईरान घूमने गए थे. अरेस्ट हुए. जासूसी का केस चला. उन्हें भी 10 बरस की सज़ा मिली.

बाकी दो क़ैदियों की पहचान सामने नहीं आई है. कहा जा रहा है कि वे लोग भी जासूसी के मामले में ही सज़ा काट रहे थे. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा है कि अमेरिकियों को मुक्त करना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है.

ईरान अपनी मांगें मनवाने के लिए क़ैदियों का इस्तेमाल दशकों से करता आ रहा है. सबसे बड़ा उदाहरण 1979 का है. इस्लामिक क्रांति के बाद सुप्रीम लीडर खोमैनी के समर्थकों ने तेहरान में अमेरिकी दूतावास पर कब्ज़ा कर लिया था. 444 दिनों के बाद बंधकों को छोड़ा गया. रिहाई के बदले में ईरान ने ज़ब्त संपत्ति से बैन हटाने और इंटरनल मैटर में दखल ना देने समेत कई मुद्दों पर अमेरिका से हामी भरवाई थी.